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मशहूर कलाकार दिलीप कुमार का पार्थिव शरीर लेकर घर निकलीं सायरा बानो, देखें तस्वीरें…

यूसुफ़ खान उर्फ़ दिलीप कुमार का आज सुबह निधन हो गया। बता दें कि दिलीप कुमार को उनके दौर का एक बेहतरीन अभिनेता माना जाता है। त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ‘ट्रेजिडी किंग’ भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज़’ से भी सम्मानित किया गया है।

Actor Dileep Kumar Death

‘ज्वार भाटा’ फ़िल्म से अपने करियर की शुरुआत करने वाले दिलीप कुमार आज इस नश्वर संसार को छोड़कर परलोकवासी हो गए है। जिसके बाद बॉलीवुड अदाकारा सायरा बानो कुछ देर पहले ही अपने दिवंगत पति दिलीप कुमार का पार्थिव शरीर लेकर अस्पताल से घर की ओर रवाना हुई। बता दें कि दिलीप कुमार की मृत्यु हिन्दुजा अस्पताल में आज सुबह ही हुई है। कलाकार दिलीप कुमार को सांस लेने में दिक्कत के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से वो कभी लौट नहीं पाए।

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गौरतलब हो कि अदाकारा सायरा बानो ने आखिरी समय तक दिलीप कुमार का ख्याल रखा। दिलीप कुमार की तबीयत काफी समय से खराब चल रही थी लेकिन सायरा बानो ने कभी उनका साथ नहीं छोड़ा। वहीं कलाकार दिलीप कुमार का पार्थिव शरीर सफेद चादर में ढका हुआ अस्पताल से बाहर आया। जिसके बाद दिलीप कुमार के चाहने वाले अस्पताल के बाहर इकट्ठे होने लगे। जिस कारण एक्टर के पार्थिव शरीर को कड़ी मशक्कत के बाद घर की ओर रवाना किया गया।

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मालूम हो कि दिलीप कुमार के पार्थिव शरीर को घर की ओर रवाना करते समय कोरोना नियमों का पूरा ख्याल रखा गया। दिलीप कुमार के अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान पर रखा जाएगा। जहां उनके चाहने वाले उनका अंतिम दर्शन कर पाएंगे।

Actor Dileep Kumar Death

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बता दें कि दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 में विवाह किया था। विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो 22 वर्ष की थी। इसके बाद वर्ष 1980 में दिलीप कुमार ने ‘आसमां’ से दूसरी शादी भी की थी। वे वर्ष 2000 में राज्यसभा के सदस्य भी मनोनीत हुए थे।

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इतना ही नहीं, दिलीप कुमार ने हर दशक के लोगों को अपनी एक्टिंग से प्रेरित किया है। उनका निराला अंदाज सभी के दिल में बसा हुआ है। भले ही वह अब हम सभी के बीच नहीं होंगे, लेकिन उनकी यादें और उनकी कलाकारी हम सभी कभी नहीं भूल सकते। दिलीप कुमार की जिंदगी से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है। इन्हीं किस्सों में से एक किस्सा यह है कि दिलीप कुमार को एक बार अंग्रेजों के खिलाफ भाषण देना भारी पड़ गया था जिसकी वजह से उन्हें जेल की हवा तक खानी पड़ी थी।

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अपने जेल जाने के किस्से के बारे में दिलीप कुमार ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘द सब्सटांस एंड शेडो’ में बताया था। ये उन दिनों की बात है जब दिलीप कुमार को अपने पिता की मदद करने के लिए पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी पड़ी थी। बता दें कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से दिलीप कुमार ने मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर क्लब में बतौर मैनेजर नौकरी करना शुरू कर दिया था। फिर ऐसा कुछ हुआ कि वह फ़िल्मी दुनिया में आ गए।

अंग्रेजों के खिलाफ भाषण देना पड़ा भारी…

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ये आजादी से पहले की बात है जब दिलीप कुमार मिलिट्री कैंटिन में काम करते थे तो उनके सैंडविच सभी को बहुत पसंद आते थे। वह इसके लिए बहुत मशहूर भी हो गए थे। भारत में अंग्रेजों के राज के दौरान दिलीप कुमार ने एक दिन स्पीच दे डाली थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत की लड़ाई एकदम सही है। अग्रेंजी शासक गलत हैं। बस फिर क्या था। अंग्रेजों के विरोध में भाषण देने की वजह से दिलीप कुमार को येरवाड़ा जेल भेज दिया गया था। उस समय वहां कई सत्यग्राही भी जेल में बंद थे।

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दिलीप कुमार ने अपनी किताब में बताया था कि उस समय सत्याग्राहियों को गांधीवाले कहा जाता था। दूसरे कैदियों का सपोर्ट करते हुए उन्होंने भी भूख हड़ताल कर दी थी। अगले दिन दिलीप कुमार को जेल से छोड़ दिया गया था। उन्होंने बताया था कि अगले दिन सुबह जब मेरे जान पहचान के एक मेजर आए तो मुझे जेल से छोड़ दिया गया था और तब से मैं भी गांधीवाला बन गया था। ऐसे में दिलीप कुमार भले अब हमारे बीच नहीं रहेंगे लेकिन उनके कई किरदार सदैव हम सभी के बीच जीवंत रहेंगे। दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि। ॐ शांति ॐ!

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