महाशिवरात्रि से पहले चमकी भोलेनाथ की नगरी काशी, 1 हजार महिलाओं ने किया शिव तांडव स्तोत्र का पाठ
11 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व है और इस पर्व को लेकर भोले की नगरी काशी को भव्य तरीके से सजाया गया है। काशी में महाशिवरात्रि उत्सव की शुरुआत भी हो गई है और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर यहां पर एक हजार के करीब महिलाओं ने शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया है। इस दौरा कई संख्या में लोग भी यहां जमा हुए हर किसी ने शिव तांडव स्तोत्र को सुना व इस भव्य नजारे की वीडियो बनाई।
महाशिवरात्रि और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके ये आयोजन किया गया था। वाराणसी के अस्सी घाट पर 14 राज्यों से आई महिलाओं ने हाथों में दीपक लेकर एक साथ एक सुर में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया। अस्सी घाट पर आयोजित इस अनोखे आयोजन के दौरान बेहद ही सुंदर नजारा देखने को मिला और हजारों लोगों ने मोबाइल में इस चीज भव्य आयोजन को कैद किया।
किया कोरोना प्रोटोकॉल का पालन
इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल नियमों का पालन भी किया गया। इस आयोजन में शामिल होने आई महाराष्ट्र के कोल्हापुर की माहेश्वरी देवी ने बताया कि शिव तांडव स्तोत्र के पाठ के लिए उन्होंने 1 साल पहले से तैयारी शुरू की थी। कोरोना काल में महिलाओं ने घरों में रहकर समय का फायदा हुआ और इसका कठिन माने जाने वाले शिव तांडव स्तोत्र को याद किया। वाराणसी के गंगा तट पर आयोजित हुए इस कार्यक्रम में देश की महिलाओं की शक्ति देखने को मिली और महिलाओं ने भगवान से महिलाओं की सुरक्षा और समृद्धि की कामना भी की।
इतना ही नहीं आयोजन में 2 सौ से अधिक महिलाएं वर्चुअल के जरिए भी शामिल हुई। ये पाठ करने वाली एक महिला ने कहा कि शिव तांडव स्रोत के पाठ से पॉजिटिव ऊर्जा मिलती हैं। गौरतलब है कि काशी को भोलेनाथ की नगरी माना जाता है। कथाओं के अनुसार इस नगरी की स्थापना भोलेनाथ ने की थी। वहीं शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शंकर प्रसन्न हो जाते हैं। साथ में ही शनि दोष के कुप्रभाव से भी मुक्ति मिलती हैं। जो लोग नियमित रूप से इसका पाठ करते हैं, उनके जीवन की हर समस्या दूर हो जाती है और हर कामना भोलेनाथ पूरा कर देते हैं।
कब है महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि 11 मार्च को है। 11 मार्च को मध्यरात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। चतुर्दशी तिथि 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो कि 12 मार्च की दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगी। इस दिन आप मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें। कई लोग इस दिन पूरी रात जाकर भी भोलेनाथ की पूजा करते हैं।