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पढ़ाने के लिए पिता ने सालों चलाया रिक्शा, अब ऑफिसर बन बेटा ने किया स्वर्गीय मां का सपना पूरा

सफलता उन्हीं को मिलती है, जो मेहनत करते हैं। मेहनत करने वालों को हमेशा अपनी मंजिल मिलती है और उन्हें सफल होने से कोई रोक नहीं सकता है। दरअसल, इसका एक उदाहरण महाराष्ट्र के कोल्हापुर से मिला है। बता दें कि स्कूली बच्चों का रिक्शा चलाने वाले का बेटा धवन सार्थक शशिकांत आज इंडियन मिलट्री अकेडमी  से पास आउट होकर इंडियन आर्मी का अफसर बन चुका है। आइये जानते हैं, धवन सार्थक के मेहनत की पूरी कहानी।

धवन के पिता चलाते हैं रिक्शा

धवन सार्थक के पिता रिक्शा चलाने का काम करते हैं और इसी से जो आमदनी होती है, उससे अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। धवन की मां का कुछ सालोंं पहले एक रोड एक्सिडेंट में निधन हो गया था। धवन के अलावा उसके एक बड़े भाई भी हैं। उनके पिता की चाहत थी कि धवन अच्छे से पढ़ाई करे। धवन की पढ़ाई के लिए पिता ने जीतोड़ मेहनत की और अपनी पूरी मेहनत धवन के शिक्षा दिक्षा पर लगा दी। इसी का फल है कि आज उनका बेटा एक आर्मी अफसर बन चुका है। धवन के पिता ने न सिर्फ धवन को पढ़ाया लिखाया, बल्कि अपने परिवार का भरण पोषण भी किया।

पिता एक रिक्शा चालक थे, इसलिए घर में रूपयों की तंगी हुआ करती थी, मगर उन्होंने कभी अपने परिवार  को किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी। अपनी क्षमतानुसार हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश की।

आर्मी अफसर धवन सार्थक कहते हैं कि मेरी अच्छी शिक्षा के लिए मेरे पिता ने मेरा दाखिला अच्छे स्कूलों में कराया। और जब मेरा एनडीए में दाखिला हुआ, तो परिवार में एक खुशी का माहौल था। धवन ने कहा कि भले ही आज मेरा परिवार मेरे साथ नहीं है, मगर मेरे परिवार की दुआएं हमेशा मेरे साथ थीं।

कोरोना लॉकडाउन के चलते पासिंग आउट सेरेमनी शामिल नहीं हुए परिजन

कोरोना वैश्विक महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के समय में इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पासिंग आउट सेरेमनी में किसी भी कैडेट्स के परिवार वालों को नहीं बुलाया गया था। इसी कड़ी में धवन के परिवार वाले भी शामिल नहीं हो पाए। इंडियन मिलट्री एकेडमी से कुल 423 जवान पास आउट हुए हैं। इनमें धवन सार्थक भी शामिल हैं। सेना अधिकारी धवन सार्थक ने बताया कि मेरा बचपन काफी कठिनाइयों में गुजरा है, मगर मेरे पिता की कोशिश थी कि मैं उनका नाम रोशन करूं और आज मैंने वो कर दिखाया।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज भी धवन के पिता रिक्शा चलाते हैं और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। मगर अब धवन उनका सहारा बनेगा। धवन ने ये भी कहा कि मेरे मेहनत के पीछे मेरे परिवार वालों का हाथ है और परिवार वालों की मेहनत ने ही मुझे मोटिवेट किया है। उन्होंने कहा कि मेरे परिवार को काफी उम्मीद थी और आज मैं उस उम्मीद में खरा उतरा हूँ। धवन ने कहा कि ये जरूरी नहीं है हम राजा के घर में पैदा होकर ही राजा बनें। मगर, हमें अपनी जिंदगी में एक अच्छा योद्धा जरूर होना चाहिए।

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