राजनीति

तालिबान का कब्ज़ा होते ही कितना बदला गया अफगानिस्तान? सांसद अनारकली कौर होनरयार ने सुनाई आपबीती

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होते ही वहां के आम नागरिक के साथ-साथ कई राजनेताओं ने भी भारत में शरण ली है। अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के अभियान के दौरान हिंदू समुदाय के अफगान और भारत सिख समेत करीब 730 लोगों को भारत लाया जा चुका है। उन्हीं में से एक अफगानिस्तान की सांसद अनारकली कौर होनरयार भी है।

afghan mp anarkali kaur honaryar

दिल्ली पहुंचते ही अनारकली कौर ने अफगानिस्तान के हालात बताएं। उन्होंने कहा कि, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन अपने देश को छोड़ना पड़ेगा। अफगानिस्तान के हालात ऐसे हैं कि मुझे याद के तौर पर अपने देश की मुट्ठी भर मिट्टी लेने का वक्त भी नहीं मिला। मैं विमान में चढ़ने से पहले हवाई अड्डे पर सिर्फ जमीन को स्पर्श कर सकीं।”

kabul airport

मिली जानकारी के अनुसार, अनारकली कौर होनरयार अफगानिस्तान की पहली गैर मुस्लिम महिला सांसद है। वह एक पंजाबी सिख और अपने परिवार के साथ अफगानिस्तान में रह रही थी। अनारकली एक महिला अधिकार कार्यकर्ता है जो कई सालों से अफगानिस्तान की महिलाओं के हक में काम कर रही थी। अनारकली पेशे से डेंटिस भी है। इतना ही नहीं बल्कि साल 2019 मई में रेडियो फ्री यूरोप के अफगान चैप्टर ने अनारकली कौर को ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ भी चुना था। इस सम्मान के बाद अनारकली को घर-घर में पहचान मिली थी। खबर की मानें तो अनारकली कौर इन दिनों दिल्ली के एक होटल में अपनी बीमार मां के साथ ठहरी हुई है।

anarkali

अनारकली कौर ने बताया कि, “अफगानिस्तान की स्थिति कल्पना से बाहर की है। कोई सरकार नहीं है। राष्ट्रपति पिछले 10 दिनों से वहां नहीं हैं। हमें शांति प्रक्रिया से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अफगानिस्तान में कई लोगों के पास ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं। एयरपोर्ट (काबुल) पर हर दिन, फायरिंग की घटनाएं हो रही हैं और रोज 3-4 लोग इसमें मर रहे हैं।”

kabul

आगे उन्होंने कहा कि, “वह प्रगतिशील एवं लोकतांत्रिक अफगानिस्तान में जीने के सपने देखती थीं, जो बिखर चुके हैं। दुश्मनी की वजह से उनके रिश्तेदारों को पहले ही भारत, यूरोप व कनाडा में शरण लेनी पड़ी है। ‘मैंने तालिबान के खिलाफ बहुत कुछ कहा है। हमारे विचार और सिद्धांत बिल्कुल विपरीत हैं। मैं दिल्ली से अफगानिस्तान के लिए काम करना जारी रखूंगी।”

kabul and taliban

इसके अलावा अनारकली कौर ने दुनियाभर के नेताओं से ये अपील की है कि, “अभी भी देर नहीं हुई है। अफगानिस्तान के लोगों का सपोर्ट करें और उन्हें बेबसी में ना छोड़ें। अगर आपके नेता स्वार्थी होते हैं और संकट में देश छोड़कर भाग जाते हैं तो आप एक क्षण में आप नागरिक से शरणार्थी बन जाते हैं। इसलिए अपना नेता ध्यान से चुनिए, मुफ्त वाली राजनीति करने वालों की बजाय ऐसे राजनेता चुनिए जो संकट के समय मजबूती से खड़े हो पाए और राष्ट्र की रक्षा कर पाए।”

taliban

बता दें, 15 अगस्त रविवार को तालिबान के कब्जे के बाद 16 अगस्त को 40 से अधिक लोगों को स्वदेश लाया गया था जिनमें से ज्यादातर भारतीय दूतावास के कर्मी थे। काबुल से दूसरे विमान से 150 लोगों को लाया गया, जिनमें भारतीय राजनयिक, अधिकारी, सुरक्षा अधिकारी और कुछ अन्य भारतीय थे, जिन्हें 17 अगस्त को लाया गया था। इसके बाद भारत तीन उड़ानों के जरिए दो अफगान सांसदों समेत 392 लोगों को वापस लाया था।

Back to top button