अध्यात्म

क्या आप जानते हैं क्यों चढ़ाया जाता है भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग? जानिये यहां..!

भगवान मुरली मनोहर श्रीकृष्ण की महिमा का जितना गुणगान किया जाए कम है। जो व्यक्ति भगवान श्रीकृष्ण का हमेशा ध्यान करता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। इसके विपरीत जो इनका अनादर करता है और इनका ध्यान नहीं करता है, उसका जीवन कष्टों से भर जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के युद्ध के समय गीता का ज्ञान देकर उनका जीवन धन्य कर दिया और उनकी आंखें खोल दी थीं।

बंसी की आवाज के दीवाने थे पशु-पक्षी:

इसके साथ ही गीता के ज्ञान से आज का मनुष्य भी अपना भला कर रहा है। जब वह बंसी बजाते थे तो केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी भी उसकी मधुर आवाज के दीवाने हो जाते और बरबस ही उनकी तरफ खिंचे चले आते थे। अर्जुन को गीता का ज्ञान देते समय भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कुछ प्रिय वस्तुओं के बारे में भी बताया था।

मिट जायेंगे जीवन के सारे कष्ट:

 

जो भी मनुष्य भगवान द्वारा बताई हुई उन चीजों का भोग उन्हें लगाता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है। भगवान का आशीर्वाद उस पर हमेशा बना रहता है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपके जीवन में कोई कष्ट ना हो और आपका जीवन सुख-शांति से भरा रहे तो, भगवान की बताई इन चीजों का भोग अवश्य लगाएं।

श्लोक:
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो में भक्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपह्रतमश्नामि प्रयतात्मनः।।
अर्थ:

भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि उन्हें फल, फूल और जल अत्यंत ही प्रिय है। जो भी वस्तु पूजा में प्रयोग की जाती है, उससे कुछ सीखना चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाए जाने से बड़ी महिमा की प्राप्ति होती है। ज्यादातर उन्हें 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। इसी भोग को छप्पन भोग के नाम से भी जाना जाता है। इस भोग में रसगुल्ले से शुरूआत होती है और दही, चावल, पुड़ी, पापड़ और अंत में इलायची का भोग लगाया जाता है।

इसलिए लगाया जाता है छप्पन भोग:

भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाए जाने के पीछे कई कथाएं हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण एक दिन में एक दो बार नहीं बल्कि आठ बार भोजन किया करते थे। एक बार इंद्रदेव ब्रजवासियों से नाराज होकर घनघोर बारिश करने लगे। ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया। इस दौरान वह सात दिनों तक बिना कुछ खाए-पिए ही रह गए।

नहीं लगाना चाहिए बासी भोजन का भोग:

दिन में आठ बार भोजन ग्रहण करने वाले लगातार सात दिनों तक भूखे-प्यासे रहे। इसको देखकर ब्रजवासियों ने सात दिन और बार के हिसाब से उन्हें 56 प्रकार के भोग लगाए। उसी समय से भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाया जाने लगा। भोग में दूध, दही और घी मुख्य रूप से होता है। इनको भोग लगाते समय इसका ध्यान रखा जाना चाहिए की भोजन बासी ना हो।

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