अध्यात्म

-भूलकर भी भगवान की इन प्रतिमाओं को अपने घर में स्थान नहीं दें वरना हो सकता है ऐसा नुकसान कि..

भारत में देवी देवताओं की मूर्ति घर के मंदिरों में रखने की परम्परा काफी समय से बनी हुई है. शास्त्रों के मुताबिक इससे हमारे घरों में भगवन की विशेष कृपा बनी रहती है. इससे घर परिवार में कभी कष्ट नहीं आते है. इसलिए हम में से सभी लोग अपने अपने घरों में भगवान् की प्रतिमाएं रखते है और उन्हें डेली पूजते भी है. शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति या परिवार होगा जिसके घर में मंदिर और भगवान की मुर्तिया नहीं होगी.

 

हिन्दू धर्म में पूजा का महत्त्व बहुत है. लेकिन क्या आपको पता है ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुछ ऐसी मूर्तियां भी हैं जिन्हे हमारे घरों में नहीं रखना चाहिए. साथ ही कभी भूलकर भी इनकी पूजा भी घर में नहीं करनी चाहिए. ये मूर्तियां लाभ तो नहीं करती अपितु हमारा नुकसान कर देती है. आज हम आपको उन्ही मूर्तियों के बारे में बताने जा रहे हैं.

नटराज
नटराज की मूर्ति बेहद ही आकर्षक दिखती है. अमूमन लोग इसे इसीलिए अपने घरों में सजाने के लिए व शो पीस के लिए लें आते है. अक्सर आप यह भूल जाते है कि नटराज मूर्ति में शिव जी का रौद्र रूप नज़र आता है. रौद्र रूप मतलब उनका क्रोध भरा रूप. शिव जी को क्रोधित स्वरूप में घर में रखने से अशांति बढ़ने लगती है. इसके साथ ही जो लोग रोज़ाना शिवजी के इस क्रोधित रूप को देखता है उसके स्वाभाव में भी क्रोध बढ़ने लगता है.

भैरव महाराज
शिवपुराण में लिखा हुआ है कि भैरव महाराज भगवान शिवजी के ही अवतार हैं. शिवजी के अवतार माने जानें के बावजूद घर में इनकी मूर्ति को रखना शुभ नहीं माना गया है. शास्त्रों के मुताबिक भैरव महराज की मूर्ति हमेशा घर से बाहर के स्थान पर सातपित की जाती हैं. इन्हे तंत्र का देवता माना जाता हैं. इनकी पूजा भी तंत्र कर्म के लिए की जाती है. तंत्र कर्म के कम घर से बाहर ही किये जाते हैं. इसलिए हर में कभी भी भैरव महाराज की स्थापना बिल्कुल भी न करें.

राहु-केतु
राहु-केतु को छाया ग्रह कहा जाता हैं. ये दोनों ही असुर थे इन्होने छल से देवताओं के साथ अमृत पान किया था. इसी वजह से ये अमर हो गए. राहु सिर है और केतु उसका धड़. राहु ने भगवान विष्णु की मन लगाकर भक्ति की जिसके कारण ये भी देवताओं की गिनती में आ गया. शास्त्रों में इन दोनों ही ग्रहों को क्रूर माना गया है. याद रखे इन दोनों की पूजा घर से बाहर करना ही शुभ रहता हैं. इसलिए इनकी मूर्तियां कभी घर में ना स्थापित की जाती है न ही पूजी जाती है.

शनिदेव
ज्योतिष में और शास्त्रों में शनिदेव को क्रूर और न्याय प्रिय देवता कहा गया हैं. शनि देव ही हमें हमारे कर्मों का फल प्रदान करते हैं. शनि देव सूर्य देव के पुत्र है. उन्हें कॉफी क्रूर कहा गया हैं. इसी वजह से इनकी मूर्ति रखना भी घर में अशुभ माना गया हैं. शनि देव की पूजा भी घर के बाहर मंदिर में करना चाहिए. इनकी पूजा और मूर्ति घर में नहीं लानी चाहिए.

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