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चीन को लगने वाला है बड़ा झटका, 24 कंपनियां भारत में लगाएंगी मोबाइल फोन की फैक्ट्रियां

कोरोना वायरस से पूरी दुनिया प्रभावित है और इस महामारी का जिम्मेदार चीन को बताया जा रहा है। इसके चलते अब चीन के प्रति दुनियाभर में गुस्से का माहौल दिख रहा है। दुनिया की कई कंपनियां अब चीन से अपना कारोबार हटा रही हैं। इन कंपनियों को लुभाने के लिए भारत द्वारा हाल में ही की गई प्रोत्साहनों की घोषणाएं भी अपना असर दिखा रही हैं। सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर एपल तक के एसेंबली पार्टनर्स भारत में निवेश करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। बता दें कि मार्च में मोदी सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियों के लिए कई तरह के प्रोत्साहनों की घोषणा की थी। इसका नतीजा ये है कि करीब 24 कंपनियों ने भारत में मोबाइल फोन की फैक्ट्रीज लगाने के लिए 1.5 अरब डॉलर निवेश का वादा किया है।

24 कंपनियां करेंगी भारत में निवेश

सैमसंग के अलावा फॉक्सकॉन के नाम से मशहूर कंपनी Hon Hai Precision co, विस्ट्रॉन कॉर्प (Wistron corp), और पेगाट्रॉन कॉर्प (Pegatron corp) जैसी कंपनियों ने भारत में निवेश के लिए दिलचस्पी दिखाई है। भारत ने फार्मास्यूटिकल सेक्टर में भी इसी तरह के इंसेटिव( जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता जो अगले पांच साल में अपने इंक्रिमेंटल सेल्स के 4 से 6 प्रतिशत भुगतान के काबिल हो जाएंगे) की घोषणा की है। इसके अलावा कई दूसरे सेक्टर्स में भी इसी तरह के इंसेटिव लाने की योजना है। बता दें कि इन अन्य सेक्टर्स में ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर हो सकते हैं।

अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और कोरोना महामारी के बीच कंपनियां अपने एक्टिव सप्लाई चेन को डाइवर्सिफाई करने का रास्ता देख रही हैं। हालांकि कारोबार करने को सस्ता बनाने के बावजूद भारत को बड़े पैमाने पर इसका फायदा नहीं हुआ है। इन कंपनियों के लिए वियतनाम फिलहाल सबसे पंसदीदा जगह बनी है। इसके बाद कंबोडिया, म्यामार, बांग्लादेश और थाईलैंड जैसे देश कंपनियों की पसंदीदा जगह है। बता दें कि न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग के अनुसार, स्टैंडर्ड चार्ट्ड पीएलसी के हाल के सर्वे से ये सारी जानकारी सामने आई है।

हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार

बता दें कि मोदी सरकार को उम्मीद है कि केवल इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में आने वाले पांच सालों में 153 अरब डॉलर का सामान बनाया जा सकता है, जिसमें डॉयरेक्टली और इनडॉयरेक्टली दोनों रुप से करीब 10 लाख नौकरियां भी पैदा होंगी। क्रेडिट सुइस ग्रुप के विश्लेषकों का मानना है कि इससे अगले पांच सालों में 55 अरब डॉलर का अतिरिक्त निवेश आएगा जो देश के इकोनॉमिक आउटपुट में 0.5 फीसदी की बढ़ोत्तरी करेगा।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत इकोनॉमी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है जो अभी 15 फिसदी है। सरकार पहले ही कॉरपोरेट टैक्स में कर चुकी है जो एशिया में सबसे कम है। इसका मकसद देश में नए निवेश को आकर्षित करना है। बता दें कि कोरोना महामारी से देश की इकोनॉमी को गहरा झटका लगा है। BofA सिक्योरिटी के एक एनलिस्ट अमीश शाह ने लेटेस्ट इंसेंटिव प्लान जो ‘मेक इन इंडिया में बड़ी जीत है’ के बारे में बताया है। अमिश शाह उद्योग, सीमेंट, फार्मास्यूटिकल्स, धातु और रसद को लाभ के लिए देखते हैं। बता देें कि भारत ने पहले ही चीन के एप टिक टॉक समेत 59 एप्स पर बैन लगा दिया है और अब भारत में 24 कंपनियों के मोबाइल फोन की फैक्ट्री लगने से उसे काराबोर में बड़ा नुकसान झेलना होगा।

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