अध्यात्म

जब बुरी तरह घायल हो गए थे शनिदेव तब हनुमानजी ने बचाई थी जान और चढ़ने लगा शनि पर तेल

शास्त्रों के अनुसार शनिदेव इंसान के कर्मों के आधार पर उन्हें फल देते हैं. यदि शनिदेव आप से नाराज़ हो जाए या आपके ऊपर शनि की साढ़ेसाती चढ़ जाए तो आपका बुरा समय शुरू हो जाता हैं. इस स्थिति में लोग शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाकर उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा हैं कि आखिर शनिदेव को ये तेल क्यों चढ़ाया जाता हैं? दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा हैं जिसके अनुसार यह तेल शनिदेव को दर्द में राहत देने का काम करता हैं. इसलिए इसे तेल चढ़ाने वाले को शनिदेव की कृपा मिलने लगती हैं.

जब हनुमानजी पर हुई शनि दशा

पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब समुद्र पर रामसेतु बांधने का काम चल रहा था, तभी हनुमानजी पर शनि की दशा शुरू हुई थी. ऐसे में राक्षसों द्वारा उस पूल को नुकसान पहुँचाने के चांस बढ़ गए थे. हनुमानजी को अपने बल और कीर्ति के लिए जाना जाता हैं, इसलिए शनिदेव ने खुद उन्हें ग्रह चाल की व्यवस्था के नियम को बाताया था. चुकी उस समय रामसेतु के निर्माण का भागदौड़ हनुमानजी के हाथ में ही थी इसलिए उन्होंने जवाब देते हुए कहा था कि वे प्रकृति के नियम का का आदर करते हैं लेकिन रामसेवा उनके लिए प्राथमिक हैं. इसलिए उन्हें प्रकृति के इस नियम का उलंघन करना होगा.

ऐसे हनुमान ने किया था शनिदेव को घायल

 

हनुमानजी ने शनिदेव के सामने एक ऑफर रखा था. उन्होंने कहा था कि जब ये राम-काज समाप्त हो जाएगा तो मैं स्वयं आपके पास आकार अपना सम्पूर्ण शरीर आपको सौप दूंगा. हालाँकि शनिदेव ने हनुमानजी के इस ऑफर को ठुकरा दिया था. इसके बाद शनिदेव जैसे ही हनुमानजी के शरीर पर हावी हुए तो बजरंगबली ने खुद को विशाल पर्वतों से टकराना शुरू कर दिया. अब शनिदेव जिस भी अंग पर हावी होते, हनुमानजी उसी अंग को जोर से पर्वतों से टकरा देते. इस तरह अंत में शनिदेव बुरी तरह घायल हो गए. उन्होंने हनुमानजी से माफ़ी भी मांगी.

तिल के तेल से शनिदेव को मिली राहत

घायल शनिदेव ने जब माफ़ी मांगी तो हनुमानजी ने दया दृष्टि दिखाते हुए उन्हें तिल का तेल दिया. इस तेल को लगाकर घायल शनिदेव के शरीर को राहत मिली. इसके बाद हनुमानजी ने वचन दिया कि वे उनके भक्तों को कभी कष्ट नहीं देंगे. बस इस घटना के बाद से ही शनिदेव को तिल का तेल चढ़ाने की परंपरा आरम्भ हुई.

तिल के तेल का महत्त्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार तिलहन अर्थात तिल भगवान विष्णु के शरीर का मैल होता हैं. इससे बने तेल को पवित्र माना जाता हैं. वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की धातु सीसा मानी जाती हैं. धातु के द्वारा सिंदूर बानाया जाता हैं. सिंदूर मंगल का अधिपत्य हैं. मंगल गृह देवी पृथ्वी के पुत्र माने जाते हैं. इनके गर्भ से ही लोहा निकलता हैं. इसलिए लोहे को मंगल गृह की धातु भी कहा जाता हैं. तेल लोहे को सुरक्षित रखता हैं और उसमे जंग भी नहीं लगने देता हैं. इसलिए यदि आपकी राशि में मंगल भारी हो तो शनि का दुष्प्रभाव समाप्त होने लगता हैं. यही वजह हैं कि शनिदेव को शांत करने के लिए तिल का तेल समर्पण के रूप में चढ़ाया जाता हैं.

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