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अम्मा को नमन: घर-घर से भीख मांग कर जोड़ा था राशन, अब जरूरतमंदों को कर दिया दान

इस वक्त जब कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया के साथ भारत में भी अपने पांव पसार लिए हैं तो बहुत से ऐसे लोग हैं, जो दिल जीत लेने वाला काम करने में जरा भी पीछे नहीं दिख रहे हैं। इनमें से तो कुछ बच्चे हैं, जिन्होंने कि अपने गुल्लक फोड़ डाले हैं और पैसे दान कर रहे हैं, वहीं कई लोग ऐसे हैं जो पैदल चलकर घर जा रहे प्रवासी मजदूरों की मदद करने में लगातार लगे हुए हैं। पुलिसकर्मियों की ओर से तो केवल इंसानों की नहीं, बल्कि बेजुबानों की भी मदद की जा रही है। इसी क्रम में एक 72 साल की बुजुर्ग महिला, जो कि भीख मांग कर गुजारा करती है, उसने भी अपना जमा राशन जरूरतमंदों में दान करके एक मिसाल पेश किया है।

हां, इन दिनों 72 साल की एक बुजुर्ग महिला सोशल मीडिया में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। इस महिला का नाम सुखमति मानिकपुरी है। सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर रहीं अम्मा ने अपनी दरियादिली से हर किसी का दिल जीतने का काम किया है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ये बुजुर्ग महिला रहती हैं। अम्मा ने कोरोना संकट के दौरान एक क्विंटल चावल, दर्जनभर साड़ियां और कुछ पैसे जरूरतमंदों की मदद के लिए दान कर दिए हैं। सबसे खास बात यह है कि अम्मा ने इन सभी चीजों को भीख मांग कर जमा किया है।

अम्मा बताती हैं कि जरूरतमंदों के दर्द को वे लॉकडाउन के दौरान समझ रही हैं। वे कहती हैं कि भीख मांग कर मैं खुद अपना गुजारा कर रही हूं। फिर भी जितना मुझसे बन पड़ा है, मैंने बिलासपुर नगर निगम को दान में दे दिया है। संकट की इस घड़ी में एक-दूसरे की मदद हमें ही करनी होगी। भूखों के दर्द को मैं महसूस करती हूं। यही वजह है कि जरूरतमंदों और असहायों की हरसंभव सहायता के लिए मैंने अधिक-से-अधिक भीख मांगना शुरू कर दिया था। भूखा पेट किसी को भी नहीं सोना चाहिए। बीते करीब 10 वर्षों से भीख मांग कर सुखमति अपनी जिंदगी बिता रही हैं।

बिलासपुर के जिला कलेक्टर डॉ संजय अलंग ने भी अम्मा की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि इस वक्त जब सभी लोग कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं तो सुखमति ने जो दान किया है, उससे यह तो साबित हो ही गया है कि भरी जेब की मोहताज इंसानियत नहीं है। अम्मा द्वारा उठाया गया यह कदम इंसानियत की सीख दे रहा है। गौरतलब है कि बीते अप्रैल में स्थानीय पार्षद विजय केसरवानी को इन्हीं अम्मा ने भीख मांग कर इकट्ठा किए गए चावल और कपड़े सौंपे थे।

 

सुखमति की दो नातिनें भी हैं। बड़ी नातिन जहां इस वक्त 11वीं में पढ़ रही है, वहीं छोटी नातिन छठी में पढ़ाई कर रही है। एक सरकारी स्कूल में दोनों बहनें पढ़ाई कर रही हैं और सुखमति ने इनकी पढ़ाई का जिम्मा उठाया हुआ है।

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