बॉलीवुड

जगमगाती गलियों में रोशनी ढूंढते दिल, जब डिप्रेशन ने छीन लिए सिनेमा के ये मशहूर सितारे….

दुख की बात है कि अवसाद की घुटन से जिंदगी को आजाद करने वाले सुशांत इंडस्ट्री के इकलौते शख्स नहीं है

सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना

तड़प का ना होना सब सहन कर जाना

घर से निकलना काम पर

और काम से लौटकर घर जाना

सबसे खतरनाक होता है

हमारे सपनों का मर जाना………………

पंजाबी कवि अवतार सिंह ‘पाश’ की लिखी कविता ‘सबसे खतरनाक होता है’ का ये एक अंश ऐसा है जो हर स्तर की जमीनी हकीकत को बयान करता है। 34 साल के हैंडसम, प्रतिभावान और सपनों से भरे कलाकार सुशांत सिंह राजपूत ने मुंबई के ब्रांद्रा स्थित फ्लैट में फांसी लगाकर जान दे दी। सुशांत ने कोई नोट नहीं छोड़ा और ना ही किसी को बताया कि वो किस बात को लेकर परेशान हैं। वहीं अब जो बातें खुलकर सामने आ रही हैं वो बता रही हैं कि उनके साथ कुछ बहुत ‘खतरनाक’ हुआ था।

सबसे खतरनाक शायद ये ही हुआ था कि उनके सपनों के साथ किसी ने छेड़छाड़ कर दी थी। दुख की बात है कि अवसाद की घुटन से जिंदगी को आजाद करने वाले सुशांत इंडस्ट्री के पहले शख्स नहीं है। उनसे पहले भी इस चमचमाती दुनिया ने कई कलाकारों को ऐसी ही छिपी हुई बीमारी दी और मौत के बाद पल्ला झाड़ लिया। इस लिस्ट में  नाम तो बहुत से शामिल हैं ,लेकिन आज कुछ चुनिंदा हस्तियों के बारे में  आपको बताएंगे जिन्होंने अवसाद और तनाव में आकर अपनी जिंदगी खत्म कर दी।

गुरुदत्त

50 और 60 के दशक में जब बॉलीवुड स्थापित हो रहा था उस समय गुरुदत्त पर्दे पर अपने सपनों को रंग दे रहे थे। वो एक बेहतरीन कलाकार होने के साथ साथ एक बेहतरीन निर्देशक थे। उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्मों का निर्माण किया था, लेकिन अपने अंदर के खालीपन से गुरुदत्त कभी उबर नहीं पाए। 1964 में मुंबई के पेड्डर रोड इलाके में स्थित एक अपार्टमेंट में एक दिन गुरु दत्त मृत पाए गए। अपने जमाने के मशहूर निर्देशक गुरुदत्त ने जहर खाकर जान दी थी। कहा जाता है कि आत्महत्या से पहले उनकी पत्नी से बेटी से मिलने को लेकर लड़ाई हुई थी।

मनमोहन देसाई

फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा नाम जो इस लिस्ट में होने के कारण चौंकाता है। मनमोहन देसाई हिंदी फिल्मों के सफल फिल्मकार थे। उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट कॉमर्शियल फिल्में बनाई थीं।1994 में खबर आई की मनमोहन देसाई की उनके घर की बालकनी से गिरने से मौत हो गई। मनमोहन चले गए लेकिन अपने पीछे सवाल छोड़ गए। ये दूर्घटना थी या फिर आत्महत्या…? ये राज आज भी बरकरार है।

कुणाल सिंह

सोनाली बेंद्रे के अपोजिट फिल्म ‘Kadhalar Dhinam’ से बॉलीवुड में कदम रखने वाले कुणाल सिंह भी इस अंधेरे से बच नहीं पाए। उनकी पहली फिल्म हिट रही, लेकिन 7 फरवरी 2008 को कुणाल ने मुंबई में अपने अपार्टमेंट में फांसी लगा ली। कुणाल ने फांसी लगा ली लेकिन किसी को इसका कारण नहीं पता चला। कहा जाता है कि फिल्मों में अपनी पहचान ना बना पाने के कारण कुणाल सिंह डिप्रेशन में थे और उन्हें जिंदगी खत्म कर लेना ही सही लगा।

उदय किरण

सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं साउथ सिनेमा में भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। तेलुगू अभिनेता उदय किरण ने साल 2014 में पंखे से लटककर जान दे दी थी। उनकी मौत का कारण भी अवसाद बताया गया था। किरण ने पहली तीन फिल्म चित्रम, नुवू नेनू और मानासांता नुवी से पर्दे पर धमाल मचाया था, लेकिन फिर उनक करियर की रफ्तार धीमी पड़ गई और उन्होंने अपनी जान दे दी।

कुशल पंजाबी

टीवी एक्टर कुशल पंजाबी ने छोटे पर्दे पर खूब नाम कमाया, लेकिन अवसाद ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। कुशल ने 26 दिसंबर 2019 को अपने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 42 साल की उम्र में कुशल पंजाबी ने अपनी जान दे दी थी। बताया जा रहा था कि उनकी पत्नी से उनके संबंध अच्छे नहीं थे। वहीं करियर को लेकर भी वो डिप्रेस रहा करते थे जिसके चलते उन्होंने ऐसा कदम उठा लिया था।

मनमीत ग्रेवाल

हाल ही में लॉकडाउन के बीच टीवी एक्टर मनमीत ग्रेवाल ने अपने घर पर फांसी लगा ली थी। वो कर्ज में डूबे थे और इंडस्ट्री में उन्हें काम भी नहीं मिल रहा था। अवसाद से गुजर रहे मनमीत ने जिंदगी से हार मान ली और अपने परिवार को अकेला छोड़ फांसी लगा ली।

सिल्क स्मिता

दक्षिण भारतीय फिल्मों में अपनी अदाओं से लोगों के दिलों पर राज करने वाले स्किल स्मिता भी अवसाद से पीड़ित हो गई थी। 23 सिंतबर 1996 को स्लिक स्मिता ने अपने घर पर फांसी लगा ली थी। हालांकि ये बात साफ नहीं हो पाई थी कि उन्होंने आत्महत्या की थी या फिर किसी ने उनकी जान ली थी। उनके करीबियों का मानना था कि सिल्क अंदर से टूट चुकी थीं।

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