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कोरोना से बचाव की 2-डीजी दवा बनाने वाले 3 वैज्ञानिकों का क्या है बैक ग्राउंड? जानिए रिपोर्ट में

ऐसे काम करती 2-डीजी दवा।

बीते शनिवार से डीआरडीओ द्वारा बनाई गई कोरोना से बचाव की दवा 2-डीजी काफ़ी सुर्खियों में है। जब से क्लिनिकल परीक्षण में यह सामने आया है कि दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों के तेजी से ठीक होने में मदद करती है। इसके अलावा यह दवा अतिरिक्त ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम करती है। तभी से इसको बनाने वाले वैज्ञानिकों की चर्चा भी हर ख़ास-आम व्यक्ति कर रहा है। लेकिन बहुत कम लोगों को ही इस 2-डीजी दवा को बनाने वाले वैज्ञानिकों के बारे में विस्तार से मालूम है।

पहले तो जानकारी के लिए बता दें कि इस दवा को बनाने में तीन व्यक्तियों का विशेष योगदान है। फ़िर आइए जानते हैं इन तीनों वैज्ञानिकों के बारे में साथ ही साथ दवा कैसे काम करती वह भी जानेंगे। इस दवा को बनाने वाले तीन नाम हैं- डॉ. अनिल मिश्र, डॉ. सुधीर चांदना और डॉ. अनंत नारायण भट्ट।

डॉ.अनिल मिश्र

डॉ. अनिल मिश्र मूलतः उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से तालुक रखते हैं। उन्होंने वर्ष 1984 में  गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम.एससी और वर्ष 1988 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र विषय में पीएचडी की। जिसके बाद वे फ्रांस के “बर्गोग्ने विश्वविद्यालय” में प्रोफेसर रोजर गिलार्ड के साथ तीन साल के लिए पोस्ट डॉक्टोरल फेलो रहें। इसके बाद वे प्रोफेसर सी एफ मेयर्स के साथ कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में भी पोस्ट डॉक्टोरल फेलो रहे। इसके अलावा वे 1994-1997 तक INSERM, नांतेस, फ्रांस में प्रोफेसर चताल के साथ अनुसंधान वैज्ञानिक रहे।

बात डॉ. अनिल मिश्र की डीआरडीओ से जुड़ने की करें। तो वे 1997 में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में डीआरडीओ के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज में शामिल हुए। जिसके बाद 2002से 2003 तक जर्मनी के “मैक्स-प्लैंक इंस्टीट्यूट” में विजिटिंग प्रोफेसर और  INMAS के प्रमुख रहे। वर्तमान की बात करें तो डॉ. अनिल मिश्र रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के “साइक्लोट्रॉन और रेडियो फार्मास्यूटिकल साइंसेज डिवीजन” में काम करते हैं। अनिल मिश्र रेडियोमिस्ट्री, न्यूक्लियर केमिस्ट्री और ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में रिसर्च करते हैं। उनकी वर्तमान परियोजना “आणविक इमेजिंग जांच का विकास” की है।


डॉ. सुधीर चांदना

डॉ. सुधीर चांदना हरियाणा के हिसार से तालुक रखते हैं। जो कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में अतिरिक्त निदेशक हैं। 2- डीजी दवा तैयार करने में इनकी महती भूमिका है। चांदना का जन्म अक्तूबर 1967 में हिसार के पास रामपुरा में हुआ था। उनके पिता हरियाणा न्यायिक सेवा में कार्यरत थे। उन्होंने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से बीएससी और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से माइक्रोबायोलॉजी में एमएससी की। साल 1991 से 1993 तक उन्होंने ग्वालियर और फिर दिल्ली में “इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियल मेडिसिन एंड अलायड साइंसेज” में अपनी सेवा दी।

डॉ. अनंत नारायण भट्ट

डॉ. अनंत भट्ट भी उत्तर प्रदेश राज्य से है। गोरखपुर के रहने वाले डॉ. अनंत नारायण भट्ट डीआरडीओ के “न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलायड साइंसेज” में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा “गगहा” में हुई। जिसके बाद उन्होंने बीएससी किसान पीजी कॉलेज से की। इसके बाद उन्होंने अवध विश्वविद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में एमएससी की।

कैसे काम करती है दवा

2-डीजी का पूरा नाम- 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज है। जो कि पाउडर के फॉरमेट में होती है। जिसे पानी में घोलकर मरीज को पिलाना होता है। डीआरडीओ के अनुसार 2-डीजी दवा वायरस से संक्रमित मरीज की कोशिका में जमा हो जाती है और उसको बढ़ने से रोकती है। संक्रमित कोशिकाओं के साथ मिलकर यह दवा एक तरह से सुरक्षा दीवार बना लेती है। जिससे वजह से वायरस उस कोशिका के साथ ही अन्य हिस्सों में फैल नहीं पाता है।

गौरतलब हो 2-डीजी दवा को डीआरडीओ की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला नाभिकीय औषधि तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएनएमएएस) ने हैदराबाद के डॉ.रेड्डी लेबोरेट्री के साथ मिलकर विकसित किया है। जिसको लेकर रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि, “कोविड-19 की चल रही दूसरी लहर की वजह से बड़ी संख्या में मरीजों को ऑक्सीजन और अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है। इस दवा से कीमती जिंदगियों के बचने की उम्मीद है क्योंकि यह दवा संक्रमित कोशिकाओं पर काम करती है। यह कोविड-19 मरीजों के अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि को भी कम करती है।”

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