अध्यात्म

जीवन में धन संकट आने पर पढ़ लें शनि देव की ये कथा, पैसों से भर जाएगा घर

शनिवार के दिन शनि देव की पूजा की जाती है। इस दिन शनि देव की पूजा करने से साढ़े साती और ढैय्या से रक्षा होती है। दरअसल शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। मान्यता के अनुसार शनि देव हर किसी को उनके कर्म के अनुसार फल देते हैं। जो लोग अच्छे कर्म करते हैं। उन्हें अच्छा फल देते हैं और जो लोग बुरा कर्म करते हैं। उन्हें दंड देते हैं। इसके अलावा शनिवार को शनि देव की पूजा करने से धन से जुड़ी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। जीवन में धन संकट आने पर आप बस शनिवार के दिन इनकी पूजा करें। पूजा करते हुए शनिदेव को तेल और एक रुपये चढ़ा दें। साथ में नीचे बताई गई कथा को पढ़ लें।

Shani dev

मान्यता है कि जो लोग इस कथा को पढ़ते हैं। उनके जीवन में धन की कमी कभी नहीं आती है। आइए जानते हैं ये पौराणिक कथा।ब्रह्मपुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के लिए शनिदेव की पत्नी ऋतु स्नान कर उनके पास आई। मगर शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के ध्यान में लीन थे। उन्हें बाह्य संसार की सुधि ही नहीं थी। उनकी पत्नी ने काफी प्रतीक्षा की और थक कर सो गई। जिसके कारण ऋतु काल निष्फल हो गया।

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ऐसा होने से उन्हें क्रोध आ गया और गुस्से में आकार उन्होंने शनिदेव को श्राप दे दिया। श्राप देते हुए उन्होंने कहा कि आज से जिसे तुम देखोगे, वह नष्ट हो जाएगा। वहीं ध्यान टूटने पर शनिदेव ने अपनी पत्नी को मनाया। शनिदेव की पत्नी को अपनी गलती का एहसास हो गया है और श्राप को लेकर खूब पश्चाताप भी हुआ। किंतु श्राप के प्रतिकार की शक्ति उनमें नहीं थी। तभी से शनिदेव अपना सिर नीचा करके रहने लगे। क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि किसी का अनिष्ट हो।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह यदि रोहिणी भेद दे। तो पृथ्‍वी पर 12 वर्षों का घोर दुर्भिक्ष पड़ जाए और प्राणियों का बचना कठिन हो जाए। शनि ग्रह जब रोहिणी भेदन कर बढ़ जाता है। तब ये योग आता है। ये योग महाराज दशरथ के समय में आया था। इस योग को रोकने के लिए महाराज दशरथ ने शनिदेव से युद्ध करने तक की ठान ली थी।

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प्रजा को इस कष्ट से बचाने के लिए महाराज दशरथ अपने रथ पर सवार होकर नक्षत्र मंडल में पहुंच गए थे। शनिदेव को देखकर उन्होंने पहले उन्हें प्रणाम किया। इसके बाद क्षत्रिय धर्म के अनुसार उनसे युद्ध करने की बाक कही। शनि देव दशरथ की कर्तव्यनिष्ठा से अति प्रसन्न हुए। प्रसन्न होकर उन्होंने शनि देव से वर मांगने को कहा। जिसके बाद शनि देव से महाराज दशरथ ने वर मांगा कि जब तक सूर्य, नक्षत्र आदि विद्यमान हैं। तब तक आप संकट भेदन न करें। शनिदेव ने उनको ये वर दे दिया। साथ में दशरथ ने ये वर भी शनिदेव से मांग की जो लोग उनकी पूजा हर शनिवार को करेंगे। वो उन्हें कभी भी कष्ट नहीं देंगे।  कहा जाता है कि शनिवार महाराज दशरथ और शनिदेव की ये कथा पढ़ने से धन संकट दूर होता जाता है।

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