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कुलभूषण केस : भारत की बड़ी जीत, कोर्ट ने फांसी पर लगाई रोक – जानिए, अब आगे क्या होगा?

नई दिल्ली – पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर एक बार फिर पानी फिर गया है। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि अंतिम फैसला आने तक पाकिस्तान जाधव को फांसी नहीं दे सकता। जज जस्टिस रोनी अब्राहम ने फैसले में ये भी कहा है कि कुलभूषण को जासूस बताने का पाकिस्तान का दावा सही नहीं है। पाकिस्तान की दलीलें बेहद कमजोर हैं और वे भारत के तर्क के आगे बेबुनियाद हैं। कोर्ट ने फैसले में ये भी कहा कि भारत को वियना संधि के तहत कुलभूषण जाधव तक काउन्सलर एक्सेस मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जाधव की गिरफ्तारी विवादित मुद्दा है और अंतिम फैसला आने तक उनकी फांसी पर रोक लगी रहनी चाहिए। kulbhushan case icj verdict.

भारत ने कोर्ट के सामने रखीं थी ये दलीलें

भारत ने ICJ में कहा कि पाकिस्तान ने भारत की ओर से काउन्सलर एक्सेस के 16 अनुरोधों को खारिज कर दिया। इस संबंध में अनुच्छेद 36 के पहले पैराग्राफ में उल्लेख किया गया है कि इस प्रकार के मामले को इंटरनेशनल कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। वियना समझौता की धारा 36 के मुताबिक भारत को काउन्सलर एक्सेस का अधिकार है। पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव से जुड़ी कोई भी जानकारी भारत को नहीं दी और पाक ने जाधव के खिलाफ लगाये गये आरोपों और सबूतों को भी नहीं दिखाया। जाधव पर दबाव बनाकर उससे गुनाह कबूल कराया गया।

पाकिस्तान कोर्ट के सामने रखी थीं ये दलीलें

भारत की दलील के बाद पाकिस्तान ने कोर्ट में कहा कि जाधव पर भारत की अर्जी गैर-जरूरी है इसलिए इसे खारिज किया जाना चाहिए। पाकिस्तान की ओर से खवर कुरैशी ने कहा कि जाधव के पास दया याचिका की प्रक्रिया का अधिकार उपलब्ध है। इस सिलसिले में 150 दिन मुहैया कराया जाता है। जिसे यदि 10 अप्रैल 2017 से भी शुरू माना जाए तो यह अगस्त 2017 से आगे तक है। गौरतलब है कि आईसीजे ने जाधव के कथित इकबालिया बयान वाला वीडियो चलाने की इजाजत नहीं दी।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को 3 मार्च, 2016 को ईरान से पाकिस्तान में अवैध घुसपैठ का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद तुरंत बाद भी फैसले में जल्दबाजी दिखाते हुए पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को जासूसी का दोषी माना और 10 अप्रैल 2017 को फांसी की सजा सुना दी। जिसके बाद भारत ने इस फैसले को इंटरनेशल कोर्ट में चैलेंज किया और कोर्ट ने 10 मई को फांसी पर रोक लगा दी।

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