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मेघनाद का वध करना लक्ष्मण के लिए नहीं था आसान, 14 साल तक दी थी इन 3 चीज़ों की कुर्बानी

भगवान श्रीराम और उनके परम भक्त अनुज लक्ष्मण के प्रेम से तो हर कोई परिचित है। दोनों भाईयों में अगाध प्रेम था। वे एक दूसरे के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते थे, लेकिन एक मौका ऐसा आया था, जब भगवान राम के मन में भी अपने प्रिय अनुज लक्ष्मण को लेकर शंका उठी थी। ये वह मौका था, जब अगस्त्य मुनि ने कहा कि रावण के परम पराक्रमी पुत्र मेघनाद का वध केवल लक्ष्मण ही कर सकते थे, तो आइये जानते हैं कि आखिर ऋषि अगस्त्य ने ऐसा क्यों कहा था?

एक बार जब अगस्त्य मुनि अयोध्या गए थे, तो वहां प्रभु श्रीराम से लंका युद्ध का प्रसंग का छिड़ गया। ऐसे में वहां उन्हें भगवान राम ने बताया कि कैसे उन्होंने रावण और कुंभकर्ण जैसे योद्धाओं का वध किया और अनुज लक्ष्मण ने इंद्रजीत और अतिकाय जैसे परम पराक्रमी असुरों को युद्ध भूमि में मार गिराया। इसके बाद अगस्त्य मुनि कहते हैं कि बेशक रावण और कुंभकर्ण शक्तिशाली और वीर थे, लेकिन सबसे बड़ा योद्धा इंद्रजीत ही था, जिसने इंद्र से अंतरिक्ष में युद्ध किया था, और इंद्र को बंदी बनाकर लंका ले आया। उसके बाद ब्रह्मा जी ने इंद्र को दान के रूप में मांगा था। ऐसे वीर का वध केवल लक्ष्मण ही कर सकते थे।

लक्ष्मण की तारीफ सुन भगवान राम अति प्रसन्न हुए, लेकिन उन्हें आश्चर्य हुआ कि ऐसा क्या था, जो मेघनाद को केवल लक्ष्मण ही मार सकते थे? भगवान राम ने ये सवाल अगस्त्य मुनि से पूछा, तब अगस्त्य मुनि ने जवाब में कहा, प्रभु मेघनाद को वही मार सकता था, जो 14 वर्ष तक नहीं सोया हो, जिसने 14 वर्ष तक किसी स्त्री का मुख न देखा हो, जो 14 वर्ष तक कुछ न खाया हो।

यह सब सुनकर भगवान श्रीराम ने कहा कि मैं सीता के साथ एक कुटिया में रहता था और मेरे बगल के कुटिया में लक्ष्मण रहते थे। ऐसे में लक्ष्मण सीता का मुख भी न देखें हो और 14 वर्ष तक न सोए हों। ऐसा कैसे संभव है? अगस्त्य मुनि सारी बात समझ गए कि भगवान राम जान बूझकर ये सवाल कर रहे हैं। दरअसल, भगवान राम चाहते थे कि लोगों को लक्ष्मण की तपस्या और वीरता का ज्ञान हो, और उनकी चर्चा भी अयोध्या के हर घर में हो।

अगस्त्य मुनि द्वारा कही गई बात की पुष्टि विभीषण भी कर चुके होते हैं। मेघनाद के मारे जाने के बाद विभीषण ने प्रभु श्रीराम से कहा था, रावण पुत्र इंद्रजीत का वध तो स्वयं देवताओं के लिए भी काफी मुश्किल था। मेघनाद का वध केवल और केवल लक्ष्मण जैसे तपस्वी और योगी ही कर सकते थे।

अग्स्त्य मुनि ने श्रीराम से कहा कि इस बात के बारे में क्यों न लक्ष्मण से ही पूछ लिया जाए। फिर लक्ष्मण आए तो श्रीराम ने कहा, लक्ष्मण आपसे जो पूछा जाए आप सच सच बताइयेगा। प्रभु श्रीराम ने कहा, हम तीनों (राम, सीता, लक्ष्मण) एक साथ वन में रहे, फिर भी तुमने सीता का मुंह नहीं देखा? फल दिए गए फिर भी अनाहारी कैसे रहे? और 14 वर्ष तक तुम सोए नहीं, ये कैसे? तब लक्ष्मण ने बताया- भैय्या जब हम भाभी को तलाशते हुए ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव के पास पहुंचे थे। तब उन्होंने हमें भाभी सीता के कुछ आभूषण दिखाए थे, और पहचानने को कहा था। तब आपको याद होगा, मैं सिर्फ पैरों के आभूषणों को पहचान पाया था,  क्योंकि मैंने कभी भी उन्हें पैरों के ऊपर नहीं देखा।

लक्ष्मण ने इस तरह से किया था नींद पर काबू

चौदह वर्ष नहीं सोने के बारे में लक्ष्मण जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जब आप और भाभी सीता कुटिया सोते में थे, तो मैं रातभर पहरेदारी के लिए धनुष पर बाण चढ़ाए बाहर खड़ा रहता था। एक बार निद्रा देवी ने मेरी आंखों पर पहरा देने की कोशिश की थी, लेकिन मैंने अपने बाणों से निद्रा देवी पर प्रहार किया। उसके बाद निद्रा ने हार मान ली, और उसने कहा कि वह 14 वर्ष तक मुझे स्पर्श नहीं करेगी, लेकिन नीद्रा देवी ने कहा कि जब राम का अयोध्या में राज्याभिषेक होगा, तब मैं तुम पर पहरा दूंगी। लक्ष्मण अपने प्रभु श्रीराम से कहते हैं, आपको याद होगा जब आपका राज्याभिषेक हो रहा था, मेरे हाथ से छत्र गिर गया था।

लक्ष्मण ने 14 वर्ष तक कुछ नहीं खाया

जब मैं फल फूल लाता था, तब आप उसके तीन भाग करते थे, एक भाग आप मुझे देते थे और कहते थे कि लक्ष्मण ये फल रख लो। प्रभु आपने कभी फल खाने को नहीं कहा, तो आपकी आज्ञा के बिना मैं फल कैसे खा लेता? मैंने उन्हें संभाल कर रख दिया। आज भी उस कुटिया में सारे फल टोकरी में रखे होंगे, तब श्रीराम ने लक्ष्मण को आदेश दिया कि फल की टोकरी लेकर आओ। लक्ष्मण फल की टोकरी लेकर आए और दरबार में रख दिया। फलों की गिनती हुई तो उसमें से 7 दिन के फल गायब थे। तब प्रभु राम ने कहा, तुमने 7 दिन का आहार लिया था?

लक्ष्मण ने बताया उन 7 दिनों का रहस्य

उन्होंने 7 दिनों के फल न होने का भी रहस्य बताया। लक्ष्मण ने कहा जिस दिन पिताजी का स्वर्गावास हुआ, उस दिन हम निराहारी रहे। उसके बाद जिस दिन माता सीता का रावण ने हरण किया था, उस दिन हम निराहारी थे। फिर इंद्रजीत के नागफाश में बंधकर हम अचेत रहे, और जिस दिन इंद्रजीत ने मायावी सीता का सर काटा था, उन दिनों हम निराहारी रहे। इसके अलावा जिस दिन मुझे इंद्रजीत ने शक्तिभेद किया और जिस दिन रावण का आपने वध किया। प्रभु इन 7 दिनों में हम निराहारी रहे।

लक्ष्मण कहते हैं कि मैंने गुरू विश्वामित्र से अतिरिक्त ज्ञान लिया था। इससे व्यक्ति बिन अन्न ग्रहण किए भी जीवित रह सकता है। उसी विद्या से मैंने अपनी भूख को नियंत्रित किया था। और इंद्रजीत को मारने में सफल हुआ। यह सुनते ही प्रभु श्रीराम भाव विभोर हो गए और लक्ष्मण को गले से लगा लिया।

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