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डॉक्टरों ने 6 साल के बच्चे को कर दिया था मृत घोषित, मां पुकारती रही और चलने लगी मासूम की सांसें

कहते हैं जन्म और मरण ये दोनों ही ऊपर वाले के हाथ में होता है। जब तक वह नहीं चाहे न तो आपका जन्म इस धरती पर हो सकता है और न ही आप मारकर स्वर्ग जा सकते हैं। इस बात को लेकर एक प्रचलित कहावत भी है ‘जाको राखे साइयां मार सके न कोय’। इसका अर्थ है कि जिसके ऊपर भगवान का साया होता है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। आज हम आपको ऐसे ही एक चमत्कार के बारे में बताने जा रहे हैं जो हरियाणा के बहादुरगढ़ में देखने को मिला है।

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यहां 7 साल का एक बच्चा मारकर फिर से जिंदा हो गया। उसके जिंदा होने की कड़ी दादी से जुड़ी। दादी अपने मरे पोते का मुंह आखिरी बार देखना चाहती थी। उसकी यह जिद ही बच्चे को श्मशान घाट की बजाय अस्पताल ले गई और वह फिर से जिंदा हो गया। यह चमत्कारी घटना अब देश विदेश में सुर्खियों का हिस्सा बनी हुई है। चलिए इस पूरे मामले को विस्तार से जानते हैं।

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7 साल का कुनाल हरियाणा के बहादुरगढ़ के किला मोहल्ला में रहता है। उसके पिता हितेष कपड़े की दुकान चलाते हैं। कुछ समय पहले कुनाल को टाइफाइड हो गया था। उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी। ऐसे में परिजन उसे स्थानीय अस्पताल ले गए। हालांकि यहां वह ठीक नहीं हुआ जिसके बाद उसे दिल्ली ले जाया गया। यहां दिल्ली के अस्पताल में कुछ समय उसका इलाज चला लेकिन फिर उसकी सांसे लगभग थम चुकी थी। ऐसे में परिजन उसे मृत समझ घर ले आए।

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परिवार में बेटे की मौत की खबर सुनकर रोना धोना शुरू हो गया। रिश्तेदारों का जमावड़ा भी लगने लगा। परिजन बर्फ का इंतजाम करने लगे। श्मशान घाट की तलाश भी शुरू हो गई। । मां घर पर रोते हुए मृत बेटे के शव को बार-बार जिंदा होने के लिए पुकार रही थी जितने में मासूम की सांसे फिर से चलने लग गई। बता दें कि किला मोहल्ले के निवासी विजय शर्मा के पौते कुणाल शर्मा को 26 मई को दिल्ली के डॉक्टरों ने टाइफाइड से मृत घोषित करके शव को पैक करके बेटे के पिता हितेश और मां जानवी को सौंप दिया था। लेकिन घर जाकर वह फिर से जिंदा हो गया।

26 मई को दिल्ली के अस्पताल में कुणाल के माता पिता अपने 6 साल के बेटे का शव लेकर चारों तरफ से निराश होकर बहादुरगढ़ अपने घर पहुंच गए थे। डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया था जिसके बाद पापा और मां ने बेटे के अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली। यह तय हुआ कि कुणाल के मामा के घर उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा, लेकिन दादी ने अपने पोते का चेहरा देखने की जिद की तब कुणाल के पापा उसे घर लेकर आये। दादी अगर कुणाल की शक्ल देखने की जिद ना करती तो कुणाल का अंतिम संस्कार हो चुका होता।

मां जानवी और बच्चे की ताई अन्नु ने बच्चे को रोते हुए बार-बार प्यार से हिला कर उसे जिंदा होने के लिए पुकार रही थी। कुछ देर बाद पैक हुए शव में कुछ हरकत देखी तो दादा विजय शर्मा को खबर दी। इसके बाद पिता हितेश ने बच्चे का चेहरा चादर की पैकिंग से बाहर निकाला और अपने लाडले को मुंह से सांस देने लगा। कुछ देर अपने बेटे को सांस देने के बाद जब उसके शरीर में कुछ हरकत दिखाई दी तो पड़ोसी सुनील ने बच्चे की छाती पर दबाव देना शुरू किया, जैसा इन लोगों ने फिल्मों में देखा था।

इस बीच बच्चे ने अपने पापा के होंठ पर काट खाया। इसके बाद मोहल्ले के लोग बच्चे को 26 मई की रात को रोहतक के एक प्राइवेट अस्पताल में ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे 15 फीसदी ही बचने की संभावना बताई पर वह धीरे-धीर ठीक हो गया और मंगलवार को अपने घर पर पहुंच चुका है। अब बच्चे का पिता हितेश अपने मुंह पर बेटे द्वारा दिए घाव को दिखाकर बेटे के मरने और फिर जिंदा होने की खुशी मना रहे हैं।

बच्चे के दादा विजय शर्मा ने बताया कि पौते की मौत पर रात को नमक की बोरी और बर्फ की व्यवस्था कर दी थी। उन्होंने मोहल्ले वालों को सुबह श्मशानघाट पर पहुंचने को कह दिया था लेकिन पोते को इस तरह जिंदा होने को वह चमत्कार बता रहे हैं। मां ने कहा कि भगवान ने उनके बेटे में फिर से सांसें डाली हैं।

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फिर एम्बुलेंस से बच्चे को को बहादुरगढ़ के अस्पताल ले जाया गया। लेकिन यहां उसे इलाज नहीं मिल सका। फिर परिजन बच्चे को रोहतक स्थित एक अस्पताल ले गए। यहां बच्चे को प्रापर इलाज मिल गया। अभी बच्चा तेजी से रिकवर कर रहा है। और जल्द ही ठीक होकर घर लौट आएगा। इस पूरे मामले पर बच्चे के दादा विजय कहते हैं कि ये सब भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद है। उन्हीं की बदौलत हमारा बच्चा वापस आया है।

वे आगे कहते हैं ईश्वर ने भी जिंदगी की अजीब कड़ी जोड़ी। यदि मेरी बीवी पोते का मुंह देखने की जिद नहीं करती और बहू एंबुलेंस से उसे न उठाती तो शायद वह हम सबके बीच में नहीं होता। ये सब ईश्वर का एक चमत्कार है। हम उसके शुक्रगुजार हैं। उन्होंने हमारे परिवार के दुखों को खुशियों में बदल दिया।

गौरतलब है की इसके पहले भी इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी है।

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