अध्यात्म

आज से शुरू हुआ नवरात्रि का पर्व, कलश स्थापित करने से पहले जरूर पढ़ें ये जरूरी नियम

आज से नवरात्रि का पर्व शुरू हो गया है और कई लोगों द्वारा माता की चौकी घर में स्थापित की गई है। माता की चौकी स्थापित करते हुए कलश की स्थापना भी की जाती है। इस कलश को जल से भरा जाता है। फिर इसके ऊपर नारियल रखा जाता है। इस प्रक्रिया को घटस्थापना कहा जाता है।

घटस्थापना से कई सारे नियम जुड़े होते हैं और इन नियमों के तहत ही इसकी स्थापना करनी चाहिए। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, नवरात्रि के दौरान कलश को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए।

घटस्थापना करने से पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ करना चाहिए और गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से जगह एकदम पवित्र हो जाती है।

घटस्थापना करने से पहले घर के मुख्य दरवाजे पर हल्दी या रोली से स्वास्तिक बना लें। मान्यता है कि हल्दी से बना स्वास्तिक गुरु ग्रह को और रोली से बना स्वास्तिक शुक्र ग्रह को शुद्ध करता है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

अशोक को दुख को हरने वाला पौधा माना जाता है। कहा जाता है नवरात्रि में अशोक के पत्तों का इस्तेमाल करने से विपत्तियों का अंत होता है। इसलिए आप इस पत्ते की माला बनाकर उसे घर के मुख्य दरवाजे पर लगा सकते हो।

उसके बाद चौकी की स्थापना करनी चाहिए। जिस चौकी का आप प्रयोग करें। वो भी एकदम साफ हो। चौकी रखने के बाद उसपर पीला या लाल रंग का वस्त्र बिछा दें।

फिर उसपर नवग्रह बना दें और मां की तस्वीर रख दें। पास में एक मिट्टी का पात्र रखें। उसके अंदर साफ मिट्टी भर दें। इसमें जौ को डालें और अच्छे से इन्हें मिट्टी में मिला दें और पानी डाल दें।

एक साफ कलश लें। सोने, चांदी या पीतल के कलश के अलावा मिट्टी के कलश का भी प्रयोग कर सकते हैं। उसमें ताजा जल भर दें। सुपारी, सिक्का भी डाल दें। कलश पर मोली का धागा बांध दें। इसके ऊपर आम के पत्ते रखें दें। ये पत्ते शुभ गिनती जैसे 5,7,9,11 आदि में रखने चाहिए। फिर एक नारियल को इसके ऊपर रख दें।

इस कलश को चौकी के ऊपर या फिर चौकी के पास रख दें। हो सके तो इसे मिट्टी के पात्र के अंदर भी रख सकते हैं।  याद रखें की नवरात्रि का कलश हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। रोज मां की पूजा करते हुए इस कलश का पूजन भी करें।

नवरात्रि के दौरान पूजा स्थल पर अखंड दीपक जलाना चाहिए। अगर आप अखंड दीपक जलाने में असमर्थ हैं। तो सुबह और शाम माता रानी के सामने दीपक अवश्य जलाएं। मां की आरती दिन में दो बार जरूर करें और आरती करते समय कपूर का प्रयोग करें।

नवरात्रि के नौ दिन दुर्गा मां का पाठ करें। वहीं जिस दिन आप कन्या पूजन करने वाले हैं, उस दिन सबसे पहले खाने का भोग मां को लगाएं। कलश के ऊपर रखे नारियल को उठाकर तोड़ दें और प्रसाद के रूप में उसे बांट दें। कलश का जल किसी पौधे पर अर्पित करें। पूजा में इस्तेमाल हुए सामान को उठाकर किसी नदी या पेड़ के नीचे रख दें।

 

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