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ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना होगा आसान, नहीं लगाने पड़ेगे आरटीओ के चक्कर। जानिए क्या कहता है नया नियम…

1 जुलाई से Driving License के नए नियम, अब बिना टेस्ट दिए ही मिल जाएगा लाइसेंस!

 

new regulation of driving licence

गाड़ी ड्राइव करना हर किसी को पसंद होता है। सभी के मन की यह ख्वाहिश होती है कि जब गाड़ी की स्टेरिंग उनके हाथ में हो। तो बस वे लांग ड्राइव पर निकल जाएं, लेकिन कई बार यह ड्राइविंग का शौक़ कुछ लोगों पर भारी पड़ जाता है। गाड़ी ड्राइव करते वक्त कुछ ध्यान देने वाली बातें होती है। जिनमें से सबसे ज़्यादा जरूरी बात यह होती है कि चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस अवश्य हो। वरना उसे मुसीबतों से गुजरना पड़ सकता है। अभी तक देश में ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर काफ़ी पचड़ा था। अगर किसी को गाड़ी ड्राइव करनी है तो पहले उसे आरटीओ ऑफिस जाकर गाड़ी चलानी आती या नहीं उसका सबूत पेश करना पड़ता था, लेकिन अब इस नियम को आसान बनाने की तरफ़ सरकार बढ़ गई है।

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जी हां अब आपको ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ (RTO) जाकर ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सड़क और परिवहन मंत्रालय ने ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों में बदलाव किया है, जिससे करोड़ों लोग जो ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की कोशिश में लगे हैं, लेकिन वेटिंग लंबी होने की वजह से काफी समय लग रहा है, उन्हें अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और न ही आरटीओ ऑफिस (RTO) के बार-बार चक्कर लगाने पड़ेंगे।

बार-बार आरटीओ (RTO) की झंझट अब होगी दूर?…

सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से जारी नए नियमों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जिसने किसी भी सरकारी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर से टेस्ट पास किया है तो उसे लाइसेंस के लिए अप्लाई करते वक्त आरटीओ (RTO) में होने वाले ड्राइविंग टेस्ट से मुक्त रखा जाएगा, यानी उसे RTO में ड्राइविंग टेस्ट नहीं देना होगा। उसका ड्राइविंग लाइसेंस प्राइवेट ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के सर्टिफिकेट पर ही बना दिया जाएगा।

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1 जुलाई से लागू हो रहें नए नियम…

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ड्राइविंग लाइसेंस के नए नियम 1 जुलाई से लागू हो जाएंगे, जो उन निजी ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स को ही काम करने की इजाजत देंगे, जिन्हें राज्य ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की ओर से या फिर केंद्र सरकार की तरफ से मान्यता दी गई हो। इन ट्रेनिंग सेंटर्स की मान्यता 5 साल के लिए होगी, इसके बाद उन्हें सरकार से रीन्यूअल करवाना होगा। वही सरकार के इस कदम से निजी प्राइवेट ट्रेनिंग स्कूल की अलग से इंडस्ट्री खड़ी हो सकती है।


क्या कहते है ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े नए नियम…

 

ट्रेनिंग सेंटर्स को लेकर सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से कुछ गाइडलाइंस और शर्तें भी हैं। जिसमें ट्रेनिंग सेंटर्स के क्षेत्रफल से लेकर ट्रेनर की शिक्षा तक शामिल है। आइए जानते है नए नियम में किन-किन बातों का यह ज़िक्र…

1) अधिकृत एजेंसी ये सुनिश्चित करेगी की दोपहिया, तिपहिया और हल्के मोटर वाहनों के ट्रेनिंग सेंटर्स के पास कम से कम एक एकड़ जमीन हो, मध्यम और भारी यात्री माल वाहनों या ट्रेलरों के लिए सेंटर्स के लिए दो एकड़ जमीन की जरूरत होगी।

2) ट्रेनर कम से कम 12 वीं कक्षा पास हो और कम से कम पांच साल का ड्राइविंग अनुभव होना चाहिए, उसे यातायात नियमों का अच्छी तरह से ज्ञान होना चाहिए।

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3) मंत्रालय ने एक शिक्षण पाठ्यक्रम भी निर्धारित किया है। हल्के मोटर वाहन चलाने के लिए, पाठ्यक्रम की अवधि अधिकतम 4 हफ्ते होगी जो 29 घंटों तक चलेगी। इन ड्राइविंग सेंटर्स के पाठ्यक्रम को 2 हिस्सों में बांटा जाएगा। जिसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनो शामिल होगा।

4) लोगों को बुनियादी सड़कों, ग्रामीण सड़कों, राजमार्गों, शहर की सड़कों, रिवर्सिंग और पार्किंग, चढ़ाई और डाउनहिल ड्राइविंग वगैरह पर गाड़ी चलाने के लिए सीखने में 21 घंटे खर्च करने होंगे। थ्योरी हिस्सा पूरे पाठ्यक्रम के 8 घंटे शामिल होगा, जिसमें रोड शिष्टाचार को समझना, रोड रेज, ट्रैफिक शिक्षा, दुर्घटनाओं के कारणों को समझना, प्राथमिक चिकित्सा और ड्राइविंग ईंधन दक्षता को समझना शामिल होगा।

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