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महिला बॉस से बोली ‘एक घंटे की छुट्टी चाहिए’ बॉस ने इनकार किया, फिर देने पड़े 2 करोड़ रुपए

आज के जमाने में महिलाएं भी हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं। हालांकि ऐसा करना उनके लिए कोई आसान काम नहीं है। एक महिला के ऊपर घर और ऑफिस दोनों की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में इन दोनों चीजों के बीच तालमेल बैठाना इतना आसान नहीं होता है। इसलिए कुछ कंपनियां महिलाओं को खास सुविधाएं या छूट भी देती है। खासकर सरकारी नौकरियों में महिलाओं को अपने बच्चों या किसी अन्य घरेलू काम के लिए काफी छूट दी जाती है।

हालांकि प्राइवेट कंपनियां ऐसा कम ही करती हैं। उन्हें महिलाओं की निजी समस्या से कोई लेना देना नहीं होता है, वह तो बस अपने कर्मचारी से अधिक से अधिक काम करवाना चाहते हैं। लेकिन हाल ही में एक कंपनी को अपनी महिला कर्मचारी को एक घंटे की छुट्टी न देना बहुत महंगा पड़ गया। उन्हें महिला को मुआवजे के रूप में करीब दो करोड़ रुपए तक देने पड़ गए। चलिए इस पूरे मामले को थोड़ा और विस्तार से जानते हैं।

यह अनोखा मामला लंदन (London) का है। यहां ऐलिस थॉम्पसन (Alice Thompson) नाम की एक महिला Manors Estate नाम की एक ब्रिटिश रियेल एस्टेट कंपनी में बतौर सेल्स मैनेजर (Sales Manager) थी। महिला की एक छोटी बच्ची भी है जिसे वह जॉब पर आते समय चाइल्डकेयर में छोड़कर आती है। महिला की बेटी का यह चाइल्डकेयर 5 बजे तक बंद हो जाता है। वहीं महिला की जॉब 6 बजे तक होती है। ऐसे में महिला ने अपने बॉस से विनती करी कि वे हफ्ते में 4 दिन उसे 1 घंटे की छुट्टी देते हुए 6 की बजाय 5 बजे ही छोड़ दें। हालांकि उनके बॉस ने महिला की यह विनती ठुकरा दी। इतना ही नहीं बॉस ने ये भी कहा कि यदि आप एक घंटे जल्दी जाती हैं तो इसे हाफ डे ही माना जाएगा।

अब कंपनी ने महिला की यह रिक्वेस्ट ठुकरा तो दी लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि एक छोटी सी छूट न देने की कीमत उन्हें करोड़ों में चुकानी पड़ेगी। अपनी बेटी की खातिर महिला ने Manors Estate Company छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल (Employment Tribunal) में अपनी कंपनी की शिकायत दर्ज कर दी। ऐलिस थॉम्पसन (Alice Thompson) ने कंपनी पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनके साथ लैंगिक भेदभाव किया। वे नहीं चाहती कि आज जो कुछ उन्होंने सहा वह आगे चलकर उनकी बेटी भी सहे।

एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने एलिस थॉम्पसन की दलीलों को गंभीरता से लिया। उन्होंने Manors Estate Company के रवैये को गैर ज़िम्मेदार बताया। साथ ही उन्हें मुआवज़े के तौर पर 181,000 पाउंड यानि करीब 2 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया। ट्रिब्यूनल ने अपना निर्णय सुनाते हुए साफ कहा कि नर्सरी आमतौर पर 5 बजे बंद हो जाती है, ऐसे में एक मां को 6 बजे तक काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। ये पूरी तरह से गलत है।

अब यह पूरी घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। अधिकतर लोग महिला के पक्ष में ही बोल रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक महिला के ऊपर पुरुषों की तुलना में अधिक जिम्मेदारियाँ होती है। इसलिए उन्हें इस तरह के बेनेफिट्स जरूर दिए जाने चाहिए।

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