बॉलीवुड

शूटिंग के दौरान मौसमी चटर्जी को कमरे में कर दिया जाता था बंद, सेट पर कान पकड़ कर रहती थी खड़ी

जानिए क्यों सेट पर कान पकड़कर खड़े रहने की सज़ा भुगतनी पड़ती थी मौसमी चटर्जी को...

बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा मौसमी चटर्जी किसी पहचान की मोहताज़ नहीं हैं। जी हां मौसमी ने हिंदी सिनेमा में अपनी एक्टिंग से लोगों का खूब दिल जीता। मौसमी चटर्जी ने एक जमाने में अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, शशि कपूर, जितेंद्र और संजीव कुमार जैसे कई सुपरहिट स्टार्स के साथ काम किया।

Mausmi Chatrji

वहीं अगर इनकी सुपरहिट फिल्मों की बात की जाए तो ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘सबसे बड़ा रुपया’, ‘घर एक मंदिर’ जैसी कई सुपरहिट फिल्में इन्होंने बॉलीवुड को दी। इतना ही नहीं मौसमी चटर्जी 60-70 के दशक की फेमस एक्ट्रेस मानी जाती थी। तो आइए आज हम आपको बताते हैं, इनसे ही जुड़ा दिलचस्प क़िस्सा…

Mausmi Chatrji

बता दें कि इन्होंने 1967 में फिल्म ‘बालिका वधू’ से हिंदी सिनेमा में कदम रखा था और इसकी शूटिंग के वक्त एक्ट्रेस पांचवी कक्षा में थीं। जी हां शूटिंग के शुरुआती दिन जहां एक्ट्रेस के लिए काफी खास रहे थे तो वहीं बाद में एक्ट्रेस को कमरे में बंद करके भी रखा जाने लगा था।

Moushumi Chatterjee

अब आप सोच में पड़े कि आख़िर ऐसा एक अदाकारा के साथ क्यों किया जा रहा था तो हम आपको बता दें कि एक्ट्रेस को सिर्फ़ कमरे में ही बंद नही रखा जाता था, बल्कि कई बार तो एक्ट्रेस को कान पकड़कर खड़े रहने की सजा भी मिली थी और इस बात का खुलासा खुद मौसमी चटर्जी ने ‘बातें कही अनकही’ में किया था।

 

गौरतलब हो कि ‘बालिका वधू’ की शूटिंग से जुड़े अनुभव के बारे में बात करते हुए मौसमी चटर्जी ने कहा था कि, “मुझे सेट पर कान पकड़कर खड़े रहने की सजा दी गई थी। शूटिंग के शुरुआती दो दिन तो मुझे बहुत भाव मिला था, लेकिन तीसरे दिन मुझे लगने लगा कि यहां तो रोज चोटी बनाकर, मुंह पर लीपापोती करके बैठा देंगे। मुझे खेलने का टाइम नहीं मिलता था।”

Mausmi Chatrji

इतना ही नहीं इस इंटरव्यू में मौसमी चटर्जी ने आगे बताया था कि, “मुझे सभी चीजों की याद आने लगी थी, इससे मैं सेट छोड़कर ही भाग जाती थी। उन दिनों थिएटर में एक शीशे वाला कमरा होता था। मेरे भाग जाने के कारण मुझे वहां लॉक करके रखा जाता था। शॉट के समय जो भी मुझे लेने आता था, पहले उसकी पिटाई होती थी। असल में मैं बदमाशी बहुत करती थी।”

Mausmi Chatrji

वहीं मौसमी चटर्जी ने अपनी शरारतों के बारे में आगे कहा था कि, “मुझे शूटिंग के लिए नथनी पहनाई जाती थी, जो मैं उतारकर फेंक देती थी। मेरी इन हरकतों को देखकर निर्देशक ने भी कह दिया था कि 200 नथनी लेकर रखो, अगर यह फेंके तो तुम लगाते रहो।” प्रो केरल को दिए इंटरव्यू में मौसमी चटर्जी ने बताया था कि उन्होंने कभी भी अपने करियर को गंभीरता से नहीं लिया था।

Moushumi Chatterjee

साथ ही साथ मौसमी चटर्जी का इस बारे में कहना था कि, “मैंने कभी भी अपने करियर को गंभीरता से नहीं लिया था। इसलिए मैं हमेशा ही फिल्म इंडस्ट्री के प्रति आभारी रहूंगी। मेरे सभी सहकर्मी, चाहे वह निर्देशक हों, निर्माता हों या फिर एक्टर हों, वे सभी मेरे प्रति काफी दयालू थे और उन्होंने हमेशा ही मुझे फिल्में ऑफर की थीं।”

Mausmi Chatrji

इसके अलावा मौसमी चटर्जी के बारें में एक किस्सा और भी काफ़ी दिलचस्प है। जी हां उस दौरान ऐसा कहा जाता था कि उन्हें रोने वाले सीन करने के लिए ग्लिसरीन की जरूरत नहीं पड़ती थी। इस बारें में मौसमी ने बीबीसी को एक इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि, “जब किसी सीन में मुझे रोना होता था तो मैं सोचती कि ये मेरे साथ वास्तव में हो रहा है और मैं रो पड़ती थी।“ आख़िर में विशेष बात मौसमी चटर्जी ने एक सफ़ल फ़िल्मी करियर के बाद राजनीति की तरफ़ झुकाव दिखाया और आजकल वह बंगाल भाजपा की सदस्य है।

Mausmi Chatrji

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