
जब सपा के नरेश अग्रवाल ने अरुण जेटली को बताया राज्यसभा का हनुमान, और कही ये बातें….
जीएसटी पर अभी घमासान खत्म नहीं हुआ है. वस्तु एवं सेवा कर यानी कि जीएसटी लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन राज्यसभा से अभी तक इस बिल को हरी झंडी नहीं मिली है. इस समय राज्यसभा में जीएसटी से जुड़े चार बिलों पर चर्चा हो रही है. गौरतलब है कि सरकार ने इस बिल को मनी बिल के रूप में राज्यसभा में पेश किया है. मनी बिल की विशेषता यह होती है कि बहस के दौरान अगर राज्यसभा इसमें संशोधन या कोई बदलाव का सुझाव देती है तो सरकार उस सुझाव को मानने के लिए बाध्य नहीं होती है.
राज्यसभा में विपक्षी दलों ने जीएसटी को मनी बिल बनाकर पेश करने पर किया विरोध :
जब सरकार ने जीएसटी को मनी बिल के रूप में पेश किया तो राज्यसभा में विपक्षी दलों ने इसका खूब विरोध किया. विरोधी पार्टियां सरकार पर यह आरोप लगा रही हैं कि ऐसा करके सरकार राज्यसभा को गैर-जरूरी या अप्रासंगिक बनाने का प्रयास कर रही है. विपक्षी दलों ने कहा कि इस तरह से सरकार अपने लिए जरूरी विधेयकों को मनमाने रूप में पास कराना चाहती है.
आप हमारे हनुमान हैं :
नरेश अग्रवाल ने हनुमान जी को शक्ति याद दिलाने वाले किस्से का हवाला दिया और कहा कि जिस तरह से हनुमान जी को शक्तियों के बारे में बताने पर उन्हें याद आता है कि वो कितने क्षमतावान है उसी तरह से हम आपको याद दिलाना चाहते हैं कि आप भी इस सदन के हनुमान हैं. आप सदन के नेता हैं और संवैधानिक विशेषज्ञ भी. इस बिल को मनी बिल के रूप में पेश करके आप सदन के महत्व को कम कर रहे हैं. इस सदन की शक्तियां कम होने से आपकी शक्तियां भी कम होंगी.
वहीं कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी राज्यसभा की महत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार राज्यसभा को अब ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं मान रही है. वर्तमान स्थितियों पर विपक्ष लगातार सरकार पर हमले कर रहा है. पिछले सप्ताह कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली ने कहा था कि अगर राज्यसभा के सदस्यों में थोड़ा भी सम्मान बचा है तो उन्हें सदन से इस्तीफा दे देना चाहिए.
भूपेन्द्र यादव ने सरकार का पक्ष रखा :
इस मामले में राज्यसभा में भूपेन्द्र यादव ने सरकार का पक्ष रखा और बचाव किया. भूपेन्द्र यादव केन्द्रीय मंत्री हैं, उन्होंने कहा कि जीएसटी को मनी बिल के रूप में इसलिए रखा गया है क्योंकि टैक्स और लोगों के पैसे से जुड़े कानूनों को लोकसभा का प्रतिनिधित्व मिलता है और यह संविधान निर्माताओं द्वारा तय किया गया है. लोगों से जुड़े ऐसे मुद्दों पर फैसला लेने का अधिकार लोकसभा के पास है.
इस पर नरेश अग्रवाल भड़क गए और उन्होंने कहा कि अगर लोकसभा में लोगों का प्रतिनिधित्व है, लोगों द्वारा चुने गए लोग हैं तो क्या राज्यसभा भिखारियों की जगह है? उन्होंने सवाल किया कि ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है. उन्होंने संवैधानिक विसंगतियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में संविधान में संशोधन भी किया जा सकता है.