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अगले साल चांद पर भेजा जाए चंद्रयान-3, मगर इस बार किया गया मिशन में ये बड़ा बदलाव

भारत साल 2021 में चंद्रयान-3 को लॉन्च करने वाला है। चंद्रयान-2 मिशन के असफल रहने के बाद चंद्रयान-3 मिशन को शुरू किया गया है और इस मिशन के तहत अगले साल चांद की सतह पर चंद्रयान को भेजा जाएगा। चंद्रयान-3 मिशन के बारे में जानकारी देते हुए अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा, केवल लैंडर और रोवर ही इसका हिस्सा होंगे। चंद्रयान-3 की लांचिंग 2021 की शुरुआत में होगी। ये चंद्रयान-2 के रिपीट मिशन जैसा होगा। जिसमें उसी की तरह लैंडर और रोवर होंगे। लेकिन चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा।

गौरतलब है कि साल 2019 के जुलाई महीने में चंद्रयान-2  को लॉन्च किया गया था। इस मिशन के तहत लैंडर-रोवर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था। लेकिन ये मिशन सफल ना हो सका और आखिरी पल में रोवर की क्रैश लैंडिंग हो गई थी। जिसके कारण ये मिशन अधूरा रहे गया। हालांकि इसका ऑर्बिटर सही तरह स्थापित हो गया था। ये अभी भी काम कर रहा है और महत्वपूर्ण डाटा भेज रहा है। जिसकी वजह से चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर को नहीं जोड़ा गया है।

कोरोना वायरस का पड़ा असर

चंद्रयान-2 के नाकाम होने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस साल के आखिर तक चंद्रयान-3 को भेजने की योजना बनाई थी। मगर कोरोना वायरस के कारण इस मिशन पर भी असर पड़ा और अब ये मिशन साल 2021 में किया जाएगा।

चंद्रयान-1 मिशन को किया याद

केंद्रीय मंत्री ने चंद्रयान-1 मिशन को याद करते हुए कहा कि साल 2008 में लॉन्च किया गया चंद्रयान-1 इसरो का पहला चंद्र अभियान था। इसने चांद पर पानी होने के बारे में दुनिया को बताया था। चंद्रयान-1 से मिले डाटा से ही पता चला था कि चांद के ध्रुवों पर पानी है। जिसके कारण आज दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर शोध कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत अपने पहले मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान की भी तैयारियों में लगा है। इसके लिए प्रशिक्षण एवं अन्य प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जा रहा है। कोविड-19 के कारण इसमें कुछ दिक्कत आई है, लेकिन पूरा प्रयास है कि पहले से तय समय सीमा के अनुरूप 2022 के आसपास ही इसे अंजाम तक पहुंचा दिया जाए।

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