स्वास्थ्य

पहला डोज़ लगवाने के बाद पता चलें प्रेगनेंसी का तो क्या वैक्सीन का दूसरा डोज़ ले या नहीं जानिए क्या कहते विशेषज्ञ….

गर्भवती महिलाओं के लिए कितनी सुरक्षित है कोरोना वैक्‍सीन? जानिए विशेषज्ञों की राय...

कोविड की वज़ह से हर कोई डरा-सहमा हुआ है। प्रेग्नेंट महिलाएं और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को सबसे ज़्यादा डर सता रहा है, क्योंकि अगर उन्हें कोरोना हुआ तो उनके मासूम को भी इसका बुरा असर होगा। वैसे अब वैक्सीन तो आ ही चुकी है कोरोना की, लेकिन अभी तक प्रेग्नेंट महिलाओं और दूध पिलाने वाली औरतों को कोरोना वैक्सीन लगवाने की गाइडलाइंस जारी नहीं की गई है।

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ऐसे में सवाल यह है कि इन महिलाओं को वैक्सीन लगवाना चाहिए या नहीं। इसको लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फ़ैल रही है। वहीं दुनिया के सभी प्रमुख स्वास्थ्य संगठन गर्भवती महिलाओ के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन कहती हैं, विश्व स्तर पर देखा गया है कि गर्भवती महिलाओं को तमाम तरह की जटिलताओं का खतरा रहता है। कई तरह की गंभीर दिक्कतों के चलते समय से पहले बच्चे के जन्म का खतरा भी बढ़ जाता है। कोविड-19 जैसी घातक बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए ऐसी महिलाओं का टीकाकरण बहुत जरूरी हो जाता है। तो आइए जानते है कि इसी विषय पर विशेषज्ञों का क्या है कहना…

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बता दें कि नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्‍यूनाइजेशन ने हाल ही में कहा है कि डिलीवरी के बाद कभी भी स्‍तनपान करवाने वाली महिलाएं वैक्‍सीन लगवा सकती हैा वहीं इस ग्रुप के पैनल ने कहा है कि प्रेगनेंट महिलाओं को यह पता होना चाहिए कि वो एंटी-नेटल चेकअप के दौरान कभी भी कोरोना वैक्‍सीन लगवा सकती हैं। लेकिन इसे अभी सरकार की अनु‍मति नहींं मिली है।

फिलहाल ऐसा कोई डाटा या रिसर्च नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि गर्भवती महिलाओं पर वैक्‍सीन का क्‍या असर पड़ता है। शायद यही वजह है कि अब तक भारत में गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण शुरू नहीं हुआ है। नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्‍यूनाइजेशन के चेयरमैन डॉक्‍टर एन.के अरोड़ा का कहना है कि कोरोना शरीर में हमेशा जिंदा नहीं रहता है और एक समय के बाद मर जाता है इसलिए गर्भवती महिलाओं में वैक्‍सीन से भ्रूण को कोई नुकसान होने की संभावना कम ही है।

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वही सरोजिनी नायडू कॉलेज आगरा में स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ प्रो.डॉ. निधि गुप्ता का कहना है कि महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान वैक्सीन लेने से बचना चाहिए, क्योंकि अभी तक भारत सरकार की इसे लेकर कोई गाइडलाइंस नहीं आई है। वहीं लैक्टेटिंग मदर यानी स्तनपान कराने वाली महिलाएं या पीरियड से गुजर रही महिलाएं कभी भी वैक्सिन ले सकती है। इसके अलावा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के जेपी हॉस्पिटल की डॉक्टर रचना दुबे का कहना है कि, “गर्भवती महिलाओं को कोरोना की वैक्सीन लगा तो लेनी चाहिए, लेकिन भारत मे आने वाली दोनों वैक्सीन पर एक लेबल लगा हुआ है। जिसमें स्पष्ट लिखा है कि यह प्रेग्नेंट महिला के लिए उचित नहीं। इसके अलावा भारत सरकार ने भी अभी इसके लिए हरी झंडी नहीं दिखाया है। वहीं विश्व की अन्य वैक्सीन गर्भवती महिलाओं को भी लगाई जा सकती। ऐसे में अगर कोई गर्भवती महिला ऐसे एरिया में रह रही है। जहां कोरोना का संक्रमण अधिक वहां प्रेग्नेंट महिलाओं को वैक्सीन लगवा लेना चाहिए।”

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इतना ही नहीं डॉ. रचना दुबे ने कहा कि जिन्होंने वैक्सीन का पहला डोज़ ले लिया है और उसके बाद उन्हें गर्भवती होने का पता चला तो उन्हें दूसरा डोज़ भी ले ही लेना चाहिए। इसके आलावा फ़ेडरेशन ऑफ़ अब्स्टेट्रिक एंड गायनॉकलाजिकल सोसायटीज ऑफ़ इंडिया (FOGSI) और इंटरनैशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ गायनकॉलजी एंड अब्स्टेट्रिक्स (FIGO) ने गर्भवती और बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए टीके सुरक्षित बताया है। गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगवानी चाहिएय नहीं जब इस विषय पर डॉक्टर विद्या वी भट से बात हुई तो उनका कहना है कि गर्भवती महिलाओं को टीका ले लेना चाहिए। जिस भी टीके को भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मान्यता मिली है वह पूरी तरह सुरक्षित है।”

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वही जब डॉक्टर विद्या वी भट से यह सवाल पूछा गया कि टीका लेने के बाद गर्भवती महिलाओं में किस तरह के साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं? तो उनका कहना था कि टीका लेने से होने वाले साइड इफ़ेक्ट जीवन को नुकसान पहुँचाने वाले नहीं होते और हर किसी में एक ही जैसा साइड इफ़ेक्ट होता है, भले ही वह गर्भवती हो या नहीं हो। कुछ महिला को उबकाई, उल्टी, बदन दर्द और हल्का बुखार हो सकता है। इन सभी का इलाज है और गर्भवती महिला को इनमें से किसी के लिए भी कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। बता दें कि डॉक्टर विद्या वी भट लेप्रोस्कोपिक सर्जन एंड फ़र्टिलिटी स्पेशलिस्ट के अलावा मेडिकल डायरेक्टर है, जो कि राधाकृष्ण मल्टी स्पेशीऐलिटी हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर, बेंगलुरु से जुड़ी हैं।

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