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भारत वापस आएगी 22 साल पहले चुराई गई 9वीं शताब्दी की नटराज शिव की दुर्लभ मूर्ति, ऐसे हुई थी चोरी

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले से चोरी हुई शिव जी की दुर्लभ मूर्ति आज वापस भारत लाई जा रही है। इस मूर्ति को साल 1988 में चोरी किया गया था। मूर्ति चोरी होने के कई सालों बाद भारत सरकार को इससे जुड़ा सुराग मिला था और सुराग की मदद से इस मूर्ति को खोजा जा सका था। ये मूर्ति लंदन में बरामद हुई थी और करीब 22 साल बाद आज ये मूर्ति वापस भारत आ रही है। इस मूर्ति को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग को सौंपा जाएगा, जो इस मूर्ति की देख रेख करेगा।

9वीं शताब्दी की है मूर्ति

शिव की ये मूर्ति नटराज मुद्रा में है जो कि 9 वीं शताब्दी की बताई जाती है। इस मूर्ति को साल 1998 के फरवरी महीने में चित्तौड़गढ़ जिले में घाटेश्वर मंदिर से चोरी किया गया था। वहीं साल 2003 में इस मूर्ति के ब्रिटेन में होने की बात पता चली थी। इस मूर्ति के बारे में जानकारी देते हुए भारतीय अधिकारियों ने कहा कि जब हमें साल 2003 में ये जानकारी मिली थी कि मूर्ति की तस्करी कर इसे ब्रिटेन ले जाया गया है। तब ब्रिटिश अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई और उन्हें सतर्क किया गया। इसे मूर्ति के लिए उन्होंने लंदन के एक प्राइवेट कलेक्टर के साथ बातचीत की थी। जिसने इसे बरामद कर अपने कब्जे में ले लिया था। स्वेच्छा से साल 2005 में इस मूर्ति को भारतीय उच्चायोग को लौटा दिया था।

लगाया गया था इंडिया हाउस की प्रदर्शनी में

साल 2005 से ये मूर्ति इंडिया हाउस में प्रदर्शनी में लगाई गई थी। वहीं अगस्त 2007 में एएसआई विशेषज्ञों की एक टीम ने मूर्ति की जांच की और पुष्टि की कि ये वही मूर्ति है, जिसे बरोली गांव के घाटेश्वर मंदिर से साल 1998 में  चुराया गया था।

इन देशों ने भी की मूर्ति वापस

इससे पहले अमेरिका, आस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी देशों से भी भारत की दुर्लभ मूर्तियां और वस्तुओं को वापस देश लाया गया है। हाल ही में कृष्ण की 17वीं शताब्दी की कांस्य मूर्ति और दूसरी शताब्दी का चूना पत्थर से बना स्तंभ को अमेरिकी दूतावास ने भारत को 15 अगस्त 2019 को सौंपा था। 15 अगस्त, साल 2018 को स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा बुद्ध की 12 वीं शताब्दी की कांस्य प्रतिमा भारत को सौंपी गई थी। इसके अलावा ब्रम्हा-ब्राह्मणी मूर्तिकला को साल 2017 में वापस किया गया था। ये मूर्ति गुजरात से चुराई गई थी।

भारत सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक भारतीय संस्कृति को बचाए रखने के प्रयास में विदेश मंत्रालय ने कानून प्रवर्तन एंजेसियों के साथ मिलकर जांच की थी। जिसकी वजह से ये मूर्तियां वापस से भारत आ सकी हैं।

गौरतलब है कि इन दुर्लभ मूर्तियों को बेच तस्कर अच्छी खासी कमाई करते हैं और इन्हें ब्लैक मार्केट में बेचा जाता है। भारत से कई सारी ऐसी मूर्तियां चोरी की जा चुकी हैं और जिन्हें मोटी रकम में बेचा गया है।

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