अध्यात्म

इस वजह से अविवाहित स्त्री का शिवलिंग को छूना माना जाता है वर्जित, पूजा के समय बरतें ये सावधानी

शिव की पूजा करने से कई सारे नियम जुड़े हुए हैं और इन नियमों के तहत ही शिवलिंग की पूजा करने से लाभ मिलता है। आज हम आपको शिवलिंग पूजा के इन्हीं नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं। ताकि आप भोलेनाथ की पूजा करते समय इन नियमों का पालन जरूर करें।

शिव पूजा के नियम

केवल पुरुष द्वारा संपन्न होनी चाहिए पूजा

शास्त्रों में शिविलंग को एक ज्योति का प्रतीक माना गया है और लिखा गया है कि शिवलिंग की पूजा सिर्फ पुरुष के द्वारा संपन्न होनी चाहिए। इसलिए अगर आप कभी भी शिवलिंग की पूजा करें तो ये सुनिश्चित करें कि ये पूजा पुरुष के द्वारा ही संपन्न हो ना की नारी के द्वारा।

अविवाहित स्त्री रहें दूर

अविवाहित स्त्री शिवलिंग की पूजा कर सकती हैं। लेकिन अविवाहित स्त्री का शिवलिंग को छूना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में साफ तौर पर कहा गया है कि अविवाहित स्त्री को शिवलिंग के करीब नहीं जाना चाहिए और ना ही शिवलिंग को छूना चाहिए। क्योंकि भगवान शिव बेहद गंभीर तपस्या में व्यस्त रहते हैं।

न घूमें चारों और

कई बार पूजा खत्म होने के बाद महिलाएं शिवलिंग की परिक्रमा करती हैं। जो कि शास्त्रों में सही नहीं माना गया है। शास्त्रों के अनुसार अविवाहित स्त्री को शिवलिंग की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। दरअसल पौराणिक कथाओं में शिव की पूजा का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि अप्सराएं भी भगवान शिव की पूजा करते समय बेहद सावधान रहती थी। इसलिए अविवाहित स्त्री को भी सावधानी के साथ ही शिव की पूजा करनी चाहिए। जब शिव की तंद्रा भंग होती है तो वे क्रोधित हो जाते हैं। इसलिए अविवाहित स्त्रियों को शिव पूजा करते हुए हर नियम का पालन करना चाहिए।

माता पार्वती के साथ करें पूजा

शास्त्रों के अनुसार अविवाहित स्त्री को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा एक साथ ही करनी चाहिए। शिव और गोरी की पूजा एक साथ करने से अविवाहित स्त्री को मनचाहा जीवन साथी मिल जाता है।

ना चढ़ाएं तुलसी का पत्ता

शिव की पूजा करते समय उन्हें तुलसी का पत्ता भूलकर भी ना चढ़ाएं। दरअसल शिव को तुलसी का पत्ता चढ़ाना वर्जित माना गया है और ऐसा करने से पाप चढ़ाता है। इसलिए आप शिवलिंग पर तुलसी का पत्ता चढ़ाने से बचें।

केवड़े का फूल ना करें अर्पित

शिव की पूजा करते हुए उन्हें केवड़े का फूल भी अर्पित नहीं किया जाता है। कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा जी के कहने पर केवड़े के फूल ने शिव जी से झूठ कहा था। जिसपर क्रोधित होते हुए शिव ने केवड़े के फूल और ब्रह्मा जी को शाप दिया था। शिव ने ब्रह्मा जी को शाप देते हुए कहा था कि उनका कोई भी मंदिर धरती पर नहीं होगा और ना ही उनकी पूजा की जाएगी। वहीं केवड़े के फूल को शाप देते हुए शिव ने कहा था कि तुम्हारा प्रयोग मेरी पूजा के दौरान नहीं किया जाएगा। तभी से केवड़े के फूल का इस्तेमाल शिव पूजा के दौरान नहीं किया जाता है। इसी तरह से सिंदूर को भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता है।

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