अध्यात्म

शुक्रवार की रात जरूर करें ये गुप्त उपाय, बरसेगा धन, चमक जाएगी किस्मत

शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होता है और इस दिन इनकी पूजा करने से धन लाभ होता है। शास्त्रों में मां लक्ष्मी का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि ये धन की देवी हैं और समुद्र मंथन के दौरान ये प्रकट हुई थी। शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी मां की पूजा हमेशा गोपनीय तरीके से की जाती है। इसलिए आप भी इस बात का ध्यान रखें और हमेशा इनकी पूजा गुप्त रुप से ही करें। वहीं आज हम आपको कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जिनको करने से आपका भाग्य खुल जाएगा।

शुक्रवार को कर दें ये उपाय चमका जाएगा भाग्य

विष्णु भगवान का करें अभिषेक

भगवान विष्णु का जलाभिषेक करने करने से सारे संकट टल जाते हैं। इसलिए आप शुक्रवार की रात को दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर उससे विष्णु भगवान का अभिषेक करें।

जला दें दीपक

रात के समय घर के ईशान कोण पर आप गाय के घी का दीप जला दें। दीपक जलाने से पहले उस पर एक लाल रंग का धागा भी बांधना ना भूलें। ये उपाय करने से धन लाभ होता है।

खिलाएं खीर

शुक्रवार को सफेद रंग की चीजों का दान करें। साथ में ही तीन कुंवारी कन्याओं को खीर खाएं। इसके अलावा शुक्रवार के दिन श्रीयंत्र का दूध से अभिषेक करना भी शुभ फल देता है।

आठों रुप की करें पूजा

शास्त्रों में महालक्ष्मी के आठ बताए गए। इसलिए आप शुक्रवार को मां के इन सभी आठों स्वरूपों की पूजा करें। मां के सभी स्वरूपों की पूजा करने से धन लाभ के साथ-साथ आयु, बुद्धि और सेहत अच्छी रहती है। वहीं मां के आठ रुप और उनसे जुड़े मंत्र इस प्रकार हैं।

1. श्री आदि लक्ष्मी – मां के इस रुप की पूजा करने से आयु लंबी होती है। वहीं आदि लक्ष्मी का मूल मंत्र  ॐ श्रीं।। है

2. श्री धान्य लक्ष्मी – धन लाभ के लिए मां धान्य लक्ष्मी की पूजा करें। इनका मूल मंत्र ॐ श्रीं क्लीं।। है

3. श्री धैर्य लक्ष्मी – जीवन में आत्मबल और धैर्य बनाए रखने के लिए धैर्य लक्ष्मी के इस मूल मंत्र का जाप करें ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।

4. श्री गज लक्ष्मी – स्वास्थ और बल के लिए गज लक्ष्मी की पूजा करें और ये मंत्र पढ़ें ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।

5. श्री संतान लक्ष्मी – परिवार और संतान सुख के लिए संतान लक्ष्मी का पूजन करें और ये मंत्र पढ़ें- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।

6. श्री विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी –कार्य में जीत हासिल करने के लिए मां के इस रुप की पूजा करें और  इनका मूल मंत्र ॐ क्लीं ॐ।। है

7. श्री विद्या लक्ष्मी – बुद्धि और ज्ञान के लिए विद्या लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। इनका मूल मंत्र ॐ ऐं ॐ।। है

8. श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी – जीवन में सुख पाने के लिए मां के इस रुप की पूजा करें और इनके मूलमंत्र का जाप करें।  ॐ श्रीं श्रीं।।

करें मां से जुड़े मंत्रों का जाप

कथा के अनुसार जब मां लक्ष्मी प्रकट हुई थी तब देवराज इंद्र ने मां लक्ष्मी की स्तुति की थी। जिससे खुश होकर मां लक्ष्मी ने देवराज इंद्र को वरदान दिया था कि जो व्यक्ति प्रति दिन ये स्तुति पढ़ेगा उसे जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होगी।

मां लक्ष्मी स्तुती –

आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।

संतान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।

विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।

धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।

धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।

मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।।

गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।

धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।

जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।।

भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।10।।

कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।11।।

आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।12।।

सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।13।।

सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।14।।

साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।15।।

मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।16।।

सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।

शुभं भवतु कल्याणी आयुरारोग्य संपदाम्।

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