राजनीति

2014 चुनाव जीतने के बाद में मोदी से अलग हो गए थे प्रशांत किशोर, जानिए क्या रही थी वज़ह

अमित शाह नहीं थे कारण बल्कि इस वज़ह से प्रशांत किशोर ने छोड़ा था बीजेपी का साथ।

प्रशांत किशोर भले ही लंबे समय तक सक्रिय राजनीति का हिस्सा न रहें हो, लेकिन उन्होंने कईयों का राजनीतिक भविष्य जरूर सँवारा है। जी हां उन्होंने पोलिटिकल कैम्पेन के माध्यम से कई पार्टियों के लिए राजनीतिक हवा बनाने का काम किया। जिसके बाद कई राजनेता कुर्सी तक भी पहुँचें। ज़्यादा दूर मत जाइए। बीते पश्चिम बंगाल चुनाव को ही देख लीजिए। प्रशांत किशोर ने बंगाल में ममता बनर्जी को जिताने का ज़िम्मा उठाया और वे उसमें सफ़ल भी रहें।

बता दें कि प्रशांत किशोर ने कई चुनावों के लिए रणनीति बनाई है। कई में उन्हें सफ़लता मिली तो कुछ में वे नाक़ाम भी रहें। वहीं बता दें कि प्रशांत किशोर ने बतौर रणनीतिकार अपने करियर का जो वर्ष मील का पत्थर माना है। वह साल 2014 है। जी हां प्रशांत किशोर कहते हैं कि, “उस चुनाव के बाद अन्य राजनीतिक पार्टियों को भी मुझपर विश्वास होने लगा। क्योंकि उसमें एक अच्छी जीत बीजेपी को मिली थी।”

गौरतलब हो कि 2014 के चुनाव के बाद प्रशांत किशोर की राह बीजेपी से अलग हो गई थी। उन्होंने इसके बाद साल 2015 में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रही जेडीयू के लिए रणनीति बनाई। तो आइए जानते हैं कि आख़िर प्रशांत किशोर ने क्यों बनाई नरेंद्र मोदी और बीजेपी से दूरी और इस विषय पर उनका क्या है कहना…

बता दें कि प्रशांत किशोर से आज भी कई बार बीजेपी से अलग होने की वजह के बारे में पूछा जाता है। वहीं एक इंटरव्यू में उन्होंने इसके बारे में बताया था।

prashant kishor Vs Amit Shah

प्रशांत किशोर ने ‘ISB लीडरशिप समिट’ में बताया था कि, ” मैंने कभी भी पैसों के लिए काम नहीं किया। ऐसा नहीं है कि बीजेपी को छोड़कर जेडीयू में जाने पर मुझे कोई बहुत मोटा चेक मिला था। हम एक इंस्टीट्यूशन सेटअप चाहते थे। ये एक तरह से प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए ही काम करता। इसके अलावा मैं चाहता था कि देश में लेटरल एंट्री होनी चाहिए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि नेता कितना काबिल है, जबतक कि हम चीजों को विकेन्द्रित नहीं करेंगे।”

prashant kishor Vs Amit Shah

प्रशांत किशोर आगे कहते हैं कि, “मेरा विश्वास है कि ऐसा जरूरी नहीं है कि बेस्ट टैलेंट सरकार में गया हो। इसलिए सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए कि कामयाब और टैलेंटेड लोग आएं और सरकार के लिए काम करें। हमने ऐसे ही कैग (CAG)  बनाया। मैं कहना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी इस आइडिया पर काम करना चाहते थे और उन्होंने मेरा आइडिया सुना भी। वह बिल्कुल प्रधानमंत्री बने ही थे और कुछ समय लेना चाहते थे।”

prashant kishor Vs Amit Shah

प्रशांत किशोर बताते है कि सरकार बनने में पहले मोदी भी इस बात पर सहमत थे, लेकिन कहते हैं न कि दायित्व बढ़ने के साथ काम भी बढ़ जाते हैं। ऐसा ही मई के बाद कुछ प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी के साथ भी हुआ और लैटरल इंट्री की बात ठंडे बस्ते में चली गई।जिसके बाद प्रशांत किशोर ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनसे इस मुद्दे पर बात की। वो कहते रहे कि इसे उस मंत्रालय में लेते, इसे इस मंत्रालय में लेते हैं। शायद वो थोड़ा समय मांग रहे थे। मैं स्वाभाविक रूप से बेसब्रा हूं।

prashant kishor

सितंबर या अक्टूबर में मैंने उन्हें कहा कि आपने C.A.G बनाते समय तो पूछा नहीं। शायद वो थोड़ा समय लेना चाहते थे। फिर मैंने नवंबर में नीतीश कुमार से मुलाकात की। वह मुझे अच्छे से जानते हैं और मैं भी उन्हें अच्छे से जानता हूं। इतना ही नहीं प्रशांत किशोर कहते है कि कई जगहों पर मुझसे भी गलती हुई। मैंने नीतीश कुमार के लिए इसी शर्त पर काम किया था कि आप मुझे काम करने देंगे और अपने तरीके से काम करने देंगे। उन्होंने मेरी बात मानी लेकिन वहां मेरी ही गलत रही। मैं वहां बीच में ही छोड़कर आ गया। आज भी बिहार में इस पर काम हो रहा है।

अपना अस्तित्व बचाने के लिए जदयू चुनी…

अमित शाह के साथ तुलना और मतभेद पर प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, “मैं अपनी तुलना अमित शाह से कैसे कर सकता हूं। जब उनसे पूछा गया कि आपने जदयू क्यों जॉइन की? इस पर प्रशांत का कहना था कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए, न कि अमित शाह का मुकाबला करने के लिए।

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