अध्यात्म

आखिर क्यों भगवान शिव जी को इतना प्रिय है शमशान घाट, पढ़ें इससे जुड़ी कथा

भगवान शिव जी को श्मशान घाट बेहद ही प्रिय है और यही वजह है कि श्मशान घाट पर भगवान शिव जी की मूर्ति जरूर लगी होती है। भगवान शिव जी अपने शरीर पर शमशान घाट की भस्म को भी लगाया करते हैं। मान्यता है कि शिव जी शमशान घाट में निवास करते हैं और यहां उनके निवास स्थानों में से एक है हैं।

आखिर क्यों शिव जी को शमशान घाट है इतना प्रिय

एक कथा के अनुसार एक बार मां पार्वती जी ने महादेव जी से पूछा कि आप श्मशान क्यों जाया करते हैं और अपने शरीर में चिताओं की भस्म क्यों लगाया करते हैं। मां पार्वती के इन सवालों का जवाब देते हुए भगवान शिव जी ने कहा कि जब लोग श्मशान घाट में आते हैं तो उनके मुख से राम नाम निकलता है और ये नाम मुझे काफी प्रिय है। इसलिए में श्मशान जाकर इस शब्द को लोगों के मुंह से सुना करता हूं। श्मशान घाट में इतने लोगों के मुख से राम नाम का जाप करवाने में निमित्त बनने वाले शव का मैं सम्मान करता हूं और उसे प्रणाम करता हूं। उसके बाद जब शव को जला दिया जाता है तो उस शव की भस्म को मैं अपने शरीर पर लगा लेता हूं। बस ही कारण है कि मैं श्मशान घाट जाया करता हूं।

बेहद ही दिव्य है राम का नाम

कथाओं के अनुसार भगवान शिव जी को राम नाम से बेहद ही लगाव था। एक बार जब भगवान शिव कैलश पार्वत पहुंचे, तो मां पार्वती से उन्होंने भोजन मांगा। लेकिन मां पार्वती विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर रहीं थीं। जिसके कारण पार्वती जी ने शिव जी को भोजन के लिए कुछ समय इंतजार करने को कहा। लेकिन विष्णु सहस्रनाम पाठ बेहद ही बड़ा पाठ था और इसे पूरा पढ़ने में काफी समय मां पार्वती को लगने वाला था और भगवान शिव जी को बेहद ही तेज भूख लगी थी। तब उन्होंने इस समस्या का हल निकालते हुए मां पार्वती से कहा कि इस पाठ को पूरा करने में तुम्हें काफी समय लगने वाला है। तो क्यों ना तुम इस पाठ को संत लोगों की तरह छोटा कर लो। मां पार्वती ने शिव जी से पूछा कि आखिर वो कैसे विष्णु सहस्रनाम का पाठ छोटा कर सकती हैं। तब शिव जी ने मां पार्वती को बताया कि तुम बस केवल एक बार ‘राम’ नाम का जाप कर लो। ऐसा करने से तुम्हें विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने जितना फल मिल जाएगा।

शिव जी ने मां पार्वती को बताया कि एक ‘राम’ नाम हजार दिव्य नामों के समान है। इसलिए इस नाम का जाप करना बेहद ही लाभदायक होता है। इंसान को राम नाम का जाप जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से उसे कई सारे पाठों को पढ़ने जितना लाभ मिलता है। साथ में ही इंसान को दूसरों को भी ‘राम’ नाम जपने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इससे अपना और दूसरों का कल्याण तुरंत हो जाता है। ये सुनने के बाद पार्वती जी ने भगवान शिव जी की बात को मान लिया और राम के नाम का जाप करना शुरू कर दिया।

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