राजनीति

रिटायरमेंट के एक दिन पहले सस्पेंड हुए ये जज, गायत्री प्रसाद प्रजापति को दी थी जमानत

सपा सरकार में यूपी के मंत्री रहे और अमेठी के पूर्व विधायक गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत देने वाले जज पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले ने अपने आदेश में लिखा है कि हमें न्यायाधीश की मंशा पर संदेह है. दरअसल गायत्री प्रजापति पर बलात्कार का करने का आरोप है, पीड़ित ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. इस मामले में गायत्री प्रजापति के खिलाफ पोक्सो अधिनियम के तहत भी मुकदमा दर्ज है.

गौरतलब है कि यूपी के विधानसभा चुनावों के दौरान गायत्री प्रजापति ने जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी, इसपर पोक्सो कोर्ट के न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्र ने उन्हें जमानत दे दी थी और अपने फैसले में उन्होंने लिखा था कि ‘प्रजापति मामले में पीड़ित महिला ने 2014-16 के दौरान बलात्कार की शिकायत नहीं की. इससे पीड़ित महिला के दावे पर संदेह होता है.’

गायत्री प्रजापति की जमानत को राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच में चुनौती दी थी. इसपर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले ने पोक्सो कोर्ट के अतिरिक्त सेशन जज ओम प्रकाश मिश्र को सस्पेंड पर दिया है, उन्होंने अपने आदेश में लिखा है कि ‘जिस तरह से जानकार जज ने अपराध की गंभीरता को अनदेखा करते हुए आरोपी को जमानत देने में जल्दबाज़ी दिखाई, उससे हमें इन न्यायाधीश की मंशा पर संदेह है जो खुद 30/4/2017 को रिटायर हो रहे हैं.’ साथ ही उन्होंने प्रजापति को जमानत देने के आदेश को अगले आदेश तक स्थगित करने का निर्देश भी दिया है.

इस मामले में सबसे अहम पक्ष यह है कि मामले की जांच कर रहे आयोग के अधिकारी ने जस्टिस मिश्र के सामने अपनी राय रखने के लिए कुछ वक्त मांगा था. लेकिन जस्टिस मिश्र ने वक्त देने के बजाय एक दिन के अन्दर ही प्रजापति को जमानत दे दी. गौरतलब है कि इस मामले में चित्रकूट की एक महिला ने गायत्री प्रजापति पर अक्टूबर 2014 से लेकर जुलाई 2016 तक गैंग रेप करने का आरोप लगाया है. मामले में गायत्री प्रजापति और 6 अन्य लोगों के खिलाफ गैंग रेप का आरोप है.

पीड़ित महिला ने इस मामले में उसकी बेटी के साथ भी दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है. मामले में जब न्यायालय ने गायत्री प्रसाद प्रजापति की गिरफ्तारी का आदेश दिया था और गैर जमानती वारंट जारी किया था तो वह काफी दिनों तक फरार रहे. बाद में 15 मार्च को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. माना जाता है कि गायत्री प्रजापति मुलायम सिंह यादव के करीबी हैं. लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें कई बार कैबिनेट से निकाला भी था. गायत्री प्रजापति पर खनन माफियाओं की मदद करने और खनन घोटाला करने जैसे कई और आरोप हैं.

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