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अफगान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह ने खुद को किया राष्ट्रपति घोषित, कहा-युद्ध खत्म नहीं हुआ

अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने खुद को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है और तालिबान के खिलाफ लड़ाई करने की बात कही है। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने एक ट्वीट के जरिए कहा कि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफा या मृत्यु में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और वैध केयरटेकर राष्ट्रपति हूं। मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं।

इन्होंने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस स्थिति के लिए कई कारक हैं, लेकिन मैं उस अपमान का हिस्सा बनने के लिए तैयार नहीं हूं, जिसे विदेशी सेनाओं ने झेला था। मैं अपने देश के लिए और उसके लिए खड़ा हूं और युद्ध खत्म नहीं हुआ है।

दरअसल राजधानी काबुल में तालिबान के आते ही, यहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश को छोड़ दिया था। जिसके बाद तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था। तालिबान से बिना लड़े ही अफगान सरकार ने अपनी हार मान ली थी। वहीं अब देश के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने तालिबान से मुकाबला करने की बात कही है। इस समय ये अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी में हैं और ये वो इलाका है। जहां पर अभी भी तालिबान कब्जा नहीं कर पाया है। पंजशीर घाटी राजधानी काबुल के पास स्थित है।

Amrullah Saleh

दरअसल 1980 से 2021 तक कभी भी तालिबान का कब्जा इस घाटी पर नहीं हो पाया। इसे नॉर्दन अलायंस के पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद का गढ़ माना जाता है।

कौन हैं अमरुल्लाह सालेह

अमरुल्लाह सालेह फरवरी 2020 में अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति बने थे। इससे पहले साल 2018 और साल 2019 में अमरुल्लाह सालेह अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री रहे। ये 2004 से 2010 तक राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। आपको बता दें कि सालेह ने गुरिल्ला कमांडर मसूद के साथ 1990 के समय युद्ध लड़ा था। साल 1990 में ये सालेह विपक्षी मुजाहिदीन बलों में शामिल हुए थे। सालेह पाकिस्तान के विरोधी भी हैं और इनके भारत के साथ काफी अच्छे रिश्ते हैं।

afghanistan taliban

गौरतलब है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला लिया है। अमेरिकी सेना के अफगान से जाने के बाद तालिबान ने तेजी से देश के कई प्रांतों पर कब्ज कर लिया था। तालिबान के आगे अफगान सेना ने भी अपने हथियार डाल दिए थे। जिसके कारण महज 20 दिनों के अंदर अफगान पर तालिबान का कब्ज हो गया।

ashraf ghani

वहीं तालिबान से बचने के लिए राष्ट्रपति अशरफ ने अपना देश छोड़ दिया था। हालांकि देश छोड़ने को लेकर इन्होंने अपना पक्ष भी रखा था। इन्होंने कहा था कि मैं शांति से सत्ता सौंपना चाहता था। अफगानिस्तान छोड़कर मैंने अपने मुल्क के लोगों को खूनी जंग से बचाया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा कारणों की वजह से अफगानिस्तान से दूर हूं। सुरक्षा अधिकारियों की सलाह के बाद ही मैंने यह कदम उठाया। हम तालिबान से बातचीत कर रहे थे, लेकिन यह बेनतीजा रही। बता दें कि अशरफ गनी 15 अगस्त को अफगानिस्तान से भाग गए थे और इनपर देश के पैसे लेकर भागने का आरोप भी लगा है। इस समय ये अबू धाबी मेंं हैं।

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