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चीन की बढ़ी परेशानी, तेज हुआ चिकन नेक में निर्माण कार्य, जल्द ही बनकर हो जाएगा तैयार

भारत ने चीन सीमा से जुड़े रास्तों पर हो रहे सभी निर्माण कार्यों को तेजी से करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा कि केंद्र सरकार ने भारत का ‘चिकन नेक’ कहे जाने वाले सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्माण कार्य की प्रक्रिया तेज कर दी है और कुछ ही महीनों में ये कार्य पूरा हो जाएगा।

जल्द बन जाएगा तीस्ता नदी पुल

जलपाईगुड़ी के पास तीस्ता नदी पर निर्माणाधीन पुल को जल्द ही पूरा करने के लिए दिन रात काम किया जा रहा है और ये पुल आने वाले महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा। इसके अलावा तीस्ता नदी पर नए पुल के बनाने की योजना भी सरकार द्वारा बनाई जा रही है।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों की और से दी गई जानकारी के अनुसार तीस्ता नदी पर दूसरे पुल का निर्माण अंतिम चरण में पहुंच चुका है। एनएचएआई इस पुल का निर्माण कर रहा है और अगले कुछ महीने में पुल का काम पूरा कर लिया जाएगा। ये पुल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-27 है। अधिकारियों के अनुसार तीस्ता नदी पर कोरोनेशन पुल (सिवोक पुल) है। लेकिन ये पुल 80 साल पुराना है और इस पुल की हालात सही नहीं है। जिसकी वजह से इस पुल पर भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित है। ये पुल दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी को जोड़ता है।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार तीस्ता नदी पर गजल्दोबा के पास 1.6 किलोमीटर का नया पुल बनाने की योजना तैयार की जा रही है। इसके अलावा बंगराकोट से गंगटोक तक के राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण को भी तेजी से करने का फैसला लिया गया है। अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 का निर्माण कार्य तेज कर दिया गया है। ये मार्ग बग्रकोते से सिक्कम की राजधानी गंगटोक को जोड़ती है। इस सड़क की लंबाई 250 किलोमीटर है। इस राजमार्ग को बनाने का कार्य सरकारी उपक्रम एनएचआईडीएसील कर रही है। उत्तरी बंगाल के सिलीगड़ी शहर से गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग तीस्ता नदी तक पहुंचता है। यहां से ये राजमार्ग बाईं तरफ सिक्किम और दाईं तरफ मुड़ने पर उत्तरी पूर्वी राज्यों व भूटान को जाता है। इसके उत्तर में चीन और दक्षिण में बंग्लादेश देश की सीमाएं हैं।

बेहद ही जरूर हैं सिलीगुड़ी कॉरिडोर

सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक बेहद ही महत्वपूर्ण कॉरिडोर है। इस कॉरिडोर के ना होने से भारत का संपर्क पूर्वोत्तर राज्यों से पूरी तरह से कट जाएगा। वहीं चीन की और से तीन साल पहले भूटान के डोकलाम में सड़क निर्माण किया जा रहा था। जिस पर चीन व भारत के बीच विवाद हुआ था। दरअसल अगर चीन डोकलाम में सड़क बनाने में कामयाब होता है, तो सिलीगुड़ी कॉरिडोर तक उसे पहुंचने में आसान हो जाएगी और ऐसा होने पर भारत का संपर्क पूर्वोत्तर राज्यों से पूरी तरह से कट जाएगा। इसलिए ये इलाका भारत के लिए बेहद अहम है।

डोकलाम से है 50 किलोमीटर की दूरी

सिलीगुड़ी कॉरिडोर की लंबाई 200 किलोमीटर है और ये 60 किलोमीटर चौड़ा कॉरिडोर है। ये कॉरिडोर भारत को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है। डोकलाम से सिलीगुड़ी की दूरी महज 50 किलोमीटर है और इस कॉरिडोर के बन जाने से चीन देश को खासा परेशानी होने वाली है।

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