अध्यात्म

दुनिया का एकमात्र जीवित शिवलिंग जिसकी हर साल बढ़ती है लंबाई, दुनिया के अंत दे रहा चेतावनी

मतंगेश्वर मंदिर में स्थित शिवलिंग को जीवित माना जाता है। लोगों के अनुसार ये दुनिया का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है। जिसका आकार लगातार बढ़ रहा है। इस शिवलिंग की लंबाई 9 फीट से ऊपर हो गई है। दूर-दूर से लोग इस चमत्कारी शिवलिंग को देखने के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार इस शिवलिंग का आकार हर साल बढ़ता है। पुजारियों की बात पर यकीन किया जाए तो शिवलिंग़ प्रतिवर्ष 1 इंच और ऊंचा हो जाता है।

matangeshwar temple shivling

यहां के स्थानीय लोगों का भी कहना है कि इस शिवलिंग का आकार सदियों से बढ़ रहा है। इन्होंने अपनी आंखों से इस शिवलिंग के आकार को बढ़ता हुआ देखा है। स्थानीय लोगों की मानें तो ये शिवलिंग पहले छोटा हुआ करता था। लेकिन प्रति वर्ष इसका आकार इस तरह से बढ़ता गया कि ये अब 9 फीट का हो गया है।

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धरती के नीचे है समाया

इस शिवलिंग के साथ कई तरह की खासियत भी जुड़ी हुई हैं। ये शिवलिंग धरती से जितना ऊपर है, उतना ही धरती के नीचे भी समाया हुआ है। शिवलिंग से कई तरह की कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। स्थानीय लोग की मानें तो जिस दिन ये शिवलिंग बढ़ते हुए पाताल लोक को स्पर्श कर लेगा। उस दिन ये दुनिया पुरी तरह से खत्म हो जाएगी। उस दिन दुनिया का अंत निश्चित है।

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शिवलिंग से जुड़ी कथा

शास्त्रों में इस जीवित शिवलिंग का उल्लेख मिलता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने युधिष्ठिर को एक चमत्कारी मणि सौंपा था। जिसे युधिष्ठिर ने मतंग ऋषि को दे दिया था। किसी तरह से ये मणि राजा हर्षवर्मन के पास आ गया। राजा ने इस मणी को जमीन के नीचे गाढ़ दिया। कथा के अनुसार जमीन में ये मणि गाढ़ने के बाद इसका आकार बढ़ने लगा और इसने शिवलिंग का रुप ले लिया। मतंगेश्वर मंदिर में स्थित इस शिवलिंग का निर्माण मणि से हुआ है।

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चंदेल वंश के राजाओं ने किया था निर्माण

मध्यप्रदेश के छत्तरपुर के खजुराहो में स्थित मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण चंदेल वंश के राजाओं द्वारा किया गया था। इस मंदिर को 9वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर को भव्य तरीके से बनाया गया है। मतंगेश्वर मंदिर 35 फिट के क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर का गर्भगृह बेहद ही सुंदर है। मतंगेश्वर मंदिर करीबन ई.स 900 से 925 के समय का माना जाता है।

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मंदिर की वास्तुकला खजुराहो के अन्य मंदिरो से अलग है और मंदिर के स्तंभ और दीवारों पर खजुराहो के अन्य मंदिरों की तरह कामुक प्रतिमाएं नहीं बनाई गई है।

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वैज्ञानिकों के हाथ भी नहीं लगा कुछ

किस तरह से इस शिवलिंग का आकार बढ़ रहा है। इसपर कई तरह के शोध भी किए गए। लेकिन वैज्ञानिकों के हाथ कुछ नहीं लगा।वैज्ञानिकों ने इस शिवलिंग के रहस्य को खोजने की काफी कोशिश की। लेकिन नाकाम रहे और आज तक कोई शिवलिंग के बढ़ने का कारण पता नहीं लगा सका है।

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कब जाएं

मतंगेश्वर मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी महीने का है। इस समय दुनिया भर से लोग इस मंदिर में आते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं। खजुराहो में हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन मौजूद है। इसलिए देश के किसी भी कोने से यहां पर आसानी से पहुंच जा सकता है।

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