अध्यात्म

शिवपुराण के अनुसार मंत्र जपते समय भूलकर भी न करें ये 4 गलतियां, लाभ की जगह हो जाएगा बड़ा नुकसान

भगवान को खुश करने के लिए हम सभी मंत्रों का जप करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इससे ईश्वर जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। हालांकि यदि आप यह जप करते समय कोई गलती कर दें तो इसका लाभ मिलने की बजाए हानि भी हो सकती है। ऐसे में जप करते समय आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस बात का जिक्र हमे शिवपुराण में भी देखने को मिलता है।

वैसे तो शिवपुराण में देव भक्ति और उपासना से जुड़ी कई चीजें बताई गई है लेकिन हमे जप करते कुछ बातों का आपको विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। शिवपुराण के वायवीय संहिता नाम के खण्ड में जप से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं। इसके अनुसार देवी-देवता का जप करते समय इन 4 बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा न करने पर मनचाहे फल की प्राप्ति नहीं होती है।

1. भगवान का जप हमेशा पूर्ण विधि विधान से ही करना चाहिए। इसे गलत ढंग से करने पर भगवान नाराज हो सकते हैं। इसलिए हर भगवान के जप करने का तरीका और विधि अलग होती है। इसलिए आपको पहले उस जप से संबंधित रिसर्च करना चाहिए और उसके बाद ही इसे जपना शुरू करना चाहिए। आमतौर पर भगवान का जप सुबह जल्दी उठ स्नान के बाद द्वीप प्रज्वलित कर किया जाता है।

2. जब भी आप भगवान का जप करे तो पूर्ण श्रद्धा भाव के साथ ही करें। बिना श्रद्धा के किए गए जप की कोई वैल्यू नहीं होती है। आपको इसका फल भी नहीं मिलता है। इसलिए भगवान के प्रति आपकी श्रद्धा सही होना चाहिए। इसके अलावा जप करने समय आपका मन शांत और शुद्ध होना चाहिए। इसमें गुस्से या गंदे विचार नहीं आने चाहिए।

3. जब भी देव पूजा या यज्ञ इत्यादि किया जाता है तो अंत में दान दक्षिण अवश्य दी जाती है। शिवपुराण की माने तो यदि कोई व्यक्ति पूर्ण विधि विधान से जप करने के बाद यदि दक्षिणा न दे तो उसका यह जप व्यर्थ चला जाता है। इसलिए इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें।

4. जब भी कोई पूजा पाठ, यज्ञ या जप करें तो पहले किसी योग्य पंडित या ऋषि से इसके बारे में जान लें। इसका महत्व और विधि जानने के बाद ही इसे करें। आज्ञाहीन जप बहुत खतरनाक माना जाता है। इससे लाभ भी नहीं मिलता है और नुकसान अलग हो जाता है। इसलिए बस यूं ही उठकर जप न करने लग जाएं पहले उस जप की अच्छे से जानकारी निकाल लें।

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