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सरकार का कर्तव्य है कि नोटबंदी से जुड़े सभी तथ्यों की जानकारी दे: श्रीधर आचार्युलु!

नोटबंदी सरकार का अब तक का सबसे बड़ा फैसला रहा है। सरकार के इस फैसले से जनता को कुछ समय के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ी थी, लेकिन अब सब सामान्य हो गया है। नोटबंदी का फैसला सरकार का सबसे क्रांतिकारी फैसला था। इससे देश के अन्दर कई बदलाव हुए। सरकार ने नोटबंदी को लेकर जो-जो वादे किये थे, वो सभी लगभग पूरे हुए हैं।

नोटबंदी का फैसला काले धन और जाली नोटों के बढ़ते व्यापर पर लगाम लगाने के उद्देश्य से लिया गया था। काला धन काफी हद तक खत्म हो चुुका है और जाली नोटों के कारोबार पर भी रोक लगी हुई है। हालांकि अब भी कुछ लोग जाली नोटों का कारोबार कर रहे हैं, जिन पर सरकार नकेल कसने की कोशिश कर रही है।

लोगों ने जमकर किया था नोटबंदी का समर्थन:

नोटबंदी को लेकर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरने की कोशिश की लेकिन नाकामयाब रही। सरकार के फैसले को विपक्ष जनता के हित के लिए सही नहीं बता रहा था, जबकि भारतीय जनता ने मोदी सरकार के इस फैसले का दिल खोलकर स्वागत किया था। लोगों को नोटबंदी से जरा भी दिक्कत नहीं थी। लोगों को तो यह खुशी थी कि अब काला धन रखने वालों की हालत खराब हो जाएगी।

किले को बाहुबली भी ना तोड़ पाए:

अभी हाल ही में केन्द्रीय सूचना आयोग ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि नोटबंदी से जुड़े हुए सभी सरकारी विभागों का कर्तव्य बनता है कि वह इस बड़े फैसले के पीछे प्रासंगिक तथ्यों और कारणों की जानकारी दें। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी के फैसले पर ऐसा अभेदी और फौलादी किला बनाया है, जिसे बाहुबली भी ना तोड़ पाए। उन्होंने यह भी कहा कि सूचना को रोके रखने से अर्थव्यवस्था को लेकर गंभीर शंकाएं पैदा हो सकती हैं।

नोटबंदी से जुड़े किसी भी सवाल को किया गया था खारिज:

आचार्युलु ने ब्लॉक बस्टर फिल्म बाहुबली का उदाहरण देते हुए कहा कि कानून के शासन और एक लोकतान्त्रिक देश में नोटबंदी जैसे सार्वजानिक मामले के चारों ओर लोहे के ऐसे किले बनाने के नजरिये को स्वीकार करना बहुत ही मुश्किल है, जिन्हें बाहुबली जैसा बलवान भी ना तोड़ पाए। इस बयान को लेकर इस समय काफी चर्चा हो रही है। इससे पहले नोटबंदी से जुड़े किसी भी सवाल के जवाब के लिए डाली गयी आरटीआई को प्रधानमंत्री कार्यालय और रिजर्व बैंक ने खारिज कर दिया था।

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