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बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान को महाराष्ट्र के एक गांव की अनूठी सलामी, बदल दिया यादों में गांव का नाम

इरफान खान बॉलीवुड के एक ऐसे अभिनेता रहे, जिन्होंने हर तरह के किरदार में खुद को आसानी से ढाल लिया। लाखों-करोड़ों दिलों पर राज करने वाले इरफान खान आज हमारे बीच नहीं हैं। इरफान खान के अचानक चले जाने से उनके फैंस को गहरा सदमा लगा है। कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन इरफान खान की याद से उनके प्रशंसक उबर नहीं पा रहे हैं। इरफान खान को उनके प्यार करने वाले तरह-तरह से श्रद्धांजलि दे रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र के नासिक में इगतपुरी के पास पत्राच्या वाड़ा गांव के लोगों ने उन्हें अनूठी सलामी दी है।

‘हीरो ची वाड़ी’ रखा है नाम

इस गांव के लोगों ने अपने गांव का नाम ही बदल दिया है। गांव के नाम को बदलकर उन्होंने हीरो ची वाड़ी रख दिया है। हीरो ची वाड़ी का अर्थ होता है एक्टर का पड़ोसी। गांव के लोगों को इरफान खान से इतना अधिक प्यार है कि उनके चले जाने के गम में उनकी यादों को ताजा रखने के लिए उन्होंने इरफान खान की याद में अपने गांव के नाम को ही बदल डाला है।

जुड़ीं हैं खूबसूरत यादें

त्रिलंगवाड़ी कोर्ट के पास यह गांव स्थित है। इरफान खान की जिंदगी की पत्राच्या वाड़ा नामक इस गांव से कई खूबसूरत यादें जुड़ी हुई हैं। दरअसल इस गांव में इरफान खान का फार्म हाउस स्थित है। इरफान खान जब जिंदा थे तो वे हमेशा यहां अपने परिवार के साथ पहुंच जाते थे। सबसे खास बात यह है कि इस गांव के लिए इरफान खान ने बहुत काम भी किए हैं। गांव के लोगों के मुताबिक यहां के लोगों की सभी जरूरतों का इरफान खान ने हमेशा ध्यान रखा। बच्चों को कॉपी-किताब तक वे उपलब्ध कराया करते थे। यही वजह है कि गांववालों ने इरफान खान को इस तरह से सलामी दी है।

इरफान ने उठा रखा था जिम्मा

पत्राच्या वाड़ा गांव के लगभग 1000 बच्चों की पढ़ाई का पूरा जिम्मा इरफान खान ने उठा रखा था। खाने-पीने की चीजें तो बच्चों को वे उपलब्ध कराते ही थे, साथ ही पेन, पेंसिल और रेनकोट आदि भी उन्हें उपलब्ध कराए गए थे। यहां तक कि कंप्यूटर तक की सुविधा इन बच्चों को इरफान खान की ओर से उपलब्ध कराई गई थी। रिपोर्ट के अनुसार मेडिकल सुविधाएं तक इरफान खान की ओर से इस गांव में मुहैया कराई गई थी। इरफान खान स्थानीय स्कूल में फंड भी दिया करते थे। वे गांव में पहुंचकर हमेशा यहां के लोगों का हालचाल भी ले लिया करते थे।

दीदार को तरस गए थे गांववाले

वैसे, इरफान खान जब कैंसर की चपेट में आ गए थे तो उनके दीदार के लिए गांव वाले तरस गए थे। बीमार होने के बाद भी इरफान खान की ओर से गांव वालों को मदद भिजवाई जाती रही। अब जब इरफान खान इस दुनिया में नहीं हैं, तो उनके परिवार के लोगों के साथ पत्राच्या वाड़ा गांव के लोग भी बहुत ही दुखी हैं। इस बात का उन्हें गम है कि अपने उस मददगार पड़ोसी को अब वे दोबारा कभी नहीं देख पाएंगे।

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