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घर में बेटा नहीं सिर्फ बेटियां हैं तो टेंशन न लें, ऐसे करें उसे बड़ा, जिंदगी खुशहाल बन जाएगी….

पिता होने और सिर्फ बेटियों के पिता होने में जमीन आसमान का अंतर आ जाता है। कई ऐसे पिता होते हैं जिनके घर बेटे नहीं होते हैं, सिर्फ बेटियां होती है। ऐसे में कुछ लोग उदास हो जाते हैं। लेकिन आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। घर में बेटा न हो और सिर्फ बेटियां हो तो भी एक सामान्य या फिर कहे बेहतर लाइफ गुजारी जा सकती है। इसके लिए आपको बस अपनी बच्ची को बढ़ी करते हुए कुछ खास बातों का ध्यान रखना पड़ेगा।

1. अपनी बेटी की हर बात ध्यान से सुनिए। उसे किसी भी बात पर लेक्चर या सलाह देने से पहले उसका पॉइंट ऑफ व्यू जरूर सुन लें। यदि आपको उसके फैसले में कोई समस्या दिखाई दे तो उसे प्यार से और तर्क के साथ समझाए। उसे डांटे या इग्नोर न करें। इससे उसे एहसास होगा कि आप जो भी करते हैं उसके भले के लिए ही करते हैं।

2. एक पिता अपनी बेटी को लेकर प्रोटेक्टिव होता है। इस चक्कर में वह बेटी को लेकर कुछ नियम कायदे और बंदिशें बना देता है। आप ऐसा न करें। बेटी की सुरक्षा का ध्यान जरूर रखें लेकिन उसे थोड़ी आजादी भी दें। उसे आत्मनिर्भर बनाएं। उसे हर चीज में रोकने टोकने से कान्फ़िडेन्स की कमी आ जाएगी। ये एक बिना बेटे वाले परिवार के लिए ठीक नहीं है। आगे चलकर उसे बहुत सी जिम्मेदारियाँ संभालनी है। इसलिए उसका आत्मविश्वास से भरा होना जरूरी है।

3. अपनी बेटी को बचपन से ही स्ट्रॉंग बनाए। उसके दिमाग से ये न भरे कि लड़कियां कमजोर होती है। वह मर्दों की तरह काम नहीं कर सकती। आप उसे कराटे क्लास भेजे, जिम जाने दें, स्पोर्ट्स में एक्टिव करें। इस तरह वह बड़ी होकर अपनी सुरक्षा के साथ साथ आपकी सुरक्षा का भी ख्याल रखेगी। फिर आपको घर में बेटे की कमी कभी महसूस नहीं होगी।

4. कहते हैं बेटियां पराया धन होती है। उसे एक दिन ससुराल जाना ही पड़ता है। जिनके घर सिर्फ बेटियां होती है वे इसी बात को लेकर बुढ़ापे का टेंशन लेने लगते हैं। अपने अंतिम समय में वे अकेले पड़ जाते हैं। लेकिन आप थोड़ी मॉडर्न सोच रखें तो इस समस्या का भी हल है। सबसे पहले तो आप अपनी बेटी को अच्छा पढ़ाए लिखाए और पैरों पर खड़ा कर दें। इसके बाद अपने लिए एक घर जमाई खोजें। या शादी तय करते समय पहले ही तय कर दें कि लड़की और आपका घर पास पास या एक ही कॉलोनी में होगा। इस तरह लड़की बुढ़ापे में भी आपके साथ रहेगी।

5. बेटियों को हमेशा विश्वास दिलाएं कि चाहे कुछ भी हो जाए मैन तुम्हारे साथ हूँ। आप उसकी केयर करें और अच्छे से ख्याल रखें। एक बार अपनी बेटी से इमोशनली जुड़ जाएं। फिर देखिए कैसे वह भी आप पर जान लुटाएगी और आपको कभी छोड़कर नहीं जाएगी। बेटी का दिल जीतने के लिए उसके रहन सहन, करियर और पढ़ाई को लेकर रोकटोंक न करें।

6. बेटी गलती करती है तो पेरेंट्स अक्सर उसे दस बात सुना देते हैं। वहीं कुछ अच्छा काम करें तो तारीफ करने में कंजूसी करते हैं। आप ये गलती न करें। बेटी की दिल खिलकर और सबके सामने तारीफ करें। अपनी बेटी पर गर्व करें।

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