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जालिम परिवार: घर के चिराग को 10 साल जंजीर से बांधकर रखा, हालत देख दुश्मन का कलेजा भी कांप जाए

एक आदर्श परिवार वह होता है जो एक दूसरे के सुख और दुख में काम आए। जब किसी की तबीयत खराब हो तो उसका अच्छे से ख्याल रखे। हर दुख दर्द में परिवार के सदस्यों का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे परिवार से मिलाने जा रहे हैं जिसने अपने घर के चिराग, अपने बेटे को दस सालों से एक ही कमरे में कैद कर के रखा था। इतना ही नहीं उन्होंने पीड़ित शख्स को जंजीरों से बांधकर भी रखा था।

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कमरे में 10 सालों से जंजीरों से बंद इस शख्स की हालत बहुत ही खराब हो गई थी। उसका हाल देख दुश्मन का कलेजा भी कांप उठे। मानवता को शर्मसार करने वाला यह मामला हरियाणा के अंबाला जिले में देखने को मिला है। यहां न सिर्फ इंसानियत बल्कि रिश्ते भी कलंकित हुए हैं। तो आखिर वह क्या वजह थी जो परिवार ने अपने सुपुत्र को दस सालों से लोहे की जंजीरों से जकड़ के रखा था? चलिए जानते हैं।

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यह पूरा मामला अंबाला जिले के फतेहपुर गांव का है। यहां एक सामाजिक आशियाना आश्रम संस्था टीम के एक सदस्य को जानकारी मिली कि गांव में एक घर में एक शख्स को पिछले दस सालों से परिवारवालों ने लोहे की जंजीरों से बांधकर रखा है। ऐसे में वह अपनी आशियाना आश्रम संस्था टीम के साथ पीड़ित शख्स के घर जा पहुंचे। यहां पीड़ित की हालत देख वे भी दंग रह गए।

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पीड़ित व्यक्ति कई महीनों से नहाया नहीं था। वह जंजीरों में बंधा हुआ बहुत ही बुरी हालत में था। उसकी हालत जंजीर से बंधे जानवर से भी बुरी थी। परिवार वाले उसे एक पल के लिए भी जंजीरों से आजाद नहीं करते थे। कमरे के बाहर वह दस सालों से नहीं निकला था। ऐसे में संस्था के लोगों ने सबसे पहले उसे जंजीरों से आजाद किया और फिर नहला दिया। इसके बाद उसके कपड़े भी बदले गए।

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गांव के लोगों ने संस्था की टीम को बताया कि पीड़ित शख्स दीमागी तौर पर कमजोर है। वह मंदबुद्धि था जिसके चलते उसके घरवालों ने उसे बीते दस वर्षों से जंजीर से बांधकर कमरे में कैद कर रखा था। उन्होंने ये भी बताया कि घरवालों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसके चलते वे अपने बेटे का किसी बड़े डॉक्टर से इलाज नहीं करवा पा रहे हैं।

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पीड़ित की मां और भाई ने बताया कि उनके घर का चिराग दिमागी रूप से कमजोर है। उन्होंने शुरुआत में कई सालों तक उसकी देखभाल भी की, लेकिन जब उसकी हालत में कोई सुधार नहीं दिखा तो मजबूरी में उसे जंजीरों से बांध दिया। परिवार का कहना है कि बड़े डॉक्टर से बेटे का इलाज करवाने लायक हमारी हैसियत नहीं है। हम गरीब लोग है। हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि इसका इलाज करवा सके।

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सामाजिक संस्था के सदस्य राजकुमार बताते हैं कि हम पीड़ित शख्स को अपने साथ ले जा रहे हैं। अब इसकी देखभाल हमारी संस्था करेगी। वह आशियाना संस्था में ही रहेगा। हम इसका इलाज भी करवाएंगे।

वैसे इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है? क्या परिवार ने अपने मंदबुद्धि बेटे को इस तरह कैद कर सही किया?

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