अध्यात्म

सफेद कपड़ों को पहनकर होली खेलने का है एक विशेष महत्त्व, आप जानिए इसके पीछे की कहानी

होली 2021 बस आने ही वाली है. अभी से इसकी धूम मचाई जा रही है. हर कोई इस त्यौहार को बड़े ही धूम धाम से मनाता है. बाजरों में रंग और गुलाल की दुकानें सज चुकी है. इस त्यौहार को लेकर आमिर से लेकर गरीब तक उत्साह रहता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यह त्यौहार किसी से भेदभाव नहीं करता. होली को गरीबों का त्यौहार भी कहा जाता है.

बाज़ार में तरह तरह के रंग देखे जा सकते है. मिठाई की दुकानों पर भी नई-नई मिठाइयां मिल रही है. कपड़ों की दुकानों पर भी नए नए कपडे आने लगे है. इस दिन आपने देखा होगा कि लोग अक्सर इस दिन हलके रंग के या सफ़ेद कलर के कपडे पहनते है. ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल उठता हैं कि आखिर होली के दिन ही सफेद कपड़े क्यों पहने जाते है.

होली के इस त्यौहार पर सफ़ेद कपड़े पहने जाते हैं. इस दिन पुरुष जहां सफ़ेद कुर्ता-पायजामा पहने हुए नज़र आते है तो वहीं महिलाएं सफ़ेद साड़ी या सफ़ेद सलवार सूट के साथ लाल दुपट्टा ओढ़े नज़र आती है. होली के दिन कपड़े ख़राब होते है बावजूद इसके इस दिन सफ़ेद कपड़े पहने जाते हैं. आपको बता दें कि सफ़ेद रंग शांति का प्रतिक होता हैं.

होली के दिन लोग अपने पुराने गीले शिकवे भूलकर एक हो जाते है. इसी पर तो गाना बना हैं होली के दिन दिल मिल जाते है. ऐसे में यही मना जाता है कि सफ़ेद रंग पहनना दोस्ती बढ़ाने में भी इजाफा करता है. आपको बता दें कि होली का ये त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन रात में होलिका दहन होता है. उसके अगले दिन रंग उड़ाया जाता है.

इसके साथ ही जब कलर सफेद कपड़ों पर लगता है तो वह और उभरकर नज़र आता है. इसलिए भी सफ़ेद कपड़े पहनकर होली मनाई जाती हैं. इसी तरह इस होली अगर आपको भी ट्रेंडी और अच्छा नज़र आना है तो आप भी सफ़ेद कपड़ों के साथ लाल रंग के पेयर को बना सकते है. इस तरह का ड्रेसिंग आरामदायक और ट्रेंडी लगता है. इसके अलावा महिलाएं चाहें तो सिफॉन की सफ़ेद और रेड बॉर्डर की साड़ी के साथ होली खेल सकती है.

इस बार होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा. इस दिन पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा तिथि आ रही है. पूर्णिमा की तिथि में ही शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात्रि 8 बजकर 56 मिनट मध्य होलिका दहन का मुहूर्त बना रहेगा. सोमवार को प्रतिपदा तिथि में 29 मार्च को होली खेली जाएगी.

होलिका दहन के दिन ही होलाष्टक का समापन हो जाएगा. होलाष्टक पंचांग के अनुसार 22 मार्च से आरंभ होता हैं. होलाष्टक होली के पर्व से आठ दिन पहले आरंभ होते हैं. इसीलिए इसे होलाष्टक भी कहा जाता है. होलाष्टक शुरू होने से पूर्व शुभ कामों को कर लेना चाहिए क्योंकि 22 मार्च यानि होलाष्टक के बाद इन कार्यों को नहीं कर सकते है.

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