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गब्बर सिंह के लिए मेकर्स की पहली पसंद नहीं थे अमजद खान, ऐसे बने पर्दे के सबसे खतरनाक डाकू

यहां से पचास-पचास कोस दूर गांव में जब बच्चा रोता है तो मां कहती है, बेटा सो जा वरना गब्बर सिंह आ जाएगा....

अरे ओ सांभा…..कितना इनाम रखे हैं सरकार हम पर……पूरे पचास हजार, इस डायलाग को सुनते ही आपको गब्बर सिंह याद आ गया होगा जिसने रामगढ़ के लोगों में खौफ बना रखा था। पर्दे पर गब्बर का रोल निभाने वाले अमजद खान ने इतना सधा हुआ अभिनय किया था कि उस दौर में फैंस भी उनसे डरने लगे थे। फिल्म ‘शोले’ में गब्बर सिंह का यादगार किरदार निभाने वाले अमजद खान 27 जुलाई 1992 को महज 51 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। अमजद ने अपने करियर में कई किरदार निभाए थे, लेकिन दुनिया उन्हें आज भी गब्बर सिंह के रुप में जानती हैं। हालांकि इस रोल के लिए अमजद खान मेकर्स की पहली पसंद नहीं थे।

तो अमजद नहीं डैनी बनते गब्बर सिंह

हिंदी सिनेमा के इतिहास में कई फिल्में ऐसी बनीं जिसमें एक्टर्स ने डाकू का किरदार निभाया, लेकिन अमजद खान का गब्बर जैसा किरदार कोई नहीं निभा सका। गब्बर बनकर अमजद खान ने लोगों के दिलों पर वो छाप छोड़ी की आज भी लोग उस किरदार को याद कर सहम जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि गब्बर का रोल निभाकर अमर हुए अमजद खान इस रोल के लिए मेकर्स की पहली पसंद नहीं थे?  ये सुनकर आपको हैरानी जरुर हुई होगी, लेकिन इस रोल के लिए पहले अमजद को नहीं बल्कि डैनी को चुना गया था।

गब्बर सिंह जैसे खुंखार डाकू का रोल निभाने के लिए पहले डैनी को चुना गया था। डैनी एक शानदार कलाकार हैं और उन दिनों में निगेटिव रोल्स के लिए उनकी मांग फिल्मों में बहुत ज्यादा थी। ऐसे में ये रोल पहले डैनी को ऑफर हुआ। हालांकि डैनी दूसरे फिल्मों में बिजी थे ऐसे में उन्होंने इस किरदार को निभाने से इंकार कर दिया। इसके बाद सलीम खान ने मेकर्स को अमजद खान का नाम सुझाया और इसके बाद ये रोल अमजद खान की झोली में आ गिरा।

गब्बर के रोल में अमर हो गए अमजद खान

अमजद खान ने इस रोल को सिर्फ निभाया नहीं बल्कि अमर कर दिया। कितने आदमी थे…? अब तेरा क्या होगा कालिया? जैसे डायलाग आज भी लोगों को रटे हुए हैं। अमजद खान ने गब्बर का रोल इतना बखूबी निभाया की उन्हें फिल्म के हीरो जितनी ही तारीफ मिली। गब्बर के अलावा अमजद खान ने ‘कालिया’, ‘लावारिस’, ‘कुर्बानी’, ‘याराना’ और ‘चमेली’ की शादी जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया, लेकिन आज भी लोग उन्हें गब्बर के रुप में ही याद करते हैं।

अमजद खान ने अपने करियर की शुरुआत 1951 में आई फिल्म ‘नाजनीन’ से बाल कलाकार के रुप में की थी । इस फिल्म के दौरान उनकी उम्र महज 17 वर्ष थी। बतौर हीरो के रुप में अमजद 1973 में फिल्म ‘हिंदुस्तान की कसम’ में नजर आए थे। हालांकि उन्हें असली पहचान मिली फिल्म ‘शोले’ से जिसमें उन्होंने गब्बर का किरदार निभाया था।

अमजद खान के बारे में एक बात और मशहूर थी कि वो चाय के दीवाने थे। वो एक दिन में करीब 30 कप चाय पी जाते थे। अगर उन्हें चाय नहीं मिलती थी तो उनके लिए काम करना मुश्किल हो जाता था। अमजद खान ने पर्दे पर भले ही नकारात्मक किरदारों से सुर्खियां बटोरीं हों, लेकिन असल जिंदगी में वो एक बेहद संजीदा और खुशमिजाज इंसान थे। 28 जुलाई 1992 में दिल का दौरा पड़ने के कारण अमजद खान का निधन हो गया था। अमजद आज अगर हमारे बीच जिंदा होते तो 78 साल के होते। आज भले ही वो हमारे बीच ना हों, लेकिन अपने किरदारों से उन्होंने अपना नाम अमर कर दिया है और उन किरदारों को कोई भुला नहीं पाएगा।

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