अध्यात्म

10 क्विंटल फूलों से सजाया गया केदारनाथ मंदिर, मोदी के नाम से हुई मंदिर में पहली पूजा

बाबा केदारनाथ (Kedarnath Temple) के कपाट आज सुबह 6 बजकर 10 मिनट में खोल दिए गए हैं और इस दौरान मंदिर को बेहद ही सुंदर तरीके से सजाया गया है। मंदिर की सजावट के लिए 10 क्विंटल फूलों का इस्तेमाल किया गया है और ये फूल मंदिर में बेहद ही सुंदर तरीके से लगाए गए हैं।

बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली सोमवार को निकाली गई थी जो कि अपने धाम केदारनाथ पहुंची थी। और आज पारंपरिक रीतियों के तहत केदारनाथ धाम के कपाट खोले गए हैं। इस मंदिर के कपाट खोलने के बाद मंत्रोच्चार और विधि-विधान से बाबा केदारनाथ की पूजा की गई और इस मंदिर में हुई पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से की गई है। बताया जा रहा है कि मंदिर के पंडितों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से रुद्राभिषेक पूजा किया है।

कोरोना वायरस के चलते इस साल केदारनाथ धाम की यात्रा को रद्द कर दिया गया था। वहीं आज इस मंदिर में महज 15 से 16 लोगों की उपस्थिति में ही पूजा की गई थी। ऐसा पहली बार हुआ हुआ है जब इस मंदिर में पूजा करते समय केवल पंडित ही मौजूद थे।

12 ज्योतिर्लिंगों में से है एक केदारनाथ

 

केदारनाथ मंदिर देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में सर्वोच्च ज्योतिर्लिंग है और ये मंदिर  गिरिराज हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सर्वप्रथम पांडवों ने मंदिर बनाया था। लेकिन ये मंदिर लुप्त हो गया था। जिसके बाद आदिशंकराचार्य ने इस जगह पर मंदिर का निर्माण करवाया था और ये मंदिर 8वीं शताब्दी में बनाया गया था। लेकिन 400 वर्ष तक ये मंदिर बर्फ में दबा रहा और इसके बारे में किसी को भी जानकारी नहीं थी।

मंदिर से जुड़ी कथा

शिव महापुराण के अनुसार महाभारत यु्द्ध के दौरान पाण्डवों के हाथों अपने कुल के लोगों की हत्या हुई थी और इस हत्या के पाप से बचने के लिए पाण्डवों ने वेदव्यास से समाधान मांगा था। तब वेदव्यास ने पांडवों को केदरानाथ जाने की सलाह दी थी और कहा था कि केदार क्षेत्र में जाकर भगवान केदारनाथ के दर्शन और पूजा करो। दर्शन करने से तुम लोगों को मुक्ति मिल जाएगा।

वेदव्यास जी ने केदार क्षेत्र का वर्णन करते हुए कहा था कि जिस क्षेत्र में मंदाकिनी अनेक धाराओं में  बहती है, जहां भगवान महेश, पार्वती के संग निवास करते हैं और उनके दर्शन के लिए देवता उपस्थित होते हैं, उस देवस्थान में तुम लोग जाओ। जिसके बाद पाण्डव इस यात्रा पर निकल पड़े और यहां आकर इन्होंने शिव जी की पूजा की और इनका मंदिर बनाया। और आज हर साल लाखों की संख्या में लोग इस यात्रा पर आते हैं और बाबा केदारनाथ के दर्शन करते हैं। ये यात्रा पूरे 6 महीने तक चलती है।

केदारनाथ मंदिर के कपाट 6 महीनों तक बंद रहते हैं। हर साल इस मंदिर के कपाट दीपावली के दूसरे दिन बंद कर दिए जाते हैं और भगवान के विग्रह एवं दंडी को 6 महीने के लिए पहाड़ के नीचे ऊखीमठ में ले जाया जाता हैं। वहीं 6 महीने बात इस मंदिर के कपाट फिर से खोले जाते हैं और केदारनाथ के कपाट खुलते ही ये यात्रा आरंभ हो जाती है।

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