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12 अरब रुपये लेकर विदेश भागे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी, कहा- मैं तो जूते भी नहीं पहन सका

अफगानिस्तान के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हालात बिगड़ते देख और डर के साये में खुद राष्ट्रपति तक अपना देश छोड़कर भाग चुके हैं. तालिबान ने लगभग-लगभग अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. कई बड़े शहर और राजधानियां तालिबान के नियंत्रण में आ चुके हैं. यहां तक कि तालिबान ने अपनी सरकार भी बना ली है.

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अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़कर भागने में ही अपनी भलाई समझी. पहले बताया गया कि वे ताजिकिस्तान में शरण ले चुके हैं, हालांकि अब खबरें हैं कि मानवता के आधार पर UAE ने उन्हें शरण दी है. कुछ दिनों बाद अब खुद गनी भी सामने आए हैं. बता दें कि, उन्होंने हाल ही में एक वीडियो जारी किया है और काफी कच्छ कहा है.

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बता दें कि, संकट की घड़ी में जब देश को अशरफ़ गनी की आवश्यकता थी तब वे पीठ दिखाकर भाग गए. अपनी प्रजा को उन्होंने मुश्किल में मरने के लिए छोड़कर धीरे से भाग निकलने में भलाई समझी. इसे लेकर उनकी खूब आलोचना भी हो रही है और उन्हें काफी भला बुरा भी कहा जा रहा है. वहीं उन पर यह आरोप भी लगे है कि वे अफगानिस्‍तान के सरकारी खजाने से 12 अरब रुपये लेकर फरार हुए है. हालांकि अब खुद पर लग रहे इस तरह के आरोपों पर खुद अशरफ़ गनी ने सफ़ाई दी है. गौरतलब है कि, अफगानिस्‍तान से भागकर संयुक्‍त अरब अमीरात पहुंचे अशरफ ने एक वीडियो साझा किया है.

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बुधवार को जारी किए अपने एक वीडियो में उन्होंने बताया कि, तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल का घेराव कर लिया था. अपने देश छोड़ने के पीछे की वजह बताते हुए गनी ने कहा कि, तालिबान से बचने और देश में रक्‍तपात को रोकने के लिए उन्होंने अफगानिस्तान को छोड़ना ही बेहतर समझा. वे कहते हैं कि, उन्हें यह सब इतनी जल्दी करना पड़ा कि वे सैंडल जूते तक नहीं पहन पाए.

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अपने वीडियो में अशरफ़ ने बताया कि, ‘मैंने केवल एक वेस्‍टकोट और कुछ कपड़े लेकर गया. मेरी चारित्रिक हत्‍या करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि मैं पैसा लेकर भागा हूं. ये आरोप बेबुनियाद हैं. आप कस्‍टम विभाग के अधिकारियों से भी पूछ सकते हो. वे आधारहीन हैं. मैं अपने सैंडल उतारकर उनकी जगह पर जूते भी नहीं पहन सका. मुझे अफगानिस्‍तान से बाहर ले जाया गया.’

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गनी आगे कहते हैं कि, ‘अगर मैं रुका होता तो मैं काबुल में रक्‍तपात का गवाह बनता. मैंने सरकारी अधिकारियों की सलाह पर अफगानिस्‍तान को छोड़ा है. काबुल को सत्‍ता के संघर्ष में एक और यमन या सीरिया में नहीं बदलना चाहिए, इस वजह से मैं देश छोड़ने को मजबूर हुआ.’

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गौरतलब है कि, तजाकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मोहम्मद जहीर अघबार ने गनी पर बड़ा आरोप लगते हुए कहा था कि, गनी अफगानिस्तान से भागते समय देश के सरकारी कोष से 16.9 करोड़ डॉलर की ‘चोरी’ करके ले गए है. इतना ही नहीं गनी को लेकर मोहम्मद जहीर अघबार ने यह भी कहा था कि, अशरफ गनी को अंतरराष्ट्रीय पुलिस द्वारा गिरफ़्तार कर लिया जाना चाहिए.

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