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गरीब भूखे पेट ना सोए इसलिए नेक काम कर रहा है ये शख्स, श्याम रसोई में मिलती है 1 रुपए की थाली

हर इंसान दो वक्त की रोटी पाने के लिए दिनभर कठिन मेहनत करता है, परंतु कोरोना काल में लोगों के समक्ष ऐसी मजबूरी आ चुकी है जिसका सामना हर इंसान कर रहा है। कोरोना महामारी के बीच लॉकडाउन के कारण लोगों का कामकाज लगभग बंद हो चुका है। रोजगार की तलाश में लोग इधर-उधर भटक रहे हैं परंतु इसके बावजूद भी लोगों को कोई भी रोजगार नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करना लाखों लोगों के लिए काफी मुश्किल हो रहा है। मजबूरी में गरीब लोग भूखे पेट ही सोने के लिए विवश हो गए हैं परंतु ऐसा नहीं है कि संकट की इस घड़ी में कोई भी इनकी सहायता करने के लिए नहीं आ रहा है। कुछ नेक लोग ऐसे हैं जो अपनी तरफ से मजबूर जरूरतमंद लोगों की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। इनका मकसद यह है कि कोई भी गरीब इंसान भूखा पेट ना सोएं।

आज हम आपको दिल्ली के एक ऐसे शख्स के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो मात्र ₹1 रुपये में लोगों को भोजन करवा रहा है। जी हां, यह शख्स केवल गरीब लोगों के लिए ही नहीं बल्कि हर वर्ग के लोगों की मदद कर रहा है। यह सुबह 11:00 बजे से 01:00 बजे के बीच मात्र ₹1 रुपये में खाली देता है।

जरुरतमंद का पेट भरने वाली श्याम रसोई, मात्र ₹1 रुपये की थाली


गरीब और जरूरतमंद लोगों को भरपेट खाना खिलाने के लिए एक शख्स भुट्टो गली ने नागलोई के शाम रसोई में सुबह 11:00 से 1:00 बजे के बीच महज ₹1 रुपये में थाली देता है ताकि कोई भी मजबूरी में गरीब इंसान भूखा पेट ना रहे। यहां पर हर वर्ग के लोग भोजन के लिए लाइन लगाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि शाम रसोई को चलाने वाले मालिक प्रवीण कुमार गोयल जिनकी उम्र 51 वर्ष की है, यह पिछले 2 महीने से शाम रसोई चला रहे हैं। शाम रसोई को चलाने वाले प्रवीण कुमार गोयल का ऐसा बताना है कि “हम यहां 1000 से 1100 लोगों को खाना खिलाते हैं और 3 ई-रिक्शा के जरिए इंद्रलोक, साईं मंदिर जैसे आसपास के इलाकों में पार्सल भी उपलब्ध कराते हैं। शाम रसोई में लगभग 2000 दिल्लीवासी भोजन करते हैं।” आपको बता दें कि पहले यहां पर थाली की कीमत ₹10 थी, लेकिन पिछले दो महीनों से लोगों को आकर्षित करने के लिए एक रुपए खाली कर दी गई।

बातचीत के दौरान श्याम रसोई के मालिक परवीन कुमार गोयल ने बताया कि “हमें लोगों से दान मिलता है। कल एक बूढ़ी औरत आई और हमें राशन देने की पेशकश की। दूसरे दिन किसी ने हमें गेहूं दिया और इस तरह हम पिछले 2 महीनों से इसे चला रहे हैं। लोग डिजिटल भुगतान मोड के जरिए भी हमारी मदद करते हैं। हमारे पास 7 और दिन चलने की क्षमता है। साथ ही में सभी से अनुरोध करता हूं कि वह राशन की मदद करें और इस सेवा को जारी रखें।”

बता दें कि प्रवीण कुमार गोयल ने अपने साथ 6 सहायक रखे हैं, जिनको बिक्री के आधार पर 300 से 400 का भुगतान करते हैं। इतना ही नहीं बल्कि गोयल की सहायता के लिए कुछ स्थानीय लोग और कुछ कॉलेज के छात्र भी इनके पास आते हैं। वैसे इनके द्वारा किए गए इस नेक काम के लिए लोग इनकी खूब प्रशंसा कर रहे हैं।

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