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बिहार के सिवान में एक सिपाही ने रोक दिया जज का रास्ता, फिर पैदल ही कोर्ट तक पहुंचे जज साहब

समाज का सहायक सदस्य एक सिपाही को माना जाता है। सिपाही देश के नागरिकों को अपराधियों और शत्रुओं से बचाता है। समाज में शांति बनाए रखने के लिए सिपाही की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। सिपाही का काम बहुत महत्व का है। अगर उनसे जरा सी भी लापरवाही हो जाए तो समाज में अशांति फैल सकती है। सिपाही को हमेशा सतर्क रहना पड़ता है, वैसे देखा जाए तो सिपाही अपने कर्तव्य को निभाने के लिए सब कुछ करने को तैयार रहता है। आज हम आपको एक ऐसे मामले के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसमें सिपाही अपने कर्तव्य से नहीं डिगा।

आपको बता दें कि एक मामला बिहार के सिवान जिला से आया है। जहां पर सिपाही ने अपने कर्तव्य को निभाते हुए जज का रास्ता रोक दिया। खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि यह घटना सिवान के कलेक्ट्रेट गेट की है। शायद ऐसा पहला मौका रहा होगा जब सिवान में एक जज का रास्ता सिपाही ने रोक दिया हो। तो चलिए जानते हैं आखिर यह पूरा मामला क्या है…..

खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि सुबह के समय परिवार न्यायालय के प्रिंसिपल जज ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव अपने घर से न्यायालय जा रहे थे। उनका ड्राइवर गाड़ी को कलेक्ट्रेट के दक्षिण गेट से प्रवेश कर कोर्ट जाना चाहता था क्योंकि अब से पहले यही रास्ता उपयोग में लाया जाता था। लेकिन सिवान कलेक्ट्रेट गेट पर ड्यूटी पर तैनात सिपाही ने जज साहब की गाड़ी रोक दी।

मौके पर मौजूद अधिवक्ता संगीता सिंह, जयप्रकाश सिंह और मुन्ना शर्मा ने पुलिस को काफी समझाने की कोशिश की परंतु इसके बावजूद भी पुलिस के जवान निर्देश के अनुसार गेट नहीं खोलने पर अड़े रहे। इसके बाद जज साहब अपनी गाड़ी से उतर कर अपने अंगरक्षकों के साथ पैदल ही न्यायालय पहुंचे।

आपको बता दें कि सिवान कलेक्ट्रेट का दक्षिणी गेट डीएम अमित कुमार पांडेय के निर्देश पर बंद किया गया था। ऐसी स्थिति में जब जज साहब की गाडी उस रास्ते पर आई तो सिपाही के लिए धर्म संकट की स्थिति बन गई। सिपाही को बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्या करें? उसने यही सोचा कि अगर जज साहब के लिए गेट खोलता है तो डीएम के आदेश का उल्लंघन होता है। बस यही सोचकर सिपाही अपने कर्तव्य पर अडिग रहा और उसने जज साहब के लिए भी गेट नहीं खोला।

जज साहब के साथ जो भी सुरक्षाकर्मी मौजूद थे उन्होंने सिपाही से जज साहब का परिचय देते हुए अंदर जाने को कहा लेकिन सिपाही इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हुआ। सिपाही ने जज साहब के सुरक्षाकर्मी को यह बताया कि वह चौक के रास्ते से कोर्ट चले जाएं। बाद में प्रधान न्यायधीश अपनी गाड़ी से उतरकर पैदल ही कोर्ट में गए।

आपको बता दें कि वकीलों की आपात बैठक बुलाकर इस घटना की निंदा की गई। बता दें कि व्यवहार न्यायालय के पूर्वी परिसर और जिला जज के परिसर में पश्चिमी परिसर आने का एकमात्र रास्ता कलेक्ट्रेट होकर ही है। जज और डीएम के निर्देश पर अधिवक्ता और न्यायिक पदाधिकारियों की गाड़ियों को इस रास्ते का प्रयोग करने की परमिशन है परंतु बिना किसी सूचना के कलेक्ट्रेट का दक्षिणी गेट बंद कर दिए जाने की वजह से काफी परेशानी बढ़ गई है। इस गेट को वकील और जज के लिए खोलने की भी मांग की गई है।

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