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ओड़िशा में नदी से निकला 500 साल पुराना विष्णुजी का मंदिर, आसपास के लोग देखकर हुए आश्चर्यचकित

हमारे देश भर में ऐसे बहुत से प्राचीन मंदिर मौजूद है जो चमत्कारों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, इसके अलावा समय-समय पर हमें ऐसी बहुत सी घटनाएं सुनने को मिलती है जिससे आस्था के ऊपर लोगों का विश्वास अटूट हो जाता है, आपको बता दें कि हाल ही में नदी से भगवान विष्णु जी का 500 साल पुराना एक मंदिर निकला है, जिसको देखकर आसपास के लोग उस समय काफी आश्चर्यचकित हो गए थे, खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि यह मंदिर 15 वीं और 16 वीं सदी का है, दरअसल, यह मामला उड़ीसा के नयागढ़ स्थित पद्मावती नदी की है, यहां पर रहने वाले लोग जब भगवान विष्णु जी का यह प्राचीन मंदिर निकला तो इसको देख कर काफी अचंभित हो गए थे।

यहां के स्थानीय लोगों का ऐसा कहना है कि जहां से भगवान विष्णु जी का यह मंदिर मिला है इस स्थान को सतपताना कहा जाता है, इस जगह पर एक साथ 7 गांव हुआ करते थे और सभी गांव के लोग मिलकर भगवान विष्णु जी के इस मंदिर में पूजा अर्चना करते थे, परंतु महानदी द्वारा अपना रुख बदला गया, जिसकी वजह से यहां पर भयंकर बाढ़ आ गई थी और यहां पर मौजूद सभी गांव नदी के पानी में डूब गए थे, नदी के पानी के तेज बहाव ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया था, इस बाढ़ के अंदर गांव समेत भगवान विष्णु जी का यह मंदिर भी जलमग्न हो गया था।

पुरातत्वविदों टीम इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज (INTACH) के द्वारा इस बात की जानकारी दी गई है कि उन्होंने इस मंदिर को खोज निकाला है, पुरातत्वविदों टीम के अनुमान के अनुसार यह बताया जा रहा है कि यह मंदिर 15वीं या फिर 16वीं सदी का होगा, इस मंदिर के अंदर गोपीनाथ यानी कि भगवान विष्णु जी की प्रतिमा विराजमान थी, जिस प्रतिमा को गांव के लोग अपने साथ लेकर चले गए थे, इसके अलावा ऐसा भी बताया जा रहा है कि उड़ीसा के नयागढ़ स्थित बैद्येश्वर के समीप महानदी के पास पद्मावती नदी के बीच मंदिर का मस्तक साफ-साफ नजर आ रहा था, आर्कियोलॉजिस्ट दीपक कुमार नायक का ऐसा कहना है कि उनकी टीम ने जब जांच पड़ताल की तब उनको यह जानकारी प्राप्त हुई थी कि जहां पर वर्तमान समय में पद्मावती नदी है वहां पर गांव और मंदिर हुआ करते थे, जहां पर मंदिर का मस्तक दिखाई दे रहा है वह लगभग 60 फीट की ऊंचाई पर है।


यहां के लोगों का ऐसा कहना है कि पद्मावती गांव के आसपास करीब 22 मंदिर हुआ करते थे, जब यहां पर बाढ़ आई तब सभी मंदिर पानी में समा गए थे, लगभग 150 वर्षों के पश्चात भगवान गोपीनाथ जी के इस मंदिर का मस्तक बाहर नजर आया, इसके बाद पुरातत्वविदों टीम के द्वारा आसपास के स्थानों पर जांच की जा रही है और अधिक जानकारियां जुटाने में लग गए है, अब यह मंदिर मिलने के बाद चारों तरफ 5 किलोमीटर के दायरे के अंदर मंदिरों और धरोहरों की छानबीन की जा रही है, यहां से जो भी चीजें और संरचनाएं मिल रही है उन सभी की रिकॉर्डिंग हो रही है।

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