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डॉक्टर बना देवदूत, डिलीवरी के वक़्त जिस महिला को 3 अस्तपाल वालों ने लौटाया, घर पर की उसकी डिलीवरी

डॉक्टर्स को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है, कोरोना वायरस के संकट की इस घड़ी में सभी डॉक्टर अपने-अपने कार्यो को ठीक प्रकार से पूरा कर रहे हैं, अपने घर-परिवार से दूर रहकर दिन-रात लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं, परंतु कुछ मामले ऐसे भी सामने आ रहे हैं जिनको सुनने के बाद मन काफी चिंतित हो जाता है, दरअसल, कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो अपने काम में लापरवाही बरत रहे हैं जिसकी वजह से लोगों को बड़ी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है, एक ऐसा ही मामला मुंबई के साकीनाका चांदीवली से आया है, जहां पर 9 महीने की एक गर्भवती महिला तेज दर्द की वजह से काफी परेशान थी, इस महिला ने तीन बड़े-बड़े अस्पतालों के चक्कर काटे लेकिन हर तरफ से इसको निराश होकर ही वापस लौटना पड़ा, ऐसे में मुंबई का एक जर्नल प्रैक्टिशनर इस गर्भवती महिला के लिए भगवान के रूप में सामने आया।

किसी ने सच कहा है यदि व्यक्ति के ऊपर संकट आता है तो किसी ना किसी रूप में भगवान सहायता के लिए जरूर आते हैं, कुछ ऐसा ही यहां पर देखने को मिला, जब 9 महीने की गर्भवती महिला दर्द के मारे तड़प रही थी तब उसको तीन अस्पतालों से वापस लौटा दिया गया था, ऐसे में एक जनरल प्रैक्टिशनर का स्त्री रोग विशेषज्ञ और सर्जन के साथ काम करने का अनुभव काम आया है, इसने इस गर्भवती महिला की सहायता की, खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि जनरल प्रैक्टिशनर ने गर्भवती महिला की डिलीवरी करा कर ना सिर्फ इस महिला की जान बचाई बल्कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी एक नई जिंदगी दी है, फिलहाल में गर्भवती महिला और उसका बच्चा पूरी तरह से सेहतमंद है और इन्होंने इस डॉक्टर को बहुत-बहुत धन्यवाद किया।

खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि मुंबई के साकीनाका चांदीवली में भुजा भिसे 9 महीने की गर्भवती थी, इनको अचानक रात के समय काफी तेज दर्द उठा, तब इनके पति दत्तात्रेय इनको लेकर घाटकोपर वेस्ट के अस्पताल में पहुंच गए, परंतु जब वहां पर यह पहुंचे तब वहां के स्टाफ ने उनको कोविड-19 टेस्ट करा कर आने के लिए कहा था, उस समय काफी तेज बारिश हो रही थी, ऐसी स्थिति में वहां से इनका जाना संभव नहीं हो सकता था, तब दत्तात्रेय अपनी पत्नी को लेकर राजावाडी अस्पताल पहुंच गए परंतु इस जगह पर भी इनको निराश होकर जाना पड़ा, यहां पर भी इनको बिना कोविड-19 टेस्ट के भर्ती करने से साफ-साफ मना कर दिया गया था और अस्पताल भी कोविड-19 टेस्ट करने के लिए तैयार नहीं था, दो अस्पताल से निराशा हाथ लगने के बाद यह तीसरे एक प्राइवेट अस्पताल में गए, लेकिन वहां पर इनको पहले एक लाख रुपये जमा करने के लिए कहा गया था, यह रकम बहुत बड़ी थी, जिसको यह जमा नहीं कर सकते थे।

तीन अस्पतालों से निराश होकर दत्तात्रेय अपनी पत्नी को लेकर घर आ गए और घर के पास में ही एक क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर रवींद्र महास्के के पास पहुंचे, डॉक्टर और दत्तात्रेय की फोन पर बात हुई थी, उसके बाद ही यह अपनी पत्नी को लेकर क्लीनिक गए थे, डॉ. रविंद्र मेडिकल कॉलेज में सर्जन और स्त्री रोग विशेषज्ञ के तौर पर कार्य किया था, उनका यही अनुभव यहां पर बहुत ही काम आया, उन्होंने सफलतापूर्वक इस महिला की डिलीवरी करा दी और इसके लिए इन्होंने कोई फीस भी नहीं ली थी, इन्होंने अपनी तरफ से इनको राशन भी दिया था, डॉक्टर रविंद्र का ऐसा कहना था कि वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और वह अच्छी तरह जानते हैं कि गरीबी क्या चीज होती है, वह इस दौर से गुजर चुके हैं, उन्होंने अपने जीवन में पढ़ाई से लेकर मेडिकल तक बहुत अधिक संघर्ष किया है, उनके पास पढ़ाई के लिए रुपए तक भी नहीं हो पाते थे, मैंने लोगों की मदद के लिए ही यह क्लीनिक खोला है।

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