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पालघर में 2 संतो की हुई मोब लिंचिंग, महाराष्ट्र नहीं रहा संतों के लिए सुरक्षित

पुलिस के सामने 2 संत और एक ड्राइवर की होती है मोब लिंचिंग,और पुलिस हाथ पर हाथ धरे रह जाती है

palghar mob lynching: रोजाना ऐसी कोई ना कोई खबर सुनने को मिल जाती है जिसको सुनकर अक्सर काफी मन चिंतित हो जाता है, देश में साधु-संतों को सम्मान की नजरों से देखा जाता है, और इनको आदरणीय माना गया है, एक समय हुआ करता था जब देशभर के प्रताड़ित साधु संत और हिंदू समाज के लोग महाराष्ट्र के उन गौरवशाली योद्धाओं से सुरक्षा प्राप्त करते थे जिनके दम पर हिंदू संस्कृति बची हुई थी, लेकिन एक ऐसा दुखद मामला सामने आया है जहां पर दो संतों के ऊपर कुछ लोगों ने हमला करके इनकी जान ले ली .

महाराष्ट्र के पालघर स्थित तलासरी अहमदाबाद हाईवे पर साधु संतों की एक गाड़ी के ऊपर कुछ अनजान लोगों ने हमला कर दिया , हमला करने वाले लोग इतने पागल थे की इन लोगों ने इन संतों को  पीट पीट कर मार डाला।

घटना 2 दिन पहले की यानी की १६ अप्रैल की रात की है । मुंबई के दहिसर में दो संत अपने गुरु भाई संत रामगिरी महाराज जी के अंतिम संस्कार में यह शामिल होने के लिए निकले थे, श्री सुशील गिरी और उनके जेष्ठ गुरुअपने ड्राइवर के साथ अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अहमदाबाद नेशनल हाईवे से गुजर रहे थे, तभी अचानक से ही पालघर स्थित तलासरी कासा गांव में कुछ लोगों ने इनकी गाड़ी रुकवा ली, इन्होंने इन संतों के ऊपर धारदार हथियारों और डंडों से हमला कर दिया, इन संतों के पास जो भी नगद रुपए थे वह भी इनके पास से छीन लिए थे, अब सवाल यह उठता है कि लॉक डाउन के दौरान पुलिस कितनी चौकन्नी है, आखिर इतना बड़ा हादसा हो गया लेकिन पुलिस कहां सोई हुई थी, जब यह हंगामा हुआ तब पुलिस का कहां थी, जब शोर-शराबा अधिक बढ़ गया तब घटनास्थल पर पुलिस पहुंची और उन संतो को कुछ देर के लिए अपनी चौकी में ही रखा।

पुलिस जब दुबारा इन संतों को अपने जीप में बिठाने को ले जा रहे थे, तो हमलाबारों की भीड़ पुलिस से भी हाथापाई करने लगी, इन संतों के ऊपर लगातार हथियारों से वार करते रहे, इन्होंने संतो को तब तक मारा जब तक इनकी जान नहीं चली गई, ऐसा कहा जा रहा है कि अगर पुलिस इन दोनों संतों को कुछ समय के लिए और अपनी चौकी के अंदर रखते तो शायद यह बड़ा हादसा टल सकता था।

यहां पर पुलिस की लापरवाही साफ-साफ देखने को मिल रही है, अगर यह पुलिस बल की सहायता लेते तो इन संतों की जान सुरक्षित रहती, इस पूरे मामले को देखकर यह साफ हो जाता है कि महाराष्ट्र पुलिस ने यहां पर बहुत बड़ी लापरवाही की है, जिसकी वजह से इनके ऊपर बहुत से सवाल खड़े हो रहे हैं, पुलिस के अनुसार 110 लोगों के ऊपर मामला दर्ज कर लिया गया है, 2 दिन पश्चात काफी सवाल जवाब करने के बाद पुलिस वालों ने इन दोनों संतों के शव को आजत्रंबकेश्वर अखाड़े के संतों को सौंप दिया है, इस पूरे मामले के बारे में कुछ भी बताने से पुलिस साफ-साफ इंकार कर रही है।

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