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मजदूर की बेटी 1 दिन के लिए बनीं जिला कलेक्टर, अपनी बुद्धिमता से जीत लिया सबका दिल

खेतों में मजदूरी करने वाले किसान दिन-रात मेहनत करके अपने बच्चों के भविष्य को संवारने की कोशिश करते हैं। हर मजदूर किसान यही चाहता है कि उनका बच्चा पढ़-लिखकर बड़ा अफसर बने। वैसे देखा जाए तो ऐसे कई निर्धन मजदूर परिवार से ताल्लुक रखने वाले बच्चे पढ़ लिखकर अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रहें हैं। आज हम आपको खेतों में मजदूरी करने वाले एक पिता की 16 वर्षीय बेटी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसमें एक दिन के लिए जिला कलेक्टर का कार्यभार संभाला, जिसने अपनी बुद्धिमता से सरकारी संस्था से जुड़े हुए लोग और अन्य लोगों का दिल जीत लिया।

मजदूर की बेटी बनीं एक दिन की जिला कलेक्टर

दुनिया भर में 11 अक्टूबर का दिन इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे के तौर पर मनाया गया था। इस दिन लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए कई पहल हुई। इन्हीं में से एक पहल आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में भी हुई थी। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में 16 वर्षीय एक लड़की को एक दिन का कलेक्टर बनने का मौका मिला। इस लड़की का नाम एम सरवाणी है। एम सरवाणी ने जिला कलेक्टर के रूप में 1 दिन के लिए पूरा कार्यभार संभाला। आपको बता दें कि सरवाणी के पिताजी किसान हैं और इनकी माताजी भी मजदूरी करती हैं। एम. सरवाणी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में पढ़ाई करतीं हैं।

लॉटरी सिस्टम के जरिए नाम निकाला

एक दिन के लिए जिला कलेक्टर की कुर्सी पर बैठने के लिए लॉटरी सिस्टम रखा गया था। जिला कलेक्टर की कुर्सी पर बैठने और कार्य करने के लिए जब लॉटरी सिस्टम से नाम निकाला गया तो इस दौरान जिला कलेक्टर कार्यालय में मीडिया से जुड़े हुए लोग वहां पर उपस्थित थे, इनकी मौजूदगी में यह सभी प्रक्रिया पूरी हुई। जिला कलेक्टर गंधम चंद्रादू ने बालिका भविष्यतू कार्यक्रम लॉन्च किया है। इस कार्यक्रम का मकसद समाज में लड़कियों को आदर देने और उन्हें उनका अधिकार दिलाने के लिए लोगों को जागरूक कराना था।

एक दिन के लिए जिला कलेक्टर बनने के पश्चात 16 वर्षीय एम. सरवाणी ने कहा कि “हम जानवरों को देखभाल करना और अपने आसपास के इलाके को साफ रखना भूल गए हैं।” एक दिन की जिला कलेक्टर ने कहा कि वह शिक्षक बनना चाहती है और उनका कहना था कि यह धारणा जरूरी है कि स्कूल के सभी ड्रॉपआउट भी शिक्षित ही होते हैं।

जानिए एक दिन की जिला कलेक्टर ने क्या-क्या किए काम

जब एम. सरवाणी ने एक दिन के लिए जिला कलेक्टर का कार्यभार संभाला तो काम के दौरान उनको एक फाइल दी गई थी। यह महिला एक महिला को ₹25000 रुपये मुआवजा देने से संबंधित थी। यह महिला SC/ST एक्ट के तहत एक पीड़िता थी। एम. सरवाणी ने पूरी फाइल को ध्यान पूर्वक अच्छी तरह से पढ़ा और बाद में इसने सही जगह पर अपने हस्ताक्षर किए थे। जिला कलेक्टर कार्यालय में मौजूद गैर सरकारी संस्था से जुड़े हुए लोग और अन्य लोग एम. सरवाणी की बुद्धिमता के कायल हो गए थे।

आपको बता दें कि एम. सरवाणी को उनके कार्य में सहायता के लिए आरडीटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर है विशाल फेरर और अस्पताल के अध्यक्ष भानुजा मौजूद थे। एम. सरवाणी ने एक अन्य और फाइल पर हस्ताक्षर किए। इस फाइल पर हस्ताक्षर करने के पश्चात राज्य प्रशासन की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है कि “जो भी महिलाएं घरेलू कार्य के अलावा नौकरी कर रही हैं, वैसी महिलाओं से रात 8:00 बजे से सुबह 8:00 बजे तक कोई भी ऑफिशियल कार्य नहीं लिया जाएगा।”

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