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फ़र्ज़ के आगे कलेक्टर ने बच्चों से बना ली दूरी, 2 महीनो से छुआ तक नहीं, रोज ऐसे होता हैं मिलना

पूरा विश्व इन दिनों कोरोना वायरस से जूझ रहा हैं. कोविड-19 से संक्रमित लोगो के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं. उदाहरण के लिए अभी भारत में कोरोना मरीजों की संख्या एक लाख सात हजार से ऊपर जा पहुंची हैं. ये खतरनाक वायरस इंडिया में अभी तक 3,303 जानें ले चूका हैं. हालाँकि 42,298 लोग कोरोना को हराकर ठीक भी हुए हैं. कोरोना वायरस आम फ़्लू के मुकाबले तीन गुना अधिक तेजी से फैलता हैं. फिलहाल इसकी कोई वैक्सीन भी नहीं आई हैं. इसे रोकने का एक मात्र तरीका सोशल डिस्टेंस रखना हैं. यही वजह हैं कि भारत सहित पूरी दुनिया में अलग अलग देश लॉकडाउन का एलान कर रहे हैं. कोरोना जैसी महामारी को हराने के लिए कोरोना वॉरियर्स दिन रात मेहनत कर रहे हैं. फिर वो हेल्थ विभाग के लोग हो या पुलिस डिपार्टमेंट के लोग. यहाँ हर कोई अपनी जान दाव पर लगाकर अपनी ड्यूटी निभा रहा हैं.

खिड़की से देखते हैं बच्चों को

आज हम आपको मध्य प्रदेश के धार जिले के कलेक्टर श्रीकांत बनोट से मिलाने जा रहे हैं. श्रीकांत एक कोरोना वॉरियर्स हैं जो कि पिछले दो महीनों से अपने बच्चे को छू तक नहीं पाए हैं. वे जब भी घर जाते हैं तो उनके बच्चे खिड़की के पीछे खड़े रहे हैं. श्रीकांत बाहर से ही अपने बच्चों को देख खुश हो लेते हैं.

रहता हैं संक्रमण का डर

श्रीकांत का कहना हैं कि मेरा ज्यादातर समय बाहर ही बिताता हैं. ड्यूटी के दौरान कई तरह के लोगो से मिलना जुलना लगा रहता हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता हैं. बच्चों से मिलने पर कहीं उन्हें भी कोरोना ना हो जाए इसी डर से श्रीकांतजी बच्चों से दूर ही रहते हैं. वे बच्चों से बहुत थोड़ी देर के लिए ही मिलते हैं. इसमें भी उनके चेहरे पर मास्क लगा होता हैं. इसके साथ ही वे सोशल डिस्टेंस का पालन भी करते हैं.

पत्नी भी हैं कोरोना वॉरियर्स

श्रीकांत बनोट मध्य प्रदेश के धार जिले के कलेक्टर हैं तो उनकी पत्नी कृष्णावेणी देसावतु उसी राज्य के देवास जिले की एसपी हैं. कृष्णावेणी भी काम के सिलसिले में अक्सर घर से दूर ही रहती हैं. ऐसे में उनका भी बच्चों से मिलना कम ही हो पाता हैं. पति पत्नी दोनों आम जनता की सुरक्षा के लिए बाहर रहते हैं और घर में उनके खुद के बच्चों को माता पिता का प्यार ठीक से नहीं मिल पाता हैं. यहाँ ये दोनों अपनी निजी जिंदगी से ज्यादा प्राथमिकता देश और ड्यूटी को दे रहे हैं. इसलिए तो इन्हें हम कोरोना वॉरियर्स कहते हैं.

बता दे कि इस लॉकडाउन पीरियड में कई ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जिनमें ये कोरोना वॉरियर्स अपने घर परिवार के लोगो से नहीं मिल पा रहे हैं. कुछ तो कई हफ़्तों या महीनो बाद घर जा पा रहे हैं. इसलिए हमें इन कोरोना वॉरियर्स का मान सम्मान करना चाहिए. इनके काम में पूर्ण सहयोग देना चाहिए. इनकी ड्यूटी में बढ़ा डालने की कोशिश नहीं करना चाहिए. कोरोना के इस माहोल में अपने इलाके की सभी गाईडलाइन्स का पालन करें. इसी में आपकी और देश की भलाई हैं.

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