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डॉक्टर्स कोरोना संक्रमण से बचे रहे, इसलिए 7वीं क्लास के बच्चे ने बनाया दबाई देने वाला रोबोट

छोटी सी उम्र में बच्चे का ये कमाल देख कई लोग हैरान है, लोगों ने कहा ये बच्चा तो जीनियस है.

कोरोना वायरस जैसी महामारी थमने का नाम नहीं ले रही है. ये वायरस तेजी से लोगो को अपनी चपेट में ले रहा है. कोविड-19 संक्रमण बाकी फ़्लू के मुकाबले तीन गुना ज्यादा तेजी से फैलता है. फिलहाल इस वायरस की कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. ऐसे में इससे बचने का एक मात्र तरीका सोशल डिस्टेंस ही है. अब आप और हम तो कोरोना मरीज से 100 फिट तक की दूरी बनाकर रह लेंगे. कोशिश भी यही करेंगे कि उनके पास ना जाए. लेकिन कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ का क्या?

इन लोगो को तो कोविड-19 मरीजों को दवाइयां, खान – पानी इत्यादि सामान देने उनके पास जाना ही पड़ता है. ऐसे में उनके कोरोना पॉजिटिव होने के चांस भी बढ़ जाते हैं. पिछले कुछ महीनो में कई ऐसे मामले भी सामने आ चुके हैं जब कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स या नर्सें खुद इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ गई. ऐसी स्थितियों में इनकी जान को भी खतरा बना रहता है.

7वीं क्लास के बच्चे ने बानाया रोबोट

कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ को ह्यूमन कांटेक्ट से बचाने के लिए औरंगाबाद के रहने वाले एक 7वीं क्लास के बच्चे ने गजब का दिमाग दौड़ाया है. साई सुरेश रंग्दल नाम के इस लड़के ने एक विशेष रोबोट बानाया है. यह रोबोट डॉक्टर्स कोरोना पॉजिटिव मरीजों को मेडिसिन या भोजन देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. इस रोबोट को स्मार्टफ़ोन से कंट्रोल किया जा सकता है. ये रोबोट एक किलो तक का वजन कैरी कर सकता है. बच्चे की सोच है कि यदि डॉक्टर्स इस रोबोट का इस्तेमाल कोरोना मरीजों की सेवा में करते हैं तो उनके कोरोना पॉजिटिव होने के चांस बहुत कम हो जाएंगे.

छोटी उम्र में किया कमाल

छोटी सी उम्र में बच्चे का ये कमाल देख कई लोग हैरान है. उनका कहना है कि ये बच्चा तो जीनियस है. साई सुरेश ने अपने बनाए इस रोबोट को ‘शौर्य’ नाम दिया है. न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत के दौरान साई ने कहा कि इस रोबोट को आगे या पीछे किया जा सकता है. ये 360 डिग्री पर लेफ्ट या राईट भी घूम सकता है. यह बैटरी से चलता है. इसे आप स्मार्टफोन से कंट्रोलकर सकते हैं. इसमें एक किलो तक के वजन को उठाने की क्षमता है.

बचपन से है गैजेट्स का शौक

साई के पिता बताते हैं कि ‘उसे बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक और गैजेट्स का शौक रहा है. वो बचपन से इस तरह की चीजों में दिलचस्पी लेता था.’ इस बात में कोई शक नहीं कि साई एक टेलेंटेड बच्चा है. इतनी कम उम्र में इस तरह की सोच और गैजेट का बनाना यही दर्शाता है कि टेलेंट उसमे कूट कूट के भरा है. इसे देख यही लगता है कि बच्चा भविष्य में और भी कईअच्छे इन्वेंशन करेगा.

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