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रेड लाइट एरिया में वैश्याओं की कहानी, पहले ही नरक थी इनकी जिंदगी अब कोरोना ने भी रुलाया

कोरोना वायरस का संक्रमण देश में थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। इस संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने पर बल दिया जा रहा है। यही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अब सेक्स वर्कर्स के लिए तो परेशानी का सबब बन गया है। माली हालत भले ही उनकी बेहद खराब हो चुकी है, फिर भी वे कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रही हैं।

आर्थिक हालत इनकी इतनी बिगड़ गई है कि इसे देखते हुए कोलकाता में दुर्बार महिला समन्वय कमेटी की ओर से सेक्स वर्कर्स के लिए केंद्र सरकार से विशेष पैकेज की मांग भी की गई है।

सेक्स वर्कर्स के हितों के लिए काम करने वाली इस कमेटी के अंतर्गत सोनागाछी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल डॉ समरजीत जाना ने बताया कि क्लाइंट को ये सेक्स वर्कर्स मना कर दे रही हैं। लगभग दो महीने से उनके पास कोई काम नहीं है।

वैसे एक पहल जो बीच में थोड़ी राहत देने वाली हुई है, वह यह है कि रोजगार के वैकल्पिक स्रोत को इन सेक्स वर्कर्स ने अपना लिया है। मास्क, सेनेटाइजर और सेनेटरी नैपकिन अब ये सेक्स वर्कर्स बना रही हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस बारे में लिखी एक चिट्ठी में डॉ समरजीत जाना ने लिखा है कि इन सेक्स वर्कर्स के पास राशन कार्ड तक नहीं है। ऐसे में उनके लिए नि:शुल्क राशन की व्यवस्था की जानी चाहिए। साथ में जहां वे किराए में रह रही हैं, तीन महीने का उनका किराया भी माफ किया जाना चाहिए।

लॉकडाउन की वजह से इन सेक्स वर्कर्स की जिंदगी किसी नरक की तरह हो गई है। अब इन सेक्स वर्कर्स के पास कोई भी काम मौजूद नहीं है तो ऐसे में घर चलाने में उन्हें बड़ी परेशानी हो रही है।

कई लड़कियां इस रेड लाइट एरिया में ऐसी हैं, जिन्हें यहां लाकर बेच दिया गया था। इन तस्वीरों में सेक्स वर्कर्स की कैद जिंदगी नजर आ रही है।

वैसे तो सरकार की ओर से सेक्स वर्कर्स की हालत सुधारने के लिए लगातार कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन अब भी बहुत कुछ इस मामले में किया जाना बाकी है।

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की वजह से इन सेक्स वर्कर्स ने फिलहाल क्लाइंट लेना बंद कर दिया है, जिसका सीधा असर उनकी आजीविका पर पड़ा है।

सेक्स वर्कर कोई भी लड़की अपनी स्वेच्छा से नहीं बनती है। मजबूरी उसे इन कोठों पर लेकर चली आती है।

लॉकडाउन के दौरान न खाने-पीने की ठीक से इनके पास सुविधा है और न ही कोई अन्य सुविधाएं। ऐसे में जिंदगी इनकी किसी नर्क से कम नहीं है।

दूसरों से जो कुछ मदद मिल जा रही है, उसी से ये सेक्स वर्कर्स फिलहाल अपना खर्चा चला पा रही है।

अब तो दो जून की रोटी का इंतजाम करना भी कोरोना संक्रमण के कारण इन सेक्स वर्कर्स के लिए मुश्किल हो गया है। अधिकतर सेक्स वर्कर्स की हालत रेड लाइट इलाके में बेहद खराब है।

सेक्स वर्कर्स की जिंदगी को संवारने के लिए सरकार के साथ कई सामाजिक संगठन कोशिशों में लगे हैं।

किन्ही बुरे हालात के कारण इन लड़कियों को सेक्स वर्कर्स की जिंदगी जीने पर मजबूर होना पड़ा है, वरना अपनी आबरू भला कौन सी लड़की यूं नीलाम करना चाहेगी?

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