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शिवसेना ने परमबीर सिंह के पत्र को बताया BJP की साजिश, कहा- लगाना चाहते हैं राष्ट्रपति शासन

महाराष्ट्र में चल रहे सियासी भूचाल के लिए शिवसेना ने बीजेपी को दोषी माना है। शिवसेना ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि बीजेपी ये सब जानबूझकर कर रही है। ताकि वो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करवा सके। शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे एक लेख में कहा है कि ये साफ है कि महाराष्ट्र की छवि खराब करने के लिए षडयंत्र है और इसके पीछे बीजेपी है।

इस लेख में शिवसेना ने विपक्षी दल द्वारा आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह के पत्र में राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों और अन्य मुद्दों का जिक्र किया गया है। इन्होंने लिखा है कि जिन्हें परमबीर सिंह का पत्र इतना महत्वपूर्ण लग रहा है, उन्हें पुलिस अधिकारी अनूप दांगे के साथ भी न्याय करना चाहिए। जिन्होंने सिंह के बारे में लिखा था। राज्य के लोग जानते हैं कि क्यों और किस लिए ये सब हो रहा है। बीजेपी का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति शासन लागू करवाकर महाराष्ट्र में अस्थिरता पैदा करना है।

परमबीर सिंह और पांडे जैसे अधिकारियों ने राज्य सरकार के बारे में संदेह का माहौल पैदा करने के मीडिया में पत्र लीक किया। फडणवीस फोन टैपिंग रिपोर्ट लेकर केंद्र के पास गए जो सुबोध जायसवाल और रश्मि शुक्ला जैसे वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्य सरकार को अंधेरे में रखकर तैयार की। इसका मतलब है कि राज्य प्रशासन में काम कर रहे ये लोग एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार को कमजोर करने के लिए इन अधिकारियों से सांठगांठ है। शिवसेना ने बीजेपी से सवाल करते हुए पूछा कि सिंह के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

दरअसल मुंबई पुलिस के निलंबित इंस्पेक्टर दांगे ने आरोप लगाया था कि परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक के पद पर रहने के दौरान अंडरवर्ल्ड के कुछ लोगों को बचाने की कोशिश की थी।

गौरतलब है कि बीजेपी नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को दावा किया था कि महाराष्ट्र सरकार में पुलिसकर्मियों के तबादलों का रेकैट चल रहा है। देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना के नेता व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाया था कि उन्हें इन सबके बारे में जानकारी है। इतना ही नहीं इस मामले को लेकर देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री से भी मुलाकात की और महाराष्ट्र में पुलिसकर्मियों के तबादलों में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने की मांग की।

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